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Surrogacy क्या है ? कैसे निसंतान दंपत्ति Surrogacy के द्वारा बच्चे पैदा कर ले रहे हैं।

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सरोगेसी क्या है :-

Surrogacy

अन्य कारणों से यदि कोई दंपत्ति संतान सुख नहीं प्राप्त कर पाते तो वह Surrogacy की मदद लेते हैं सरोगेसी तीन व्यक्तियों के बीच एक समझौता है जिसमें पति-पत्नी और एक तीसरी महिला होती है जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है यदि निसंतानता के कारण पति पत्नी परेशान है तो वह है तीसरी महिला से अपने बच्चे को प्राप्त कर सकते हैं। यह ऐसे होता इसमें किसी महिला के यज्ञ एक और किसी पुरुष के स्पर्म को किसी दूसरी महिला के गर्भ में रखा जाता है। जिससे दंपत्ति का बच्चा दूसरी महिला के गर्भाशय में 9 महीने रहता है । इसके लिए सेरोगेट मां मोटी धनराशि लेती हैं।

कितने प्रकार होते हैं Surrogacy के :-

Surrogacy दो प्रकार की होती है-

Surrogacy

(1) ट्रेडिशनल सेरोगेसी – यदि पत्नी में अंडे नहीं बन रहे हैं तो इसमें केवल पुरुष के स्पर्म की आवश्यकता होती है और सेरोगेट मदर के या अन्य किसी महिला के एग्स काम  लाये जाते हैं। जैसे कि तुषार कपूर बिना शादी के पिता बन गए। यह सेरोगेसी के कारण ही संभव हो पाया है। इसमें  सरोगेट मदर के गर्भ में पलने वाले बच्चे पर केवल पिता के लक्षणों और अन्य महिला ( जिससे एग्स लिए गए हैं) उसका प्रभाव पड़ता है ।

(2) जेस्टेशनल सेरोगेसी – इसमें पति  के  स्पर्म और  पत्नी के एग्स की आवश्यकता होती है और इस जीन में पति-पत्नी के लक्षण पाए जाते हैं । जिस महिला का गर्भ होता है,  उसके इसमें कोई लक्षण नहीं आते हैं।  सेरोगेट मदर का इसमें केवल यही योगदान होता है कि वह 9 महीने बच्चे को अपने पेट में रखती हैं।

Surrogacy से बच्चा प्राप्त करने के लाभ :-

इस समय Surrogacy कराना एक बहुत ही आधुनिक तरीका माना जाता है पहले जमाने में लोग निसंतान होने के दुख में कभी-कभी आत्महत्या भी कर लेते थे। लेकिन अब ऐसा संभव है कि यदि महिला में गर्भधारण करने की शक्ति नहीं है या फिर उसको स्वास्थ्य से संबंधित कोई ऐसी परेशानी है तो वह अपने आप और अपने पति का इस पर में दूसरी महिला को देकर मां बन सकते हैं सरोगेसी के बहुत से फायदे हैं –

* निसंतानता से जूझ रहे दंपत्ति अब सरोगेसी की मदद से पेरेंट्स बन सकते हैं।

* बच्चा गोद लेने की तुलना में सरोगेसी करके पेरेंट्स को कम परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।

* सेरोगेसी की सहायता लेने से पेरेंट्स बच्चे से बायोलॉजिकली जुड़े रहते हैं।

* सरोगेसी  की सहायता से जन्म के तुरंत बाद से ही पेरेंट्स अपने बच्चे का पालन कर सकते हैं।

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Surrogacy का कोई दुरुपयोग ना करें इसलिए 2020 में विधेयक बनाया गया :-

Surrogacy का कोई व्यवसाय ना बनाया जाए, इसलिए 2020 में सरोगेसी विधेयक बनाया गया । दरअसल यह विधेयक पहले से था लेकिन 2020 में उक्त बातें जोड़ी गई थी। सरोगेसी विधेयक 2020 के मुख्य बिंदु निम्न है :-

* यह विधेयक सरोगेसी संबंधित प्रभावी विनियमन सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड के गठन का प्रावधान करता है।

* इस विधेयक में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि सरोगेसी से हुए बच्चे को उनके बायो लॉजिकल पेरेंट्स किसी भी हाल में नहीं छोड़े क्योंकि अगर बच्चा विकलांग है और मानसिक दृष्टि से कमजोर है तो उसके बायोलॉजिकल पेरेंट्स बच्चे को छोड़े नहीं।

* यह विधेयक  आपको भारतीय निसंतान विवाहित जोड़े, जिसमें महिला की उम्र 23 से 50 साल और पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष हो। नैतिक, परोपकारी, सरोगेसी की अनुमति देता है।

* भारत के व्यक्ति भारत में रहकर ही भारत में Surrogacy करवा सकते हैं। कोई विदेशी व्यक्ति भारत में आकर सरोगेसी नहीं करा सकता है, यह  यहां के कानून के खिलाफ है।

यदि Surrogacy से संबंधित अपराधों में कोई लिप्त है तो उसे क्या सजा मिल सकती है :-

विधेयक के तहत अपराधों में कोई व्यक्ति शामिल होता है तो उसे जुर्माना भी देना पड़ता है और उसे सजा भी मिलती है। यदि कोई व्यक्ति वाणिज्य Surrogacy कराता है या फिर सरोगेट मां का शोषण करता है।, Surrogacy मदर के गर्भ में जो बच्चा होता है और उसे पेरेंट्स अपनाने से मना करते हैं या फिर सरोगेसी द्वारा प्राप्त बच्चे को बेचना चाहते हैं तो यह सभी विधेयक में अपराध की श्रेणी में आता है। यदि कोई इस  अपराध से लिप्त है तो उसे ऐसे अपराधों के लिए  10 साल तक कारावास और ₹1000000 तक का जुर्माना हो सकता है ।

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