प्राकृतिक आपदा तो बता कर नहीं आती, इसके जोखिम से बचने के लिए पूरी दुनिया में आज कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन सभी कार्यक्रमों में विमर्श का केंद्र भी रहता है कि अगर अब प्रकृति से छेड़छाड़ को नहीं रोका गया तो पृथ्वी पर जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा और पढ़ ही रहा है। मिट्टी का क्षरण, अंधाधुंध वृक्षों की कटाई, प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जल यह सब हमारे वजूद को कही न कहीं खतरे में डाल रहे हैं। हर साल पूरी दुनिया में प्राकृतिक आपदाओं के आंकड़े बहुत ज्यादे बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पूरे विश्व में 13 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस मनाया जाता है। दुनिया के लगभग सभी देशों में प्राकृतिक आपदाएं होती हैं। तथा ये जिंदगी के अस्तित्व में आने के बाद से मानव जाति के लिए एक आम बात है।
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इस ऐतिहासिक दिन का पालन करना बेहद ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये प्राकृतिक आपदा, उनके परिणाम, उनकी विभिन्न श्रेणियों तथा प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक मंच है। दरअसल इस दिन प्राकृतिक आपदाओं के बारे में ज्ञान फैलाने के लिए स्कूलों तथा शैक्षणिक संस्थाओं में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। हालांकि राज्य के साथ-साथ
राष्ट्रीय अस्तर पर भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ताकि सभी प्रकार की घटनाओं के लिए सारे लोगों को तैयार किया जा सके। क्योंकि दुनिया में सारे लोगों को आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया जाता है। इससे पहले कि वह किसी भी प्रकार की आपदा का शिकार बने आपदा को भी दूर करने पर जोर दिया जाता है। इससे सारे लोगों को ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की घटना के साथ मानव जाति के जोखिम के बारे में भी जानकारी मिलती है।
राष्ट्रीय आपदा के निवारण के लिए सन् 2009 से अंतरराष्ट्रीय दिवस की शुरुआत हुई। अक्टूबर के दूसरे बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्राकृतिक आपदा को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का पालन करने का निर्णय लिया गया था। बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64/200 रिजाॅल्यूशन, जो कि 21 दिसंबर 2009 को पारित किया गया। जिससे दूसरे बुधवार के एक क्लॉज में संशोधन किया गया तथा एक निश्चित तारीख प्रत्येक वर्ष की 13 अक्टूबर को प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने के लिए तय की गई। इस दिवस का मकसद लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ाने तथा उन्हें पूरी दुनिया में आपदाओं के खतरों को कम करने के लिए कार्यवाही करने के लिए प्रोत्साहित करना था। संयुक्त राष्ट्र को आपदा न्यूनीकरण के तीसरे विश्व सम्मेलन में उन लोगों द्वारा की गई लापरवाही से अवगत कराना था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1889 को अक्टूबर की दूसरी बुधवार को प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया था। प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के अंतरराष्ट्रीय दशक से इस घटना को 1990 से 1999 के दौरान प्रतिवर्ष मनाया जाना था। 20 दिसंबर 2001 को विधानसभा में आपदा से बचाव, शमन तथा तैयारियों सहित प्राकृतिक आपदा में कमी की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पालन को बनाए रखने का निर्णय लिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे वैश्विक स्तर पर आप बताओ कि खतरे को कम करने तथा जागरूकता बढ़ाने के तरीके, समाधान व योजनाओं को पूरा करने के साथ बढ़ावा देने के उद्देश्य से तय किया गया था। सेंडाइ सेवन अभियान को यू एनडीआरआर ने ही शुरू किया था। इसमें भूकंप, बाढ़, सुनामी, बिजली गिरना जैसी आपदाओं से निपटने के लिए यानी कि आपदाओं के नुकसान को कम से कम करने के लिए सात लक्ष्य का प्रेम और के तैयार किया गया।