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World Post Day 2021: जाने क्यों मनाया जाता है विश्व पोस्ट दिवस? क्या है इसका इतिहास और इस साल की थीम?..

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“डाकिया डाक लाया, खुशी का पैगाम कहीं दर्दनाक लाया, डाकिया डाक लाया…” अब ये बोल केवल लाइब्रेरी में रखे पुरानी फिल्मों के ऑडियो कैसेट से ही सिर्फ सुनने को मिल सकते हैं। इस युग में आज तकनीकी का सारा काम जैसे मोबाइल ने अपने हाथों में ले लिया है। लेकिन यह भी सच है कि जिंदगी के उन दिनों को भी कोई कभी नहीं भूल सकता है। जब डाकिए को देखते ही मन में अनेक तरह की संवेदनाएं हिलकोरे मानने लगती थीं।

आज लगभग हर एक की हाथों में आपको मोबाइल देखने को मिल ही जाता है। माना क्या जाता है, है ही। वैसे अब अपनों से दूरी नाम मात्र की रह गई है। लेकिन आज से लगभग 30 साल पहले का नजारा कुछ अलग ही था। आज से लगभग 15-20 वर्ष पहले बाकी की सहभागिता लोगों के प्रत्येक सुख दुख से जुड़ी थी। समय बदला, हालात बदले और व्यवस्था भी लगभग बदल दी गई है। अब राखी का इंतजार गांव की पगडंडी ओपन नहीं होता है। बल्कि संचार क्रांति ने तो संवेदनाओं के तार को उंगलियों पर ही क्षमता दिया गया है। चिट्ठी, पत्रों से संवेदना इजहार करने की परंपरा लगभग विलुप्त सी हो गई है। इस हाईटेक संचार व्यवस्था के असर ने तो डाकिए की महत्ता को ही कम कर दिया है। लिहाजा डाक विभाग भी प्रभावित होने से खुद को नहीं बचा सका है। पत्रों के आवागमन की व्यवस्था, अंतर्देशीय पत्र, लिफाफा और पोस्ट कार्ड की बिक्री पर नजर डालें तो इनकी बिक्री पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है।

इतिहास World Post Day

सारे देशों के बीच पत्रों का आवागमन एकदम सहज रूप से हो सके। 9 अक्टूबर 1874 को इसे ध्यान में रखते हुए ‘जनरल पोस्टल यूनियन’ के गठन हेतु बर्न, 22 देशों ने एक संधि पर स्विट्जरलैंड में हस्ताक्षर किया था। इसी कारण 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया। यह संधि 1जुलाई 1875 को अस्तित्व में आई। हालांकि 1अप्रैल 1879 को ‘जनरल पोस्टल यूनियन’का नाम बदलकर “यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन” कर दिया गया। भारत इस संगठन का सदस्य एक जुलाई 1876 को बना। भारत प्रथम एशियाई देश सदस्यता लेने वाला था।

बहुत ही पुराना है भारत में डाक सेवाओं का इतिहास

फिलहाल भारत में तो डाक सेवाओं का इतिहास बहुत ही पुराना है। अक्टूबर 1854 को भारत में एक विभाग के रूप में इसकी स्थापना लॉर्ड डलहौजी के काल में हुई। डाकघरों में बुनियादी डाक सेवाओं के अतिरिक्त वित्तीय, बैंकिंग व बीमा सेवाएं भी उपलब्ध है। जहां एक तरफ डाक विभाग सार्वभौमिक सेवा दायित्व के अंतर्गत सब्सिडी आधारित विभिन्न डाक सेवाएं देता है। तो वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी, जनजातीय, दूरस्थ अंडमान और निकोबार दीप समूह जैसे क्षेत्रों में भी उचित दर पर डाक सेवा उपलब्ध करा रहा है। जहां आज लगभग प्रत्येक देश में डोर -टू-डोर डिलीवरी खत्म कर दी है। वहीं भारत में अभी भी डाकिया हर दरवाजे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। और तो और लोगों के सुख दुख में भी शरीक होता है। मैं आशा करती हूं कि आज एसएमएस और मोबाइल के इस जवाने में भी लोग अंतर्देशीय पत्रों तथा डाक तार को नहीं भूलेंगे।

थीम World Post Day

विश्व डाक दिवस के मौके पर इस साल 2021 में बहुत ही बेहतरीन थीम रखी गई है। “इनोवेट टू रिकवर” मतलब की बहाली के लिए नया परिवर्तन लाएं। इसमें इस बात का वचन लेने की भी बात कही गई है कि डाक व्यवस्था को आज सुधरने के साथ-साथ बचाने के लिए प्रयास किए जाएं। आज की जो जरूरत बन गई है। दुनिया में जहां सब कुछ डिजिटल होता जा रहा है। वहीं पर यूपीयू ने सभी से निवेदन किया है कि वह डाक सेवाओं को बहाल करने में मदद करें। उसे बचाने के लिए बेहतर कदम उठाएं और नए विचार प्रदान करें।

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