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India Russia Relations: रूस से भारत ने 25 गुना ज्‍यादा तेल आयात कर, दो देशों की दोस्ती को किया मज़बूत,पुतिन संग जल्द होगी मोदी की बैठक, क्‍या करेंगे बाइडन भैया?

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India Russia Relations: भारत और रूस के बीच हुई दोस्‍ती यूक्रेन युद्ध के बीच और ज्‍यादा मजबूत होती जा रही है। भारत ने पश्चिमी देशों की तमाम धमकियों के पश्चात भी रूस से बड़े पैमाने पर तेल की खरीद करना जारी रखा है। यह आयात अब 25 गुना बढ़ा दिया गया है। वहीं भारत के पीएम मोदी पुतिन के साथ ब्रिक्‍स की बैठक में भी शामिल होने जा रहे हैं।

यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका की धमकियों के बाद भी भारत अपने नए दोस्‍त रूस के साथ चट्टान की तरह से कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ है। भारत देश ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से खुद को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर रूस से सस्‍ता तेल आयात कर रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका के प्रतिबंधों के बीच भारत के रूस से तेल आयात में 25 गुना की वृद्धि दर्ज हुई है।

इससे रूस को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की मार से बचने में काफी हद तक मदद मिल रही है।इसी बीच अब पीएम मोदी गुरुवार को ब्रिक्‍स देशों की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं जिसमें रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग भी इस बैठक का हिस्सा होंगे।

यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत के रूस से तेल आयात में 25 गुना ज़्यादा की वृद्धि दर्ज हुई है

वाल स्‍ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात में 25 गुना की बढ़ोतरी कर दी है। युद्ध शुरू होने से पहले भारत रूस से फरवरी में हर दिन लगभग 30 हजार बैरल कच्‍चा तेल खरीदता था और जून में यह आंकड़ा बढ़ कर 10 लाख बैरल प्रतिदिन पहुंच गया है। यह यूरोप के रूस से आयात का एक चौथाई हिस्सा है।

इससे पहले यूरोपीय देशों के मंत्रियों ने यह ऐलान किया था कि वे इस साल के अंत तक रूस से तेल के आयात को 90 फीसदी तक कम कर देंगे। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत ने अपनी कंपनियों से कहा है कि वे रूस से बड़े पैमाने पर कच्‍चे तेल का आयात जारी रखें।

अमेरिका सहित पश्चिमी देश लगातार भारत पर बना रहे है आंशिक दबाव

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India Russia Relations, उधर भारत ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि तेल की खरीद का फैसला ऑयल कंपनियों का है। भारत के अलावा तुर्की और चीन जैसे देशों ने भी रूस से सस्‍ता तेल खरीदने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। अमेरिका समेत पश्चिमी देश लगातार भारत पर यह दबाव बना रहे हैं कि वह रूस से तेल की खरीद को कम करे ताकि उनके प्रतिबंधों का असर रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़े।

पश्चिमी देशों का मानना है कि तेल और गैस के पैसों के बल पर रूस यूक्रेन युद्ध को जारी रख रहा है। भारत की कंपनी इंडियन ऑयल अभी और तेल खरीद बढ़ाने पर जोर दे रही है।दरअसल, रूस भारत को बंपर छूट पर तेल आफर कर रहा है और यही वजह है कि उसका आयात बढ़ रहा है। भारत देश तेल का सबसे बड़ा आयातक है और सस्‍ते तेल की वजह से भारत को बड़ा आर्थिक फायदा होने की संभावना है। इसकी वजह से महंगाई को काबू में रखने में बड़ी मदद मिल रही है।

इसी बीच ब्रिक्‍स देशों की गुरुवार को एक बैठक होने जा रही है। इस वर्चुअल बैठक में पीएम मोदी, पुतिन, शी जिनपिंग, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्राध्‍यक्ष भी हाज़िर हो रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार ऐसी किसी बैठक में हिस्सा ले रहे हैं जिसमें दुनिया की शीर्ष अर्थव्‍यवस्‍थाएं भी शामिल हैं।

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दुनिया में अकेले नहीं हैं पुतिन, ब्रिक्‍स बैठक से जाएगा संदेश

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India Russia Relations, पश्चिमी देशों से बहिष्‍कार झेल रहे पुतिन के लिए यह एक ल बड़ा मौका है और यह इस बात का संकेत भी है कि रूस के ऊपर चाहे कितना भी प्रतिबंध लगा दिया जाए वह खुद को अकेला महसूस न करे। रूस के साथ एकता का यह संदेश उस समय और ज्‍यादा साफ हो गया था जब कुछ समय पहले चीन और रूस ने ऐलान किया था कि दोनों के बीच संबंधों में अब कोई भी सीमा नहीं होगी। भारत देश समेत ब्रिक्‍स के किसी भी देश ने अभी तक रूस के हमले की कड़ी निंदा नहीं की है।

India Russia Relations, विशेषज्ञों का मानना है कि इन बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के मंत्री पुतिन के साथ दिखाई देने के इच्‍छुक नज़र आ रहे हैं। उनका कहना है कि पुतिन का ब्रिक्‍स में हार्दिक स्‍वागत है और भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के लिए यह वह अछूत बिल्कुल नहीं हैं। यह सम्‍मेलन हर साल आयोजित होता है और इस साल भी आयोजित हो रहा है जो पुतिन के लिए बहुत अच्‍छा साबित हो सकता है।

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