Viral Video: हेडलाइन्स को पड़ते ही सरकार द्वारा की की विकास की बातें नीरी झूठी साबित होती है। इस खबर को पढ़ते ही आपको समझ आ जाएगा कि देश में विकास किस हद तक हुआ है। शुक्रवार को एक चौंकाने वाली घटना में छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का एक व्यक्ति अपनी बेटी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर पैदल ही चलता रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गांव अमदला निवासी ईश्वर दास बीते शुक्रवार तड़के ही अपनी बीमार बेटी सुरेखा को लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे।
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यह घटना शुक्रवार की है। अस्पताल में इलाज के दौरान ही लड़की की मौत हो गई और उसके लाचार पिता को अपनी बेटी का शव कंधे पर लेकर ही 10 किलोमीटर चलना पड़ा। यह घटना उस वक्त उजागर हुई जब दास का अपनी बेटी के शव के साथ चलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया। वीडियो में एक शख्स को कंधे पर शव ले जाते हुए देखा जा सकता है, वहीं उसके पीछे एक महिला अन्य दो महिलाओं के साथ रोती हुई आ रही हैं। इस परिवार ने अपनी मृत बेटी को कंधे पर उठाकर अमदला में घर पहुंचने के लिए लगभग 10 किमी की दूरी पैदल तय की थी।
स्वास्थ्य मंत्री सिंह ने कहा, “मैंने सीएमएचओ से इस मामले की जांच करवाकर उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मैंने उनसे ये भी कहा है कि जो लोग ड्यूटी पर मौजूद होने के बावजूद अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें पदों से हटा देना चाहिए” टीएस सिंह ने आगे कहा कि, ”उस समय ड्यूटी पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों को दास परिवार को वाहन की प्रतीक्षा करने के लिए राजी करना चाहिए था।
इस घटना के बाद लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने कहा कि दास वाहन आने से पहले ही वहां से निकल चुके थे। डॉक्टरों ने कहा, ”लड़की का ऑक्सीजन लेवल बहुत ही कम था, करीब 60। मृतक लड़की के माता-पिता के अनुसार वह पिछले कुछ दिनों से तेज बुखार से पीड़ित थी।
हफ्ते की शुरुआत में, ओडिशा के रायगड़ा जिले से भी एक ऐसा ही वीडियो सामने आया था। एक व्यक्ति अपने बेटे के शव को कंधे पर ले जाते हुए देखा गया था, वह व्यक्ति भी शव को घर ले जाने के लिए वाहन प्राप्त करने में विफल रहा था। उस व्यक्ति की पहचान सुरधर बेनिया के रूप में हुई थी और वो अपने नौ साल के बेटे आकाश को रायगढ़ शहर के जिला मुख्यालय अस्पताल उपचार के लिए ले गए थे।
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हालांकि, अस्पताल पहुंचने तक बहुत देर हो चुकी थी और डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। आकाश के मृत्यु के बाद परिवारवालों ने अस्पताल में मौजूद अधिकारियों से शव को घर ले जाने के लिए वाहन का अनुरोध किया था, लेकिन अस्पताल ने बताया कि उनके पास कोई वाहन नहीं है। अंत में सरधर अपने बेटे के शव को कंधे पर लेकर ही चले गए और 1.5 किमी पैदल चले थे।
देश के हर कोने में आएं दिन ऐसी घटनाएं होती ही रहती है। किंतु, बहुत कम ही मामले मिडिया या देश के सामने आते हैं। सोशल मीडिया की है जो विकास नाम के कच्चे चिट्ठे को लोगों और मीडिया में Viral Video के सामने खोल कर रख देता है। इस प्रकार की घटनाएं वाकई शर्मनाक है जहां जहां किसी व्यक्ति को अपने मरे हुए स्वजन को घर ले जाने के लिए भी कोई वाहन नहीं मिलता और उन्हें कंधे पर लादकर ही पैदल घर तक ले जाना पड़ता है।