बन्नी (Banni ) क्या है ? बन्नी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव क्या है ? मालधारी चरवाहे कौन है ? बन्नी(Banni) के मवेशियों पर क्या संकट है ?

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हरे रंग से प्रदर्शित गुजरात में  बन्नी घास का मैदान

  बन्नी ( Banni ) क्या है ?

बन्नी (Banni ) क्या है बन्नी एशिया  का सबसे  बड़ा प्राकृतिक  घास का मैदान है । बन्नी घास का मैदान गुजरात के कच्छ के रण के उत्तर – पूरब ने 2617 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। बन्नी घास के मैदान यहां के मवेशियों के लिए एक वरदान है लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण अब यह  बन्नी घास का मैदान  का अस्तित्व खतरे में है। बन्नी घास के मैदान  की खासियत यह भी है कि यहां दो पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं। 1. आद्र भूमि 2 . घास के मैदान ।

कुछ साल पहले की बन्नी घास के मैदानों की फोटोस

बन्नी (Banni ) क्या है बन्नी ( Banni )घास के मैदान पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव :-

बन्नी (Banni ) क्या है 1961 में 13 वें स्वतंत्रता दिवस पर इस मैदान को खारेपन से बचाने के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा विलायती बबूल के बीजों को फेंका गया । जो कि इस मैदान के लिए बहुत ही बुरा साबित हुआ। 1979 में विलायती बबूल 6 परसेंट भाग पर फैले हुए थे  और 2015 के आते आते 54 परसेंट क्षेत्र में फैल गए। और विलायती बबूल से खारापन तो नहीं घटा उसके उलट 1 वर्ष में 80 किलोमीटर की दर से खारा पन तेजी से बड़ा।

बन्नी (Banni ) क्या है जलवायु परिवर्तन के कारण बन्नी घास के मैदान पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा। वर्तमान में बन्नी घास के मैदान को हर दो या 3 साल में अकाल को झेलना ही पड़ता है। बन्नी घास के मैदान की धीरे-धीरे घास भी खत्म होती जा रही है।  सरकार द्वारा नदियों पर जगह-जगह बांध बना दिए गए हैं जिससे बन्नी घास के मैदानों में जल की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में नहीं हो पाती है। और घास के मैदान रेगिस्तान में बदलते जा रहे हैं।

बन्नी घास के मैदानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

बन्नी (Banni ) क्या है “मालधारी” लोग कौन है ?

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बन्नी (Banni ) क्या है जाट एक पारंपरिक चरवाहा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं मालधारी भी इसी समुदाय से संबंधित है। माल यानी पशु और धारी मतलब रखने वाले, पशु रखने वाले लोगों को मालधारी कहते हैं। मालधारी लोगों का जीवन निर्वाह का साधन पशुपालन ही है। जब बन्नी घास के मैदानों में प्रचुर मात्रा में घास होती थी तो मालदारी लोगों का जीवन भी खुशहाल रहता था लेकिन जलवायु परिवर्तन और विलायती बबूल जिन्हें मालदारी लोग गांडा पागल बबूल कहते हैं ,के कारण घास के मैदानों में घास की कमी और रेगिस्तान की अधिकता होने लगी हैं जिससे मालधारी लोगों का जीवन भी कठिन होता जा रहा है। यह भारत का पहला चरवाहा समुदाय होगा जो जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित होगा।

चरवाहा समुदाय के मालधारी लोग

बन्नी (Banni ) क्या है बन्नी (Banni) से घास कम हो जाने से मवेशियों पर संकट :-

बन्नी (Banni ) क्या है एक ऐसा समय था जब बन्नी को एशिया का सबसे बड़ा घास का मैदान माना जाता था लेकिन अब लोग इसे एशिया का सबसे बड़ा घास का मैदान केवल कहने के लिए कहते हैं क्योंकि अब पहले जैसी घास इस मैदान में बची नहीं है रेगिस्तान का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। बन्नी घास के मैदान के मवेशी और मवेशियों के मालिक पहले सुख में जीवन बिताते थे लेकिन अब पशुओं का चारा खत्म होने की कगार पर है इससे मवेशियों को उतना भोजन नहीं मिल पाता है और मवेशियों को पालने वाले लोग पशुओं के चारे की खरीददारी बाजार से करनी पड़ती है जिसमें बहुत लागत लगती है खर्चा अधिक हो जाता है और पशुओं से आमदनी कम होती है क्योंकि खानपान की वजह से मवेशी दूध कम देते हैं।

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