Categories: News

“bail, not jail”: जांच एजेंसियां अटकलों के आधार पर किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल बेल न दिया जाना गलत – सुप्रीम कोर्ट

Published by

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme court) ने एक बार फिर जेल नहीं बेल (“bail, not jail”) के सिद्धांत पर जोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए खतरा है ऐसा डर बताकर अनिश्चितकाल के लिए जेल में रखना योग्य नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार किसी भी व्यक्ति को सिर्फ इस आधार पर अनिश्चितकाल के लिए जेल में सरासर ग़लत है जिसमें जांच एजेंसियां अटकलों के आधार पर किसी व्यक्ति की गतिविधियों को बड़ी साजिश मान लिया जाता है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता दिया जाता है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने सीमा पार पशु तस्करी मामले के कथित मुख्य आरोपी मोहम्मद इनामुल हक (Md Enamul Haque) को जमानत देते समय की थी।

क्या एक साल जेल में बिताना भी जांच के लिए काफी नहीं है? – सुप्रीम कोर्ट

केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में मोहम्मद इनामुल हक के अलावा बीएसएफ के एक कमांडेंट को भी उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था। इस मामले में यह आरोप लगाया गया था कि तस्करी की गतिविधियों से प्राप्त हो रहे कैश को कथित तौर पर राजनीतिक दलों और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को दी जा रही थी। इस मामले में सीबीआई वकील ने जब यह कहा कि इस बड़ी साजिश की जांच अभी लंबित है, तो जस्टिस चंद्रचूड़ और माहेश्वरी ने पूछा, यह ऐसी खुली जांच है जो हमें समझ में नहीं आ रही है। जब इस मामले में किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक हिरासत में ही रखा जा रहा है तब बड़ी साजिश की जांच में मदद मिलना किस प्रकार संभव है। खासकर के तब जब अन्य आरोपियों को तो जमानत दे दी गई है? इस मामले में एक व्यक्ति ने एक साल दो महीने तक जेल में कैद काटी है, क्या बड़ी साजिश की जांच में इतना वक्त पर्याप्त नहीं हो सकता?

बेल न दिया जाना गलत

सुप्रीम कोर्ट में इनामुल हक की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि सीबीआई ने पशु तस्करी के मामले में पिछले साल 6 फरवरी, 2021 को चार्जशीट दाखिल की थी। इसके लिए अदालत ने भी पिछले साल ही 21 फरवरी को पूरक चार्जशीट भी दायर की थी। इसके बाद बीएसएफ के कमांडेंट समेत अन्य सभी आरोपियों को अदालत से जमानत मिल गई लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने हक की जमानत नामंजूर कर दी थी। रोहतगी ने कहा कि इस मामले में ज्यादा से ज्यादा 7 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। अब ऐसे में 1 साल से ज्यादा वक्त तक जमानत न दिया जाना सरासर गलत है।

किसी बड़ी साजिश के अंदेशे पर जांच लंबित

कोर्ट के इस फैसले पर सीबीआई के वकील ने कहा कि इनामुल हक पशु तस्करी का मास्टरमाइंड है। इसमें बीएसएफ के लोग, कस्टम अधिकारियों, लोकल पुलिस समेत अन्य लोगों की भी मिलीभगत है। हक के लिए लुक आउट नोटिस तो अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन वह बांग्लादेश के रास्ते लैंड रूट से बंगाल पहुंचा है। इससे यह बिल्कुल ही साफ है कि उसे स्थानीय पुलिस से मदद मिलतीत है और वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी बड़ी साजिश का अंदेशा है और इस तस्करी के मामले की जांच फिलहाल लंबित है।

Share
Published by

Recent Posts