Cow Dung Manufacturers: पर्यावरण को बचाने और पर्यावरण के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले अनेकों लोगों और अनेकों योजनाओं के बारे में आपने सुना होगा। लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सुना है, कि गोबर के जरिए कोई शख्स चप्पल बनाता हो अथवा मूर्ति इत्यादि बनाकर उन्हें मार्केट में बेंचता हो। अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने वाले हैं। जिसने पर्यावरण को बचाने के लिए मार्केट में गोबर से बने 30 तरीके के उत्पाद उतारे हैं।
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आपको बता दें, कि गोबर से क्रांति लाने वाले इस युवक का नाम है, रितेश अग्रवाल और यह छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित गोकुल नगर का निवासी है। आपको बता दें, कि अपनी स्नातक तक की शिक्षा पूरी करने के बाद इस शख्स ने कई कंपनियों में कार्य किया। लेकिन पर्यावरण की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए इसका मन नौकरी में नहीं लगा। अतः नौकरी छोड़कर पर्यावरण पर कार्य करना शुरू किया।
नौकरी छोड़ने के बाद रितेश अग्रवाल ने एक गौशाला से जुड़कर अपना कार्य शुरू किया और वहीं पर इन्हें गोबर से जुड़े हुए उत्पाद बनाने का मौका मिला। इसके अतिरिक्त रितेश अग्रवाल ने राजस्थान के जयपुर और हिमाचल प्रदेश में जाकर गोबर से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी हासिल किया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2018 में राज्य सरकार द्वारा संचालित गौठान मॉडल से जुड़कर काम करना शुरू किया।
जब रितेश अग्रवाल को गोबर से उत्पाद बनाने का हुनर प्राप्त हो गया। तो उन्होंने “एक पहल” नाम से एक संस्था शुरू की और उसके जरिए गोबर से बैग पर्स मूर्ति दीपक इत्यादि बनाना शुरू कर दिया। इस प्रकार उन्होंने पर्यावरण को सुधारने के लिए गोबर क्रांति ला दी।
आपको बता दे, कि रितेश अग्रवाल की गौशाला में 350 गाय हैं। इन गायों के गोबर से रितेश अग्रवाल 30 तरीके के उत्पाद बनाते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा मांग वाला उत्पाद चप्पल है।
आपको बताते चलें की एक किलो गोबर से 10 चप्पल बनाई जाती है।अगर यह चप्पल बारिश में भी जाएं तब भी खराब नहीं होती और इसे सुखाकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। एक साक्षात्कार में रितेश अग्रवाल बताते हैं, कि उन्होंने अब तक 1000 चप्पल बेची हैं। जो उन्होंने अपने गोशाला में गोबर से बनाई थी।
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आपको याद होगा, कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस बार जब अपना वित्तीय बजट पेश किया था। तो वह बजट गोबर से बने एक बैग में पेश किया गया था।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह बैग रितेश अग्रवाल की संस्था एक पहल द्वारा बनाया गया था। और इसको बनाने में 10 दिन का समय लगा था,आपको पता होगा कि गोबर में रेडिएशन कम करने की क्षमता होती है। इसलिए इसका प्रयोग स्वास्थ्य के हिसाब से काफी अच्छा होता है। इस प्रकार रितेश अग्रवाल पर्यावरण को बचाने के लिए गोबर क्रांति लेकर समाज के बीच उतरे हैं। और आज इनकी हर तरफ सराहना हो रही है।