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Debt On India: केंद्र सरकार की जितनी कमाई हो रही है उससे ज्यादा उसे खर्च करना पड़ रहा है अब सरकार को लेना पड़ रहा है मोटा कर्ज खबर आई है कि सरकार आगामी वित्त वर्ष की पहली छमाही में साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है
तो चलिए आपको बताते हैं इस खबर के बारे में विस्तार से
आज हम जानेंगे कि ऐसी क्या मजबूरी है कि सरकार को इतना भारी कर्ज लेना पड़ रहा है सरकार को यह पैसा कैसे और कहां से मिलेगा
आगे हम जानेंगे कि देश पर कुल कितना कर्ज है और आने वाले समय में यह कर्ज कितना बढ़ने वाला है
मोदी सरकार वित्त वर्ष 2023 और 24 के पहले 6 महीने में यानी कि अप्रैल से सितंबर के बीच बांड जारी करके साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। सरकार ने बजट में फाइनेंशियल ईयर 2024 और 25 में बाजार से 14.13 लाख करोड़ रुपए की उधारी का अनुमान तय किया है। इस तरह से सरकार अपने कुल के लक्ष्य का करीबन 53% अगले 6 महीना में छुटने जा रही है।
आखिर सरकार इतना कर्ज क्यों ले रही है जिस तरह से आप और हम अपने घर का बजट बनाते हैं उसी तरीके से सरकार भी देश का बजट बनाती है। सरकार की कितने रुपए की आमदनी किस जरिए से होगी और कितना खर्च होगा उसका पूरा हिसाब किताब उसके बजट में होता है।
जिस तरीके से हमें और आपको अपने कमाई और खर्च का अंतर पूरा करने के लिए कई बार दोस्तों से रिश्तेदारों से या फिर बैंक से उधार लेना पड़ता है वैसे ही सरकार को भी अपना खर्च पूरा करने के लिए पैसे उधार लेने पड़ जाते हैं। सरकार की आमदनी टैक्स और ड्यूटी से होती है लेकिन सरकार की कमाई से ज्यादा उसका खर्च होता है जो की सरकारी योजनाओं और राज्यों को देने के लिए पेंशन देने के लिए सब्सिडी देने के लिए और डिफेंस पर होता है इसलिए सरकार को कर्ज लेने की नौगत आती है।
Debt On India यह कर्ज सरकार बांड के जरिए जुटाती है सरकार की तरफ से इन बॉन्ड की बिक्री रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया करता है इसके जरिए आरबीआई नीलामी के लिए हर शुक्रवार को बॉन्ड इश्यू करता है सरकारी बॉन्ड निवेश के लिहाज से बहुत ही सिक्योर माना जाता है क्योंकि इसमें खुद सरकार की गारंटी होती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में बताया था की सरकार 2024 और 25 में 47 लाख 65 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करेगी। इस खर्च के लिए 30, 32 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई तो टैक्स और दूसरी अन्य जगहों से हो जाएगी लेकिन बाकी की खर्च को पूरा करने के लिए सरकार उधार लेगी।
Debt On Indiaवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में राजस्व अंतर को पूरा करने के लिए सिक्योरिटी यानी बॉन्ड के जरिए 14.13 लाख करोड़ रुपए जुटाने का प्रस्ताव किया था।
इस हिसाब से सरकार चालू वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा उधार लेगी इसमें आपको हम बता दे कि अगर सरकार ₹1 कमाती है तो उसका 28 पैसा उधारी का होगा 19 पैसे इनकम टैक्स और 18 पैसे जीएसटी से मिलेंगे 17 पैसे कॉरपोरेशन टैक्स और 5 पैसा एक्साइज ड्यूटी और 4 पैसा कस्टम से आएगा और बाकी का पैसा नॉन डेट कैपिटल और नान टैक्स रिसिप्ट्स से आएगा।
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सरकार जो ₹1 कमाएगी उसका 20 पैसा तो लिए गए कर्ज पर ब्याज चुकाने में निकल जाएगा फिर 20 पैसा राज्यों में बटेगा 16 पैसा केंद्र की योजनाओं और 8 पैसा केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर जाएगा। इन सब के बाद 8, 8 पैसा वित्त आयोग और डिफेंस के पास चला जाएगा 6 पैसा सब्सिडी में और 4 पैसा पेंशन पर खर्च हो जाएगा।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब सरकार कर्ज लेकर अपने खर्चों को पूरा कर रही हो चाहे किसी भी सरकार की बात करें सरकारी खर्चें चलाने में कर्ज बहुत बड़ा सहारा है मनमोहन सिंह की सरकार में जो कमाई होती थी उसमें से 27 से 29 पैसा कर्ज से आता था जब कमाई कम और खर्च ज्यादा होता है। तो सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता है।
पिछले साल अगस्त में सरकार में लोकसभा में कर्ज के बारे में जानकारी दी थी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था 31 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 57.1 फ़ीसदी हिस्सा कर्ज का है यानी की जितनी देश की जीडीपी है उसका 57 फ़ीसदी से ज्यादा तो कर्ज है।
Debt On India: लोकसभा में सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि 31 मार्च 2014 तक देश पर करीबन 59 लाख करोड़ रुपए का खर्चा था जो 31 मार्च 2023 तक बढ़कर के 156 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। 2024 और 25 के बजट दस्तावेज के अनुसार 31 मार्च 2024 तक देश पर कुल कर्ज 168.72 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है। 31 मार्च 2025 तक या कर्ज बढ़कर लगभग 184 लाख करोड़ रुपए हो सकता है।
चालू वित्त वर्ष के लिए बजट की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारत का लक्ष्य राजकोषीय अंतर को सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 5.9 फीसदी तक सीमित करना है जो उस से पिछले वित्त वर्ष में 6. 4 फ़ीसदी था।
Debt On India: सरकार के कुल राजस्व और व्यय के बीच में के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसको बजट घाटा भी कहते हैं। वहीं भारत का चालू खाते का घाटा अक्टूबर दिसंबर में घटकर के साढ़े 10 अरब डॉलर यानी करीबन 87500 करोड़ रुपए रह गया है।
यह जीडीपी के 1.02 फ़ीसदी के बराबर है इससे पिछली जुलाई सितंबर तिमाही में यही 11.4 अरब डॉलर यानी 95000 करोड़ रुपए और 1 साल पहले 2022-23 की अक्टूबर तिमाही मे यही 16.8 अरब डॉलर यानी 140000 करोड़ रुपए था।
Debt On India: भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से 26 मार्च 2024 को जारी आंकड़ों में यह जानकारी मिली है इन आंकड़ों में कहा गया है कि अप्रैल दिसंबर 2023 के दौरान नेट एफ़डीआई इन्फ्लो करीब 71 हजार करोड़ रुपये था जबकि अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान या करीबन 180000 करोड़ रुपए रहा था।