Air Force New Uniform: जोश और जुनून के साथ 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना ने अपना 90वां स्थापना दिवस मनाया। Air force day पर शनिवार को चंडीगढ़ के एयर फोर्स स्टेशन 12 विंग में परेड एवं फ्लाईपास्ट का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में एयर चीफ मार्शल वीके चौधरी एवं पश्चिमी वायुसेना कमान के एयर कमांडिंग इन चीफ श्रीकुमार प्रभाकरन की मौजूदगी में हवाई सेना की नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म भी लॉन्च किया गया। तो आइए जानते हैं नई वर्दी की खासियत के बारे में।
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बता दें कि Air force day में विंग कमांडर कुणाल खन्ना एवं उनकी टीम ने वायु सेना की नई युद्धक वर्दी प्रदर्शित की। एयर फोर्स की ओर से शेयर की गई नई वर्दी आटीबीपी के जवानों की वर्दी से ही मिलती-जुलती नजर आ रही है। हालांकि इस वर्दी का उपयोग फाइटर प्लेन उड़ाने वाले पायलट युद्ध के दौरान करेंगे।
Indian Air force में काॅम्बैट टी-शर्ट को पहली बार शामिल किया गया है। Air force की खासियत के बारे में बात करें तो पहली खासियत यह है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी हैं। इसका रंग और डिजाइन प्रकृति के अनुरूप है। इसके बदौलत दुश्मन को आसानी से चकमा दिया जा सकता है।
Air force की नई वर्दी का फैब्रिक काफी आरामदायक है। ये हल्की है एवं स्ट्रेचेबल यानी कि लचीला है। इस वर्दी में टीशर्ट, शर्ट व पेंट के अलावा टोपी एवं जूते भी अलग हैं। जो दुश्मनों को डिस्ट्रैक्ट करने में भी मददगार है। युद्ध के मैदान में ये आगे बढ़ने में मददगार होगा। ये एक तरह से पारंपरिक सुरक्षा कवच भी प्रदान करता है।
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Air Force New Uniform, आपको बता दें कि पहली बार इसका सेलिब्रेशन हिंडन एयर बेस से बाहर चंडीगढ़ में हुआ। वहीं पर इस मौके पर Air force ने नई कॉम्बैट यूनिफार्म का भी अनावरण किया। इसकी एक फोटो समाचार एजेंसी ने शेयर की है। फोर्स की ओर से शेयर की गई नई वर्दी आटीबीपी के जवानो से मिलती जुलती नजर आ रही है। इस वर्दी का यूज़ फाइटर प्लेन उड़ाने वाले पायलट युद्ध के दौरान करेंगे।
Indian Air force की स्थापना तत्कालीन ब्रिटिश शासन के समय 8 अक्टूबर 1932 को किया गया था। पहला ऑपरेशनल स्क्वाड्रन 1933 में 6 आरएएफ-प्रशिक्षित अधिकारियों एवं 19 वायु सेना के सैनिकों के साथ बनाया गया था। हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू में बल को ब्रिटिश साम्राज्य की रॉयल Air force की सहायक वायु सेना के रूप में बनाया गया था। उस वक्त इंडियन एयर फोर्स को मुख्य रूप से जापानी आक्रमण को रोकने के लिए वर्मा में जापानी हवाई अड्डों को नष्ट करने के लिए तैनात किया जाता था।