Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में राजनीतिक उथलपुथल शुरू हो गयी है । अभी तक स्थिर दिख रही महाविकास अघाड़ी सरकार( एमवीए) पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं । शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की मिली जुली सरकार से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर सरकार चला रहे उद्धव ठाकरे की कुर्सी सलामत नजर नहीं आ रही है । वजह वही है जो पिछले कुछ समय मे राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में थी । खबर आ रही है कि शिवसेना सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे अपने साथ करीब 29 विधायकों को लेकर ” गायब” हो गए हैं ।
सूत्रों के मुताबिक एकनाथ शिंदे अपने समर्थन के विधायकों को लेकर महाराष्ट्र छोड़कर जा चुके हैं । जैसा कि अंदेशा जताया जा रहा है मंत्रिमंडल में शामिल एकनाथ शिंदे से लेकर अन्य विधायकों के फोन भी पहुंच से बाहर बताए जा रहे हैं । जानकारी के मुताबिक शिंदे समेत अन्य विधायक भाजपा शासित गुजरात के सूरत में हैं । ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एकनाथ शिंदे बड़ा गेम खेलने के मूड में हैं और उद्धव ठाकरे की सरकार बस अब कुछ ही दिनों की बची है ।
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9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र में जन्मे एकनाथ शिंदे शिवसेना के प्रमुख नेताओं में से एक हैं । वह वर्तमान में उद्धव सरकार में नगर विकास मंत्री हैं । इसके अलावा एकनाथ शिंदे महाविकास अघाड़ी सरकार में सदन के नेता भी हैं । बता दें कि नेता सदन के रूप में एकनाथ शिंदे की नियुक्ति महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे के अनुमोदन पर हुई है । एकनाथ शिंदे 2014 से लेकर 2019 तक शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं ।
Maharashtra Politics, महाराष्ट्र के ठाणे जिले के पँचपखाडी से विधायक निर्वाचित होकर राज्य की उद्धव सरकार में मंत्री पद में विराजमान रहे हैं । बता दें कि एकनाथ शिंदे 2014 में करीब 2 महीने नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं । बताया जाता है कि एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे के पुत्र और महाविकास अघाड़ी सरकार में पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने सरकार में शामिल करवाया था ।
अपने समर्थन के विधायकों को लेकर सूरत पहुंचने वाले एकनाथ शिंदे का जीवन उतार चढ़ाव भरा रहा है । उन्होंने संघर्षमय जीवन जीते हुए फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है । बता दें कि एकनाथ शिंदे ने संघर्ष के दिनों में रिक्शा चलाकर अपना एवं परिवार का पेट भरा है । यही नहीं उन्होंने थाणे की बियर फैक्टरी और फिशरी जैसी जगहों पर भी काम किया है । वह जमीन से जुड़े नेता हैं और शिवसेना में ठाकरे के परिवार के बाद सबसे विश्वसनीय और कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं । 80 के दशक में शिवसेना से जुड़ने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
सन 2000 में एकनाथ शिंदे ने अपने बच्चों को एक हादसे में खो दिया था । इससे वह पूरी तरह से टूट चुके थे । राजनीति में जगह दिलाने वाले आनन्द दिघे जिन्हें शिंदे हमेशा अपना रोल मॉडल मानते रहे उन्होंने इस हादसे के बाद एकनाथ शिंदे को फिर से राजनीति में सक्रिय किया था । बता दें कि आनन्द दिघे ठाणे की राजनीति में सक्रिय रहे । 2001 में उनके निधन के बाद एकनाथ शिंदे ने ठाणे को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और कोपरी- पँचपखाडी से 2004 में विधायक निर्वाचित हुए ।
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वह 2004 से लेकर अब तक लगातार 4 बार कोपरी पँचपखाडी से विधायक हैं । माना जाता है कि शिवसेना में एकनाथ शिंदे की वफादारी रही है इसीलिए वह शिवसेना के विधायकों से भी गहरे जुड़े रहे हैं ।
एकनाथ शिंदे मंगलवार को महाराष्ट्र की राजनीति में ट्रेंड पर रहे । माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे अपने साथ 12 विधायकों को लेकर सूरत में हैं जहां वह बीजेपी के सम्पर्क में हैं । राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि एकनाथ शिंदे शिवसेना से बगावत कर सकते हैं । बता दें कि इससे पहले भी Maharashtra Politics में शिवसेना से बगावत करने वाले नेता रहे हैं । नारायण राणे और छगन भुजबल इनमें से हैं जिन्होंने शिवसेना से अलग होकर भाजपा में शामिल हो गए थे । ज्ञात हो कि कुछ समय पहले नारायण राणे ने बयान दिया था कि एकनाथ शिंदे जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं ।