अब नशे में झूमने को युवा नहीं मानते हैं ‘कूल’, घट रहा शराब पीने का क्रेज, जानें आखिर क्या है वजह

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 अब पश्चिमी देशों के युवाओं में शराब पीने का क्रेज कम होता जा रहा है। स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी समेत अन्य विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि है। विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तरी अमेरिका, यूके, नॉर्डिक देशों और ऑस्ट्रेलिया में नौजवान अपने पेरेंट्स की पीढ़ी की तुलना में बहुत ही कम शराब पी रहे हैं।

 इस रिसर्च से यह पता चलता है कि इस बात की संभावना तो कम ही है कि युवा पेढीमें के शराब पीने में कटौती का यह चलन सरकारी प्रयासों के कारण आया है। इन गिरावटों की वजह व्यापक आर्थिक, सांस्कृतिक,  सामाजिक, तकनीकी और परिवर्तन भी हो सकती है। कई देशों में युवा लोगों के साथ रहेकर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञों ने युवाओं में शराब पीने में गिरावट के चार मुख्य कारणों को ढूढ निकाला है। इनमें स्वास्थ्य के बारे में चिंता, अनिश्चितता , भविष्य के बारे में चिंता, प्रौद्योगिकी और अवकाश में परिवर्तन और माता-पिता के साथ रिश्तो में बदलाव आदि शामिल हैं।

युवा अपने फ्युचर को लेकर अलर्ट


विशेषज्ञों के अनुसार, आज दुनिया के विकसित देशों में युवा होना पिछली पीढ़ियों की तुलना में बहुत ही अलग है। अपने करियर की योजना बनाने, जलवायु परिवर्तन से लेकर और घर खरीदने में सक्षम होने तक, आज के युवा यह जानते हैं कि उनका भविष्य अनिश्चित है। स्कूल के दौर से ही  बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव शुरू हो जाता है और फिर आज के नौजवान  में मानसिक अस्वस्थता की दर भी बढ़ रही है। कई नौजवान  अपने फ्युचर के बारे में उन तरीकों से सोच रहे हैं जिनके बारे में सोचने की पिछली पीढ़ियों को आवश्यकता ही नहीं थी।

 आज के नौजवानो का जीवन जिने का अंदाज बदल गया है और वे अपने जीवन पर नियंत्रण करने और अपने आनेवाले कल को सुरक्षित करने के प्रयास कर रहे हैं । कुछ दशक पहले यह हाल था की नशे में होना कई युवा लोगों द्वारा वयस्कता में पहुंचने की निशानी के रूप में माना जाता था और दिनभर के काम और अध्ययन की दिनचर्या से समय निकालने का एक बेस्ट तरीका था। अब, आज की पिढी के युवा लोगों को कम उम्र में जिम्मेदार और स्वतंत्र होने का अहेसास होता है और कुछ लोग तो शराब की लत न लग जाए इस डर से कम ही पीते हैं। क्योंकि उन्हें  सदा यह फिक्र रहेती है कि अगर ऐसा हुआ तो वह खुद पर से ही अपना कंट्रोल खो देंगे जो फ्युचर को खतरे में डाल देंगे।

अन्य कारण भी जिम्मेदार

युवा अपनी हेल्थ के प्रति अलर्ट
रिसर्च के अनुसार युवा के बीच अपने स्वास्थ्य का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। इससे पहेले 15-20 साल पहले के शोध में यह पाया गया था कि उस समय के युवा ज्यादा शराब पीने से होने वाले प्रभावों  जैसे की उल्टी, बेहोशी को ज्यादा महत्व नहीं देते थे। किंतु हाल के रिसर्च से यह मालूम होता है कि इस संबंध में युवाओं का रवैया बदल गया है। आज के युवा शराब पीने से मेंटल हेल्थ को होने वाली हानि और इसके इस्तेमाल से सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव  को लेकर भी चिंतित हैं। कई युवा ऐसे भी है जिन्होने शराब की मध्यम खपत पर जोर दिया, जबकि  साल1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में लोग जमकर शराब पीते थे।

माता-पिता अपने बच्चों के नाइट आउट पर रखते हैं नजर


 आज के समय में पश्चिमी देशों में किशोरों की परवरिश और शराब के लिए उनके परिचय को प्रबंधित करने की शैलियां अधिक विकसित हुई हैं। अब माता-पिता अपने बच्चों की नाइट आउट के दौरान कडी निगरानी करने लागे हैं और पिछली पीढ़ियों की तुलना में उनके पीने की भी  बारीकी से निगरानी करते है। युवा भी अपने माता-पिता के साथ अब अधिक समय बिताने लगे हैं, और एक बेस्ट फेमिली लाईफ विकसित करते हैं। और यही उनके शराब पीने और विद्रोह करने के चान्सेज को कम करते हैं।

अब नशे में झूमने को युवा नहीं मानते हैं ‘कूल’


 इन  सभी बातो के अलावा भी ऐसे कई कारण  हैं जिनकी वजह से युवा शराब बाय बाय कहेने लागे हैं, जिसमें स्वास्थ्य की स्थिति और व्यक्तिगत प्रेरणा और संस्कृति और धार्मिक जुड़ाव शामिल हैं। अत:, इन सभी परिवर्तनों का अर्थ है कि बहुत से युवा अब नशे में झूमने को बिलकुल ही ‘कूल’ नहीं मानते हैं और अब इसे स्वतंत्रता और वयस्कता की निशानी के रूप में भी नहीं देखते हैं।

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