World Suicide Prevention Day: दुनिया में एड्स, कैंसर, और मानव हत्या से होने वाली मौतों से ज्यादा तो जाने आत्महत्या की वजह से जा रही हैं। दुनिया में प्रत्येक 40 सेकंड में एक आत्मा हत्या हो रही है।
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प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। तथा विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह 5 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है। आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन ( आईएएसपी ) विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का आयोजन करते हैं। इसके साथ में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की भागीदारी है।
गौरतलब है कि इससे पहले कि बहुत ज्यादा देर हो जाए। इसका लक्ष्य विशेष मुद्दों पर प्रकाश डालना है। वह भी उन लोगों तक पहुंचाने की उम्मीद में जो लगातार संघर्ष कर रहे हैं। महामारी के दौर में तो नौकरिया छीने जाने, अकेलेपन ने लोगों को चिंतित, उदास, संवेदनशील और अपने करीबियों को खोने का डर उनके अंदर बना दिया हैं। जिसकी वजह से कई लोग इस गलत रास्ते पर मतलब की आत्महत्या की तरह मुख करके खड़े हैं। आत्म हत्या को रोकने का सबसे अच्छा तरीका चेतावनी के संकेतों को पहचानना तथा इस तरह के संकट का जवाब देना है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने की शुरुआत 10 सितंबर सन् 2003 को इंटरनेशनल एसोसिएशन सुसाइड प्रीवेंशन तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश देने के लिए की, कि आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। पहला वर्ष इस दिवस को मनाने के लिए सफल रहा। इसलिए सन् 2004 में डब्ल्यूएचओ औपचारिक रूप से इस आयोजन को फिर से सह-प्रायोजक करने के लिए सहमत हो गया। जिसकी वजह से यह एक वार्षिक मान्यता प्राप्त दिन बन गया। प्रत्येक वर्ष इस दिवस को मनाने के लिए आईएएसपी 60 से अधिक देशों में सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 2021 की इस बार की थीम “कार्यवाही के माध्यम से आशा बनाना” है। जो कि आत्महत्या की रोकथाम की दिशा में एक सामूहिक पहल का वादा करता है।
आत्महत्याओं की खबरों को कवर करने के मामले में मीडिया की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चूंकि इस तरह के खबरों को कवर करने के लिए प्रेस काउंसिल आफ इंडिया ने कुछ नियम बनाया है। लेकिन कई बार इन नियमों का पालन मीडिया करती है। इसका हालिया उदाहरण अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या पर टीवी मीडिया की कवरेज है।
गौरतलब है कि पीसीआई की प्रेस रिलीज नंबर PR/10/19-20-PCI, Date-13.09.2019 में इस संबंध में स्पष्ट गाइडलाइंस भी बनाए हुए हैं। साल 2017 में विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा मीडिया कर्मियों के लिए एक मार्गदर्शिका पुस्तक “प्रीवेंटिंग सुसाइड – अ रिसोर्स फॉर मीडिया प्रोफेशनल अपडेट 2017″भी जारी की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य मीडिया के सहयोग से देश में होने वाली आत्महत्याओं को कम करना था। वैसे भी नियमों के अनुसार मीडिया को आत्महत्या की खबरों की रिपोर्टिंग करते समय निम्न बातों का ध्यान देना चाहिए।
• आत्महत्या की प्रक्रिया तथा तरीके का वर्णन नहीं किया जाए।
• आत्महत्या की खबरों को अखबार के पहले पृष्ठ पर प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए।
• ऐसे शीर्षको तथा भाषा का उपयोग न करें जो सनसनीखेज बनाता है आत्महत्या को।
• सुसाइड नोट, सोशल मीडिया पोस्ट, ईमेल, टेक्स्ट मैसेज, वीडियो फुटेज आदि का प्रयोग न करें।
• खबर को प्रकाशित करते समय “प्रतिबद्ध आत्महत्या, मौत को गले लगाया, आत्महत्या की”जैसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
• और खबर के अंत में प्रकाशित करें कि आपातकालीन स्थिति में मदद कहां-कहां से मिल सकती है। इसके बारे में एकदम सटीक जानकारी प्रकाशित करें।