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Captain Vikram Batra: विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध में हुए थे शहीद,पहली मुलाकात कॉलेज में हुई थी.

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Captain Vikram Batra

कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा के लाइफ स्टोरी पर बेस्ड फिल्म शेरशाह लोगो को बेहद ही पसंद आ रही है। जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा व कियारा आडवाणी ने लीड रोल निभाया है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे कप्तान ने अपनी आखिरी सांस तक 4875 हासिल करने के लिए संघर्ष किया। इस फिल्म में कारगिल युद्ध के साथ-साथ कैप्टन विक्रम बत्रा की लव स्टोरी को भी दिखाया गया है। फिल्म की स्क्रीनराइटिंग संदीप श्रीवास्तव ने इस फिल्म के लिए किए गए होमवर्क के बारे में बात की हैं। संदीप श्रीवास्तव ने पहले फिल्म की उन रिव्यूज के बारे में बात की जिसमें आलोचनाएं की गई थी, कि शेरशाह में कियारा की भूमिका कितनी छोटी थी। संदीप ने बताया कि डिंपल व विक्रम ने वास्तव में एक दूसरे के साथ बहुत ही कम समय बिताया था।

पहली मुलाकात कॉलेज में हुई थी

Vikram BatraShershah’ Love Story

विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा की मुलाकात पहली बार सन् 1995 में पंजाब यूनिवर्सिटी में हुई थी। यहीं से ही इन दोनों के बीच मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया था। और दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। “द क्विंट” को दिए गए एक इंटरव्यू में डिंपल ने विक्रम बत्रा के साथ बिताए पलों को याद किया था। उन्होंने यह भी बताया कि मैं विक्रम से पहली बार साल 1995 में चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी में मिली थी। हम दोनों ने ही एमए अंग्रेजी में एडमिशन लिया था। लेकिन हमारी किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। हम दोनों ने ही इस कोर्स को पूरा नहीं किया था। मुझे लगता है कि यह नियति ही थी। जो हम दोनों को साथ लाने की कोशिश कर रही थी। विक्रम बत्रा और डिंपल दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं। और इस रिश्ते को लेकर काफी सीरियस भी थे।

कैप्टन विक्रम बत्रा के बारे में

हिमालय की चोटियों पर लड़ी गई कारगिल युद्ध के बारे में तो सभी जानते हैं। इस युद्ध को जीतने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा भी किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। अपने देश के लिए शहीद होने वाले और भारत माता के लिए आखरी सांस तक लड़ने वाले कैप्टन विक्रम बात्रा के जीवन पर बनी फिल्म शेरशाह रिलीज होने के बाद से हर जगह इस परमवीर की बहादुरी के ही चर्चे हो रहे हैं। जब 1999 में पाकिस्तान ने धोखे से कारगिल के कई चोटियों पर कब्जा कर लिया था। तब भारतीय सेना ने उन चोटियों को कब्जा मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया। इस ऑपरेशन में कैप्टन विक्रम बत्रा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी इस बहादुरी के लिए भारत सरकार ने मरणोपरांत कैप्टन विक्रम बत्रा को सर्वोच्च व सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

विक्रम बत्रा ने कैसे की पॉइंट 4875 चोटी पर फतह और शहीद भी हो गए

भारतीय सेना ने 7 जुलाई 1999 को पॉइंट 4875 को कब्जे में लेने के लिए एक अभियान शुरू किया। इसके लिए भी कैप्टन विक्रम व उनकी टुकड़ी टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई। यह एक ऐसी मुश्किल जगह थी जहां दोनों ओर खड़ी ढलान थी। और उससे एकमात्र रास्ते पर दुश्मनों ने नाकाबंदी कर रखी थी। इस अभियान को पूरा करने के लिए विक्रम बत्रा एक संर्कीण पठार के पास से दुश्मन ठिकानों पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। युद्ध के दौरान आमने-सामने की भीषण लड़ाई में विक्रम बत्रा ने पांच दुश्मन सैनिकों को ब्लैक रेंज में मार गिराया था। इसी दौरान वे दुश्मन स्नाइपर के निशाने पर आ गए थे। और गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इसके बाद से भी वे रेंगते हुए दुश्मनों पर ग्रेनेड फेंक कर मौत के घाट उतार दिया। इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बात्रा ने सबसे आगे रहकर लगभग एक असंभव कार्य को पूरा कर आया। उन्होंने अपनी जान की परवाह भी नहीं की और इस अभियान को दुश्मनों की भारी गोलाबारी में भी पूरा किया। लेकिन बुरी तरह घायल होने की वजह से कैप्टन विक्रम बात्रा हमेशा हमेशा के लिए शहीद हो गए।

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