Prayagraj Violence: शहर के करेली और अटाला विचारों में शुक्रवार को हुए पथराव के बाद जावेद को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद ही करेली स्थित मोहम्मद जावेद के मकान के ध्वस्तीकरण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।
यूपी के प्रयागराज में शुक्रवार को हुए पथराव के बाद इस घटना के मोहम्मद जावेद के करेली स्थित मकान को प्रशासन ने बुल्डोजर चलाकर तोड दिया है। प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। बता दें कि देश में प्रशासन द्वारा बुल्डोजर की कार्रवाई को लेकर मुद्दा तीन अदालतों में, सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती के अधीन है।
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प्रयागराज प्रशासन की कार्रवाई को इलाहाबाद HC के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने गैरकानूनी बताया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह कानून के शासन पर एक बहुत बड़ा सवाल है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गोविंद माथुर ने रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि, “ये पूरी तरह से अवैध है।
भले ही आप एक पल के लिए भी यह मान लेते हैं कि यह निर्माण अवैध था, लेकिन हमारे देश में तो करोड़ों भारतीय भी ऐसे ही रहते हैं, इस बात की तो अनुमति ही नहीं है कि आप रविवार को एक घर को ध्वस्त कर दें जब उस घर का मुख्य निवासी हिरासत में हों। यह कोई तकनीकी मुद्दा नहीं बल्कि कानून के शासन का सवाल है।”
इलाहाबाद HC पूर्व मुख्य न्यायाधीश की ये टिप्पणियां इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह माथुर ही थे, जिन्होंने 8 मार्च, 2020, रविवार को, CAA विरोध प्रदर्शनों में आरोपियों के शहर भर में “नाम और शर्म” के पोस्टर लगाने के लखनऊ प्रशासन के इस विवादास्पद निर्णय पर स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने भी सरकार के इस कदम को गैरकानूनी बताया गया और कहा था कि आरोपी के निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
इस साल भी करीब डेढ़ महीने पहले 21 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में विध्वंस के खिलाफ स्टे जारी किया था। जहां उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने इलाके में हिंसा के एक दिन बाद ही “अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कार्यक्रम” आरंभ हुआ था। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि वह इस बात की संपूर्ण जांच करेगी कि अभियान से पहले उचित प्रक्रिया का पालन हुआ था या नहीं।
एक तरफ जहां न्यायमूर्ति राव अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, वहीं यह मामला अगस्त में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। उसी दिन, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें सरकार को आरोपी व्यक्तियों के घरों को बुलडोजर चला कर ध्वस्त करने से रोकने की मांग की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि “इस याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करना योग्य नहीं होगा।” वहीं, जो लोग प्रभावित हुए हैं, उन्होंने भी अलग से हाईकोर्ट का रुख किया है और अभी मामलों की सुनवाई होनी बाकी ही है।
Prayagraj Violence करेली में मोहम्मद जावेद के मकान के ध्वस्तीकरण के विरुद्ध इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। रविवार को प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) और जिला प्रशासन ने जावेद उर्फ पंप के दो मंजिला मकान को बुलडोजर चला कर ध्वस्त कर दिया था ।
जिला अधिवक्ता मंच के पांच अधिवक्ताओं की ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई याचिका में यह दावा किया गया है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने जिस मकान को ध्वस्त किया है, वास्तव में उस मकान का स्वामी जावेद खुद नहीं है, बल्कि उसकी पत्नी परवीन फातिमा है। याचिका में यह भी बताया गया है कि उक्त मकान को जावेद की पत्नी परवीन फातिमा की शादी से पूर्व उनके माता पिता ने उन्हें गिफ्ट किया था। जावेद का उस मकान और जमीन पर कोई स्वामित्व ही नहीं है, इसलिए उस मकान का ध्वस्तीकरण कानून के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है।
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इस याचिका में यह भी दावा किया गया है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को सही ठहराने के लिए 11 जून कओ पीडीए ने परवीन फातिमा के मकान पर एक नोटिस चिपका दिया था। इस नोटिस में पूर्व की तारीख पर कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने का उल्लेख भी किया गया था। हालांकि ऐसा कोई भी नोटिस ना तो जावेद और ना ही उनकी पत्नी परवीन फातिमा को कभी भी प्राप्त हुआ है।
Prayagraj Violence, याचिका के अनुसार, सामाजिक कार्यकर्ता जावेद को 10 जून की रात गिरफ्तार कर 11 जून को खुल्दाबाद थाना में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। वहीं इस याचिका के साथ ही परवीन फातिमा के स्वामित्व संबंधी सभी दस्तावेज और 11 जून, 2022 की तारीख को मकान पर चिपकाए गए ध्वस्तीकरण नोटिस को भी संलग्न किया गया है। इस याचिका को दायर करने वाले अधिवक्ताओं में मोहम्मद सईद सिद्दीकी, केके राय, प्रबल प्रताप, राजवेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह, और नजमुस्सकिब खान शामिल है।