Radcliffe Line: भारत का विभाजन 1947 में हुआ था जब ब्रिटिश शासन ने स्वतंत्रता आंदोलन से घबराकर हिंदुस्तान को आजाद कर दिया था वहीं ब्रिटिश शासन ने देश मे बढ़ती द्विराष्ट्रवाद की लहर को देखते और साम्प्रदायिक दंगों से मुक्ति के लिए जाते जाते भारत को दो हिस्सों में बांट दिया था। 14 अगस्त 1947 को भारत से अलग पाकिस्तान एक नया मुल्क बना जबकि जबकि ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत को सत्ता हस्तांतरण एक दिन बाद यानी 15 अगस्त 1947 को किया ।
वहीं भारत और पाकिस्तान को जिस रेखा के तहत विभाजित किया गया था वह रेड क्लिफ लाइन कहलाती है । बता दें कि भारत और पाकिस्तान के भूभाग को बांटने का जिम्मा सर सिरिल रेड क्लिफ को मिला था । उन्होंने 1 महीने के अल्प समय मे ही देश के बीच रेड क्लिफ रेखा खींच दी थी । आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे रेड क्लिफ ने भारत और पाकिस्तान के बीच रेडक्लिफ लाइन खींची ।
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भारत और पाकिस्तान के बीच सरहद खींचने का जिम्मा ब्रिटिश सर सिरिल रेडक्लिफ को दिया गया था । भारी दंगों और सांप्रदायिकता के चलते सर रेडक्लिफ को यह काम एक महीने के भीतर ही पूरा करने का जिम्मा दिया गया था । ऐसे में सर रेडक्लिफ और उनकी टीम ने सर्वेक्षण और क्षेत्रीय जानकारी जितनी भी मिली उसी आधार पर देश को दो हिस्सों में बांट दिया गया था । सर रेडक्लिफ ने भारत से पाकिस्तान को अलग करते हुए उन हिस्सों को पाकिस्तान को सौंपा जहां मुस्लिम आबादी अधिक थी ।
इस तरह जल्दबाजी से किये गए बंटवारे के घाव दोनो देशों ने सहे। बता दें कि सर रेडक्लिफ को ब्रिटिश शासन द्वारा भारत-पाकिस्तान के सीमा आयोगों का संयुक्त अध्यक्ष चुना गया था । सर रेडक्लिफ को अविभाजित भारत के 175000 वर्ग मील क्षेत्र को बांटने का जिम्मा मिला था । बता दें कि सर रेडक्लिफ और उनकी टीम ने 12 अगस्त 1947 को सीमांकन का कार्य पूरा कर लिया था जबकि इसे भारत की आजादी के 2 दिन बाद यानी 17 अगस्त 1947 को लागू किया गया ।
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जहां 2900 किलोमीटर लंबी रेडक्लिफ रेखा का पश्चिमी भाग एलओसी( भारत-पाकिस्तान सीमा रेखा) के नाम से जाना जाता है वहीं पूर्वी भाग भारत-बांग्लादेश सीमा के रूप में जाना जाता है । बता दें कि इतनी लंबी सीमारेखा में केवल 5 क्रासिंग पॉइंट्स हैं ।
सर सिरिल Radcliffe Line को भारत और पाकिस्तान के बीच सीमारेखा खींचने का समय 1 महीने से कुछ अधिक मिला था । बता दें कि सर रेडक्लिफ 8 जुलाई 1947 को सरहद बांटने भारत आये थे । आते ही उन्होंने और उनकी टीम ने जनगणना रिपोर्ट , धार्मिक नक्शे और अन्य जरूरी दस्तावेजों द्वारा सीमा रेखा पर काम करना शुरू किया । बता दें कि सर रेडक्लिफ ने धार्मिक जनसंख्या को आधार बनाकर सीमांकन का कार्य शुरू किया ।
यही नहीं दोनो देशों को बांटते समय उन्होंने भौगोलिक स्थिति, सिंचाई पैटर्न और सड़कों आदि कारकों का ध्यान रखा । बता दें कि सर रेडक्लिफ और उनकी टीम ने मुसलमानों और गैर मुसलमानों की बहुसंख्यक आबादी वाले क्षेत्रों का पता लगाया और उसी आधार पर पंजाब के दो हिस्सों का सीमांकन किया । इसमें प्राकृतिक सीमाएं, संचार माध्यम,जलमार्ग, सिंचाई प्रणाली और सामाजिक- राजनीतिक विचारों का भी ध्यान रखा गया था ।
बता दें कि सर Radcliffe Line को सीमांकन करने के लिए बहुत ही कम समय मिला था ऐसे में उनकी टीम को सर्वेक्षण और जानकारी इकट्ठा करने का पर्याप्त समय नहीं मिला । सर रेडक्लिफ द्वारा सीमांकन को अंतिम रूप देने से पहले मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी अपनी मांगे रखी थीं । कम समय होने के चलते दोनो देशों की सभी मांगे पूरी नहीं हो पायीं ऐसे में सरहद बंटने का खामियाजा दोनो ही देशों को झेलना पड़ा ।