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कौन हैं Bhupen Hazarika? Google ने 96वीं जयंती पर बनाया खास Doodle

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Bhupen Hazarika: Google डॉ भूपेन हजारिका की 96वीं जयंती पर ट्रिब्यूट देते हुए एक कलात्मक डूडल बनाया है। हजारिका (Google Doodle Bhupen Hazarika) एक संगीतकार, गायक, कवि, गीतकार और फिल्म निर्माता थे। सुधाकंठ के नाम से मशहूर भूपेन हजारिका ने अपने छह दशकों के करियर में सैकड़ों फिल्मों में काम किया था। हजारिका का जन्म 8 सितंबर, 1926 को असम के तिनसुकिया जिले के छोटे से शहर सादिया में हुआ था। वह विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र नदी के बारे में गीत और लोक कथाएँ सुनते हुए बड़े हुए थे।

उन्होंने सिर्फ 10 साल की उम्र में अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था। आज के गूगल डूडल (Hazarika Google Doodle today) में डॉ भूपेन हजारिका हारमोनियम बजाते हुए नजर आ है। इस Doodle (Bhupen Hazarika Google Doodle today) को मुंबई की फेमस गेस्ट आर्टिस्ट रुतुजा माली ने तैयार किया है। डॉ हजारिका, का 2011 में निधन हो गया था। उन्होंने 1967-72 के दौरान असम विधानसभा में विधायक के रूप में भी काम किया था।

कौन हैं डॉ Bhupen Hazarika

Bhupen Hazarika

नॉर्थ ईस्ट इंडिया के प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक सुधारक Bhupen Hazarika  का जन्म 8 सितंबर, 1926 को सादिया में हुआ था। इनके माता- पिता का नाम नीलकंठ और शांतिप्रिय हजारिका था। असम राज्य विभिन्न जनजातियों का घर रहा है। अपने बचपन से ही हजारिका की जिंदगी गीतों से घिरी हुई थी। फेमस असमिया गीतकार ज्योतिप्रसाद अग्रवाल और फिल्म निर्माता, बिष्णु प्रसाद राभा भी हजारिका की संगीत प्रतिभा से प्रभावित थे। उन्होंने अपना पहला गाना रिकॉर्ड करने में भी हजारिका की बहुत ही मदद की थी।

12 साल की उम्र में हजारिका (Google Doodle Bhupen Hazarika)  ने दो फिल्मों के लिए गीत लिखे और रिकॉर्ड किये थे। हजारिका (Who was Dr. Bhupen Hazarika)  को अपने गीतों के माध्यम से एकता और साहस, सुख-दुःख,  रोमांस और अकेलेपन, और यहां तक कि संघर्ष और दृढ़ संकल्प के बारे में कहानियां बताना बहुत पसंद था।

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डॉ Bhupen Hazarika की शिक्षा

संगीतकार ने 1942 में कॉटन कॉलेज से कला में इंटरमीडिएट और 1946 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से एमए पूरा किया। वह पांच साल तक न्यूयॉर्क में रहे, जहां उन्होंने 1952 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी।  पढ़ाई पूरी करने के बाद हजारिका भारत लौट आए। उन्होंने असमिया संस्कृति को बढ़ावा और राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर  लोकप्रिय बनाने वाले गीतों और फिल्मों पर काम करना जारी रखा। हजारिका (Who was Dr. Bhupen Hazarika)  भारत सरकार के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम सहित कई बोर्डों और संघों के अध्यक्ष और निदेशक के रूप में काम किया।

उन्होंने ‘बिस्तिरनो परोरे’, ‘मोई एति जजाबोर’, ‘गंगा मोर मां’, ‘बिमुर्तो मुर निक्सती जेन’, ‘मनुहे मनुहोर बाबे’ और ‘बुकु होम होम कोरे’ सहित कुछ सबसे प्रसिद्ध असमिया गीतों की रचना की। एक संगीतकार और पार्श्व गायक होने के अलावा, वह एक बेहद प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता थे जिन्होंने कुछ सबसे यादगार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता असमिया फिल्में बनाईं। उन्होंने ‘शकुंतला सुर’ (1961) और ‘प्रतिध्वनि’ (1964) जैसी अवॉर्ड विनिंग असमिया फिल्मों का निर्देशन भी किया।
हिंदी सिनेमा में वे ‘अरोप’, ‘एक पल’ और ‘रुदाली’ जैसी बेहतरीन फिल्मों के संगीत निर्देशक बने थे।

भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न का मिला सम्मान

Bhupen Hazarika

अपने  करियर में संगीत और संस्कृति में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए, हजारिका को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म श्री और असम रत्न’ जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 2019 में, उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित नवाजा गया था। 2011 में, मुंबई, महाराष्ट्र में मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से उनकी मौत हो गई।

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