Kolkata: कबाड़ को कला के जरिए ही कीमती बनाया जा सकता है। हालांकि भारत का पहला टायर पार्क कला का एक नमूना है। ये पार्क कचरे से बनकर तैयार हुआ है। लेकिन इसकी खूबसूरती को देखकर आप यह बिल्कुल भी नहीं बोल सकते कि यह कचरा है।
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न्यूज़ 18 Bengal report के मुताबिक Kolkata भारत का पहला “टायर पार्क” बनाने के लिए पूरी तरह से ही तैयार है । ये पश्चिम बंगाल राज्य परिवहन विभाग द्वारा एक बस डिपो बनाया गया है। इसे बनाने के लिए बेकार हो चुकी चीजों का उपयोग किया गया है।
एक अधिकारी ने बताया कि हमारा विचार कचरे को कला में परिवर्तित किया जा सकता है। कोई भी चीज बेकार नहीं होती और यह एक संदेश है। जिसके साथ ही कोलकाता में एक अनूठा टायर park बन रहा है।
पीटीआई के मुताबिक उद्घाटन की तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आस्थापना को पूरा करने के लिए वर्कर तथा आर्टिस्ट दिन भर काम कर रहे हैं। WBTC के MD राजनवीर सिंह कपूर ने यह कहा कि बहुत ही भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में शांति का द्वीप होगा।
उन्होंने कहा कि इस अवधारणा के पीछे का मुख्य विचार यह है कि कचरे को कैसे कला में तब्दील किया जाए। हालांकि पश्चिम बंगाल परिवहन निगम के प्रबंधक निर्देशक राजनवीर ने यह बताया है कि किसी भी रद्दी सामान को कचरा नहीं कहा जा सकता। इसका दोबारा उपयोग हो सकता है तथा इसे काला का रूप दिया जा सकता है।
उन्होंने आगे बताया कि कई बस डिपो का उपयोग से हटाए गए टायरों पर दोबारा काम किया गया। डब्ल्यूबीसी की टीम ने उन्हें रंग-बिरंगे आकार में बदला है। कपूर ने बताया कि ये टायर पार्क एस्प्लानेड इलाके में खुलेगा। यहां पर एक छोटा पार्क कैसे भी हो तथा जहां लोग बैठ कर आराम से काम कर सकते हैं। टायर से बनी कलाकृतियों को देखकर आनंद उठा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जल्दी इसकी शुभारंभ की तारीख की घोषणा होगी।
Kolkata “द सिटी ऑफ जॉय” जिसको पहले कलकत्ता के नाम से ही जाना जाता था। ये भारत के सबसे बड़े शहरों में से भी एक हैं। जोकि हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। जो तभी बंगाल की खाड़ी की फिर से करीब 96 मील यानी कि 154 किलोमीटर ऊपर की तरफ गंगा नदी का मुख्य चैनल था। ये बात बहुत दिलचस्प है कि इससे पहले कलकत्ता शहर साल 1772 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की राजधानी था।
जनवरी 2001 को कलकत्ता को आधिकारिक तौर पर कोलकाता का नाम दिया गया तथा 24 अगस्त 1686 को 2003 में उच्च न्यायालय के आदेश से पहले कोलकाता की स्थापना दिवस के रूप में मनाया गया।
जब Manish Kashyap से जम के हो गई बहस
रविंद्र नाथ टैगोर, सीवी रमन, अमर्त्य सेन और सत्यजीत रे कुछ प्रसिद्ध बंगाली हैं। जो कोलकाता में रहते थे। जिनका राज्य तथा देश में योगदान हमेशा के लिए याद किया जाएगा।