Uttar Pradesh: भारत का सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश मूलभूत सुविधाओं में कितना पीछे है यह कल से वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है । बलिया के रेवती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आये मरीज को एम्बुलेंस ही नहीं मिली जिससे परिजन उसे एक कूड़ा ढोने वाले ठेले पर लादकर ले गए । मामले का वीडियो सामने आने पर Uttar Pradesh की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल एक बार फिर से खुल गयी है । फिलहाल दोषियों पर विभागीय कार्यवाही की बात कही जा रही है
किंतु न तो यह मामला है न ही अंतिम जिनसे हम कह सकें कि UP में खास से लेकर आम तक सबको सुविधाओं मिल रही हैं । सच्चाई तो ये है कि सरकारी अस्पतालों में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं कराह रही हैं । जब ऐसे वीडियो सामने आते हैं तब नीचे से लेकर ऊपर तक बैठे अधिकारी जागते हैं, थोड़ी सी कार्यवाहियां होती हैं । ऊपर वाले अपनी गर्दन बचाने को कुछ फेरबदल, ट्रांसफर,सस्पेंड आदि जुमलों का खेल खेलते हैं ।
कुछ दिन फ़ाइल खुली रहती है फिर अनिश्चितकाल के लिए बन्द कर दी जाती है । कुछ दिन व्यवस्था कड़ी रहने के बाद फिर से उसी पुराने ढर्रे पे आ जाती है । स्वास्थ्य मंत्री या सचिव औचक निरीक्षण के नाम पर सुर्खियां बटोरते हैं लेकिन स्वास्थ्य सुविधाएं वैसी की वैसी ही बनी रहती हैं । बलिया के रेवती का यह ताजा मामला इसी कड़ी का एक उदाहरण है ।
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रेवती के वार्ड नम्बर 10 के निवासी हीरा लाल तुरहा के बेटे जितेंद्र तुरहा (27 ) को कल अचानक सिर में तेज दर्द हुआ । परिजन उसे ठेले पर लादकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेवती पहुंचे । CHC में उपलब्ध डॉक्टरों ने मरीज की हालत गम्भीर देख उसे बलिया रेफर कर दिया गया । मरीज को बलिया ले जाने के लिए परिजनों ने एम्बुलेंस की मांग की तो वहां एम्बुलेंस नहीं मिली। बताया गया कि एम्बुलेंस में तेल खत्म हो गया है ।
मरीज के परिजन एम्बुलेंस की आशा में डेढ़ घण्टे तक फंसे रहे । कोई और चारा न देख मरीज के परिजनों ने जिस हाथ ठेले पर मरीज को लादकर लाये थे उसी में रखकर बलिया जाने के लिए निकल पड़े। रास्ते में कुछ समाजसेवियों ने जब यह नजारा देखा तो टेंपो की व्यवस्था की । जिला अस्पताल से मरीज को वाराणसी भिजवाया गया है ।
रेवती के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ धर्मेंद्र कुमार ने कहा,” मरीज की स्थिति देखते हुए बलिया रेफर किया गया था। एम्बुलेंस में देर होने पर मरीज के परिजन मरीज को ठेले पर ही लेकर जिला अस्पताल निकल पड़े । उन्हें रोका जा रहा था लेकिन वो नहीं माने।”
“कल एक वीडियो वायरल हुआ है जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेवती से एक मरीज को ठेले पर ले जाते दिखाया गया है। इस संबंध में हमने MOIC(मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज) से बात की है, उन्होंने बताया कि एक मरीज आया था जिसे हमने रेफर किया था, उसे एंबुलेंस की पेशकश भी की थी। किस कारण उसे एंबुलेंस नहीं मिल पाई, ये जांच का विषय है। इस संबंध में अपने एडिशनल सीएमओ को जांच दी है। जांच की रिपोर्ट आज शाम तक आने की उम्मीद है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करेंगे। “
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बता दें कि Uttar Pradesh के सीमावर्ती जिले बलिया का यह पहला मामला नहीं है जहां लचर स्वास्थ्य सुविधाओं ने प्रदेश की पोल खोली हो । करीब डेढ़ दो माह में इस जिले में यह तीसरा मामला है जब मरीज को ठेले पर लादकर ले जाना पड़ा या फिर समय से इलाज नहीं मिला । ज्ञात हो कि पिछले महीने चिलकहर में शुकुल प्रजापति द्वारा मरीज को ठेले पर लादकर ले जाने का मामला सुर्खियों में आया था । उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक तक जब यह मामला पहुंचा तब इसकी गहनता से जांच हुई जिसमें 8 लोगों पर आरोप तय हुए लेकिन सजा आजतक किसी को नहीं हुई।
वहीं एक दूसरे मामले में बैरिया के सोनबरसा में मरीज को एम्बुलेंस नहीं मिलने पर ठेले पर ले जाने का मामला सामने आया था। इस केस की भी CMO स्तर पर जांच चल रही है। जबकि तीसरा मामला इसी रेवती CHC से जुड़ा हुआ है जहां एक बच्ची को सांप काटने पर लाये जाने के बाद वैक्सीन होते हुए भी नहीं लगाई गई थी जिससे रास्ते मे बच्ची ने दम तोड़ दिया था । वहीं अब फिर से ठेले पर मरीज को ले जाने का मामला सामने आने पर विभाग की पोल खुल गयी है ।