पोलियो एक बहुत ही संक्रमक तथा खतरनाक बीमारी है। जोकि वायरस की वजह से होती है। यह हमारी नर्वस सिस्टम पर सीधे हमला करती है। पोलियो उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन हमेशा प्रयासरत रहा है। तथा प्रत्येक वर्ष इस लक्ष्य के करीब पहुंचता रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने जो कदम उठाए हैं। उससे प्रत्येक व्यक्ति पोलियो को खत्म करने में भी मदद कर सकता है। पोलियो के बारे में जानता बढ़ाने के लिए 24 अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष विश्व पोलियो दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। पोलियो को कभी एक अत्यंत ही सामान्य संक्रमण बीमारी के रूप में भी जाना जाता था। जिसने पूरी दुनिया में लाखों बच्चे के जीवन को प्रभावित किया है।
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हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस जोनास साल्क के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। एक अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट थे। जिन्होंने पूरी दुनिया का पहला सुरक्षित तथा प्रभावी पोलियो वैक्सीन बनाने में मदद की थी। साल 1955 में 12 अप्रैल को भी जोनास साल्क ने पोलियो से बचाव की दवा को सुरक्षित करार दिया था। यह बीमारी एक समय में पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी। तथा इस घातक बीमारी से लड़ने का हथियार डॉक्टर साल्क ने इसके रोकथाम की दवा इजात करके मानव जाति को दिया था। लेकिन ग्लोबल पोलियो उन्मुक्त पहल की सन् 1988 में स्थापना की गई। ये पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन, रोटरी इंटरनेशनल तथा अन्य जो पोलियो उन्मूलन के लिए वैश्विक स्तर पर दृढ़ संकल्प थे। उन्हीं के द्वारा की गई।
विश्व पोलियो दिवस रोटरी इंटरनेशनल ने मनाने की शुरुआत की थी। पहली बार जब रोटरी इंटरनेशनल ने पोलियो टीका की खोज करने वाली टीम के सदस्य जोनास साल्क के जन्मदिन पर विश्व पोलियो दिवस की आस्थापना की थी। जोनास साल्क का जन्म अक्टूबर के महीने में हुआ था। इसीलिए विश्व पोलियो दिवस अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। 1955 में पहली पोलियो वैक्सीन की खोज की गई थी। हालांकि 1980 के दशक में पोलियो का कहर अधिक देखने को मिला। जब एक लाख से ज्यादा बच्चे पोलियो से संक्रमित हो चुके थे। उस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो के ही टीकाकरण की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए टीका तथा दवा दी जाती थी। आज कई देश इसी टीकाकरण के चलते पोलियो मुक्त हो चुके हैं। हालांकि 1955 में भारत में पोलियो टीकाकरण की शुरुआत हुई। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2012 में भारत को पोलियो ग्रसित देशों की सूची से हटा दिया है। पोलियो की रोकथाम के लिए ही टीका उपलब्ध है जो कि बच्चों को ही दी जाती हैं। इसके साथ ही साथ दो बूंद दवा भी पिलाई जाती है।
पोलियो या फिर पोलियोमाइलाइटिस एक अपंग यानी कि विकलांग करने वाली ही एक घातक बीमारी है। पोलियो वायरस की वजह से यह बीमारी होती है। यह संक्रमित वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला व्यक्ति की मस्तिष्क तथा रीड की हड्डी पर हमला करता है। जिससे हमेशा पक्षाघात होने की आशंका होती है। इस स्थिति में शरीर को नहीं हिलाया जा सकता तथा व्यक्ति हाथ, पैर तथा अन्य किसी अंग से विकलांग भी हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों तथा विभिन्न देशों की सरकारों की दृढ़ता के साथ ही साथ टीकाकरण अभियान में पूरी दुनिया को पोलियो से बचाया। पिछले 7 से 8 वर्षों से भारत पोलियो मुक्त हो चुका है। चूंकि विश्व के कुछ हिस्सों में विकलांगता के कुछ केसे अभी भी सामने आते हैं।