NASA Launch: NASA के वैज्ञानिक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतारने की अपनी महत्वकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं। लेकिन अपने इस मिशन के अलावा नासा बहुत कुछ करना चाहता है। नासा ने अपनी प्राथमिकता तय कर ली है कि उसे पहले क्या करना है?
NASA Launch वैज्ञानिकों ने सबसे पहले ग्रुइथुसेन डोम्स नाम के बेहद रहस्यमई जियोलॉजिकल आकृतियों की जांच करना चाहते हैं। यह ग्रेनाइट जैसी चट्टानों के 2 रहस्य टीले लगते हैं। जिनके बारे में वैज्ञानिकों का यह कहना है कि यह सिलिका वाले मैग्मा से बने हो सकते हैं।
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लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि इस प्रकार का मैग्मा आमतौर पर पृथ्वी पर, टेक्टोनिक प्लेटो के शिफ्ट होने के कारण से पानी तथा ज्वालामुखी गतिविधियों, दोनों की मौजूदगी में बनता है चंद्रमा पर इनमें से कोई भी मौजूद नहीं है।
इसके लिए नासा ने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक उपकरणों के दो अलग सेट भेजने की योजना बना ली है। जिसमें से एक इन रहस्यमई गुंबदों को पास से देखेगा। Lunar Vulkan Imaging and Spectroscopy Explorer-Lunar-VISE (लूनर वल्कन इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी एक्सप्लोरर) इसे लांच करने के लिए नासा प्राइवेट स्पेस इंडस्ट्री की मदद लेगा। ये 5 उपकरणों का एक सूट है। जिसमें से दो एक स्थिर लैंड पर माउंट होंगे एवं बाकी तीन मोबाइल रोवर पर लगाए जाएंगे।
एक्सप्लोरर के पास दो ग्रुइथुसेन डोम्स में से एक पर चढ़ने एवं इसकी रासायनिक संरचना का पता लगाने के लिए 10 दिन का वक्त होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि तब तक इसका रहस्य सामने आ जाएगा। नासा को यह उम्मीद है कि Lunar-VISE के नतीजे, आने वाले वक्त पर चंद्रमा के बाकी मिशनो के लिए भी मददगार साबित होंगे।
नासा का एक और मिशन है। Lunar Explorer Instrument for space biology Applications- LEIA (ल्यूनर एक्सप्लोरर इंस्ट्रूमेंट फॉर स्पेस बायोलॉजी एप्लिकेशन) पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण एवं रेडिएशन पर्यावरण के प्रभाव का अध्ययन करेगा। ये एक मॉडल है जो डीएनए डैमेज रिस्पांस तथा रिपेयर को समझने के लिए यूज किया जाता है। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो नासा इन दोनों पेलोड को वर्ष 2026 तक चंद्रमा पर लांच करेगा।
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कर्न्स के अनुसार दूसरे अध्ययन में चंद्रमा के निम्न गुरुत्व तथा विकिरण वाले वातावरण के खमीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। ये प्रतिमान जीव पृथ्वी पर डीएनए को होने वाले नुकसान तथा सुधार को समझने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ये भी अपनी तरह का पहला प्रयोग होगा, क्योंकि चंद्रमा के वातावरण का जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अब तक ऐसा अध्ययन नहीं किया गया है।
नासा के साइंस मिशन डायरेक्टरेट अन्वेषण के लिए डिप्टी एसोसिएशन एडमिनिस्ट्रेटर जोनल कर्न्स ने एक बयान में यह बताया है कि पहले अभियान चंद्रमा पर संरक्षित हो चुकी शुरुआती ग्रहीय पिंडो की भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगा। ये अध्ययन चंद्रमा की दुर्लभ प्रकार की ज्वालामुखी प्रक्रियाओं की पड़ताल करेगा।