social media; 3 जून को कानपुर में जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा में योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने 227 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। जिसके बाद इन लोगों की जमकर मिजाज पुर्सी की जा रही है। जिससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। जिसे बीजेपी नेता शलभ मणि त्रिपाठी ने social media पर शेयर किया है। वीडियो वायरल होते ही लोग बिफर गए।
उनका सवाल था कि थाने में ऐसे क्यों बेरहमी के साथ लोगों की पिटाई क्यों की जा रही है। और यह बीजेपी नेता थाने में क्या कर रहे थे। इतना ही नहीं लोगों ने ये पूछा कि क्या उसे वीडियो बनाने और शेयर करने की अनुमति या आजादी है। पुलिस द्वारा उसे ऐसा काम क्यों करने दिया गया। यह सरसर गलत है।
इस पोस्ट में
ज़ाकीर अली त्यागी ने लिखा कि कुछ दिनों पहले शपथ के दौरान ” संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा” रखने का वायदा ये ही था?साबित कर दिया है कि संविधान मात्र शपथ लेने के लिए है बाक़ी काम तो संविधान को उलंघन करते हुए करना है! . पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने लिखा कि इन पुलिस वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, पुलिस को किसी भी कानून में देश के किसी भी नागरिक के साथ बर्बरता करने का अधिकार नहीं दिया गया है।
अमित के यादव के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि ये गलत हैं इसमें कौन दोषी कौन बेगुनाह किसी को नहीं मालूम पुलिस ने सिर्फ लोगों को उठाया हैं जो जैसे मिल गया वैसे ही। वहीं मि. इंडिया ने लिखा है कि नेताजी के पास ये वीडियो कहां से आया है। क्या वह थाने में ही बैठे वीडियो बना रहे थे। तो वहीं दूसरे ने पूछा कि बीजेपी नेता को किसने थाने में वीडियो शूट करने का हक दिया?
वहीं राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने लिखा है कि पुलिस की बर्बरता दर्शाती है इस social media पर वीडियो से अधिक विचित्र है सत्ताधारी दल के एक विधायक का भड़काऊ ट्वीट। हम सच में एक ऐसी दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं यहां राज्य न्याय का न्याय का मध्यस्थ नहीं है और लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं है.
बल्कि भय से शासन करने में विश्वास रखता है। शर्मनाक। एक और यूजर अरुषा राठौड़ ने भी लिखा है कि पुलिस की यही लाठी,कालीचरण, नरसिंहानंद और नुपुर शर्मा जैसे अराजक तत्वों पर क्यूं नहीं चलती, जो देश में ऐसे दंगो ओर हिंसा के असली अपराधी हैं। सरकार क्यों उनको सुरक्षा और संरक्षण दे रही है। मुकेश गर्ग ने लिखा कि वाह भाई वाह। यार गजब है UP पुलिस, किसी और की तमन्ना हो तो अगले जुम्मे को अब दिलदारी दिखाए, ऐसा तो फिल्मों में होता था लेकिन यूपी में हकीकत में।
ये हैं दाँतचियरा बाबा, क्यों पड़ा ये नाम
एक यूजर फहीम अहमद ने लिखा है कि ये पुलिस वाले कानून और संविधान के टुकड़े टुकड़े कर रहे हैं। इस ग़ैर क़ानूनी कार्यवाही का आदेश देने वाले और समर्थन करने वाले कानून और संविधान को नहीं मानते हैं ।
सज़ा अगर पुलिस देगी तो अदालतों में ताले डाल देना चाहिए। य़ूजर विजय पाल सिंह तरीयाल ने लिखा कि पत्रकारिता के बाद नए नए विधायक बने हैं घमंड इतना ज्यादा की खुद को कानून समझ बैठे लक्ष्मीपुर घटना पर किस पुलिस ने नेता पुत्र की ऐसे खातेदारी की. अगर की है तो वीडियो भेजिए हम भी देखें कितने निष्पक्ष है आपकी उत्तर प्रदेश पुलिस|