Shivpal Singh Yadav: लंबे समय तक चले मनमुटाव के बाद आखिर फिर से चाचा- भतीजा साथ आ गए हैं । यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे के बीच 5 सालों से चल रही खींचतान अब थमती नजर आ रही है । मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिम्पल यादव की बम्पर जीत ने दोनों नेताओं को फिर से साथ ला दिया है । गुरुवार को ऐतिहासिक जीत के बाद सैफई में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को सपा का झंडा भेंट किया । इसी के साथ शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) का अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है ।
इस मौके पर शिवपाल यादव ने कहा कि अब हम साथ हैं और साथ में ही 2024 का चुनाव लड़ेंगे । बता दें कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से ही दोनों नेताओं में करीबी आयी थी ।
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मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिम्पल यादव की भारी जीत के बाद शिवपाल-अखिलेश के दल और दिल मिल गए । इस मौके पर शिवपाल यादव ने कहा कि मैनपुरी में पहले की ही तरह अब भी नेताजी का जलवा कायम है । उन्होंने कहा कि मैनपुरी की जनता मुझे छोटे मुख्यमंत्री कहा करती थी वैसे ही अब हमको भी अखिलेश यादव छोटे नेता के रूप में स्वीकार हैं । अब हम एक हैं और एक होकर चुनाव लड़ेंगे ।
शिवपाल यादव ने डिम्पल यादव की चुनाव में हुई भारी जीत के बाद ट्वीट करते हुए कहा कि मैनपुरी संसदीय क्षेत्र की जनता ने जो प्यार हमें दिया है उसके लिए धन्यवाद । उन्होंने एक अन्य ट्वीट में नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा कि यह जीत नेताजी के आशीर्वाद और आदर्श से प्राप्त हुई है ।
मैनपुरी में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी और बहू डिम्पल यादव को 2 लाख से अधिक मतों से मिली जीत के बाद समाजवादी पार्टी में जश्न का माहौल है । जीत के बाद सैफई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए शिवपाल ने पत्रकारों से कहा कि अब गाड़ी से सपा का झंडा नहीं उतरेगा। उन्होंने कहा कि गाड़ी अब और तेज रफ्तार से दौड़ेगी। शिवपाल यादव ने कहा कि अब हमारे दिल मिल गए हैं और पार्टी में जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी उसे निभाएंगे । बता दें कि विलय के साथ ही शिवपाल के बेटे आदित्य यादव और भतीजे अभिषेक यादव ने भी अपनी गाड़ियों में सपा का झंडा लगा लिया है ।
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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के सपा में आ जाने के बाद पार्टी का भी विलय हो गया है हालांकि अभी पार्टी आधिकारिक रूप से बन्द नहीं हुई । बता दें कि 2022 विधानसभा चुनावों से पहले शिवपाल यादव ने सपा की सदस्यता ली थी और सपा के ही चुनाव चिन्ह साइकिल पर चुनाव लड़े थे हालांकि बाद में दोनो नेताओं के बीच फिर से दूरियां हो गयी थीं । अब फिर से साथ आ जाने के बाद माना जा रहा है समाजवादी पार्टी शिवपाल यादव को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना सकती है ।
चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच 2017 विधानसभा चुनावों से पहले खींचतान शुरू हुई थी जिसके बाद शिवपाल यादव ने नवम्बर 2018 में सपा से अलग होकर खुद की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(प्रसपा) बना लिया था । हालांकि उसके बाद भी दोनों नेताओं में खींचतान जारी रही। वहीं नेताजी के निधन के बाद दोनों नेताओं में करीबी देखी गयी थी जिसके बाद शिवपाल ने डिम्पल यादव के लिए खूब चुनाव प्रचार किया था ।