Mahatma Gandhi Jayanati 2023: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अपने जीवन काल में जिन-जिन चीजों का इस्तेमाल किया उसकी बिक्री बाद मे हुई। लेकिन उनकी चीजों में सबसे ज्यादा महंगी बोली लगी थी उनकी गुजराती भाषा में लिखी दो पन्नों की वसीयत की।
इस पोस्ट में
आज 2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती (Mahatma Gandhi Jayanati 2023) मनाता है। यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय छुट्टी है और भारतीय लोग इस दिन को गांधी जी के समर्पण और उनके योगदान को याद करने के लिए मनाते हैं।
देश भर के स्कूलों में आज के दिन बहुत सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आज इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी से जुड़े हुए उन सामानों के बारे में जानकारी देंगे जिनकी नीलामी सबसे ऊंचे दामों पर हुई है। इस नीलामी में सबसे ज्यादा महंगी बोली गांधी जी की वसीयत की हुई थी। इसके अलावा गांधी जी की चमड़े की बैग और भूरे रंग के चप्पल की कीमत भी लाखों में बेची गई थी। इन दोनों ही चीजों के लिए खरीदारों ने लाखों के दाम चुकाएं थे।
हमारे राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी जी ने गुजराती भाषा में दो पन्नों में वसीयत लिखी थी। नीलामी के वक्त इस वसीयत की कीमत 55 हजार पाउंड लगी थी। यह कीमत वर्तमान समय में भारतीय करेंसी के हिसाब से 55 लाख रुपए से भी ज्यादा होती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस वसीयत की नीलामी के लिए 30 से 40 हजार पाउंड पर बोली शुरू हुई थी, जो 55 हजार पाउंड पर खत्म हुई। किंतु इस वसीयत का खरीदार कौन है इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं मिली है।
इसी नीलामी में गांधी जी के भूरे रंग के चमड़े की चप्पल की नीलामी भी हुई थी। खरीददारों ने इस चप्पल के लिए 19000 पाउंड की बोली लगाई थी और भारतीय रुपए में यह करीब 19 लख रुपए होंगे।
बीबीसी केक रिपोर्ट के अनुसार गांधी जी की यह चप्पल मुंबई के जुहू बीच के नजदीक बने घर में रहने वाले लोगों के पास से मिली। सन 1917 से लेकर 1934 तक गांधी जी यहीं पर रहे थे।
Deroia Murder Case, आखिर पुलिस क्या कर रही थी, बता रहे मारे गए दुबे परिवार के रिश्तेदार
बीजेपी की नेता ने Ramesh Bidhuri के खिलाफ की कार्रवाई की मांग, राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा पत्र
Mahatma Gandhi Jayanati 2023, महात्मा गांधी की वसीयत बहुत सादगी और सामाजिक सेवा के मूल्यों को प्रमोट करती थी। उनकी वसीयत में कुछ मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया था:
1. समाज सेवा: गांधी जी की वसीयत में समाज सेवा का महत्वपूर्ण स्थान था। वे अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा समाज की सेवा में लगाने की सलाह दी।
2. सादगी: उनकी वसीयत में वे यह भी कहते हैं कि उनके वस्त्र, खानपान, और जीवनशैली को सादगी में बनाए रखना चाहिए।
3. अहिंसा: गांधी जी ने अहिंसा के महत्व को बढ़ावा दिया और उनकी वसीयत में भी इसके महत्व को उजागर किया।
4. एकता: उनकी वसीयत में समाज में एकता और आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने की सलाह दी गई।
5. व्यक्तिगत संघटन: उन्होंने व्यक्तिगत संघटन (तंगना) की सलाह दी थी, जिससे संपत्ति का उपयोग सामाजिक सेवा के लिए हो सके।
महात्मा गांधी की वसीयत उनके मूल्यों और योगदान को जीवंत रखने का संदेश देती है और सामाजिक सुधार की दिशा में हम सभी का प्रोत्साहित करती है।
हाँ, यह सही है कि महात्मा गांधी की वसीयत में सादगी आपसी सौहार्द और सामाजिक सेवा का जिक्र था। वे अपने जीवनभर आस्था के साथ सादगी और आत्मसमर्पण के साथ जीते थे, और उनकी वसीयत भी इसी भावना को दर्शाती है। वसीयत में, वे ने अपनी परिधि को समाज सेवा और आपसी सौहार्द के लिए समर्पित करने की सलाह दी और अपने वस्त्रों के बारे में भी इसी मानसिकता को बयां किया। इसके माध्यम से वे आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने का संदेश देते हैं।