आपको पता है कि भारत सरकार ने पद्मश्री व पद्मविभूषण जैसे पुरस्कारों की घोषणा की है परंतु इसी बीच कई नाम ऐसे उभर कर आये हैं जो पद्मश्री पुरस्कार लेने से मना कर रहे हैं ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों?
पदमश्री पुरस्कार लेने से मना करने वाले नामो में से एक बड़ा नाम संध्या मुखर्जी का है,हम आपको बता रहे हैं कि आखिर यह संध्या मुखर्जी कौन हैं और इन्होंने पद्मश्री लेने से क्यों मना किया।
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आपको बता दें कि संध्या मुखर्जी 60 और 70 के दशक की एक बहुत सुप्रसिद्ध गायिका है उन्होंने दर्जनों भाषा में गाने गाकर संगीत जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है|उन्होंने एस डी बर्मन ,अनिल विश्वास, मदन मोहन रोशन और सलिल चौधरी सहित कई संगीत निर्देशकों के साथ काम भी किया है,और संगीत के क्षेत्र में इनका एक बड़ा नाम व लम्बा इतिहास रहा है आज यह पुनः चर्चा में इसलिये हैं क्योंकि इन्होंने पद्मश्री लेने से मना कर दिया है।
आपको पता है कि आज देश अपना 73 वा गणतंत्र दिवस मना रहा है|इसी मौके पर सरकार ने पद्मश्री और पद्मविभूषण जैसे पुरस्कारों की घोषणा की जिसमें कला खेल साहित्य और सामाजिक क्षेत्रों में अपने खास योगदान दिए जाने वाले महिला या पुरुष को यह सम्मान मिलने वाले थे इसी दौरान हिंदी सिनेमा की मशहूर और सम्मानित गायिका संध्या मुखर्जी को भी पद्मश्री मिलने वाला था जिसको लेने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया है और अब यह एक बड़ा मुद्दा बनकर मीडिया में छाया हुआ है।
अंग्रेजी पत्रकारिता साइट इंडिया टुडे की खबर के अनुसार संध्या मुखर्जी की बेटी सौमिक सेन गुप्ता है उन्होंने ही सामने आकर अपनी मां की पद्मश्री को न लेने की बात को स्वीकारा है उन्होंने कहा की वह इसे लेने में अपना अपमान समझती हैं,अब यहाँ पर बड़ा प्रश्न यह उठा कि आखिर मुखर्जी पदमश्री को अपना अपमान क्यों समझ रही हैं।
संध्या मुखर्जी की पुत्री सौमिक सेन गुप्ता के अनुसार संध्या मुखर्जी ने दिल्ली में अधिकारियों को फोन करके कहा कि वह गणतंत्र दिवस सम्मान सूची में पद्मश्री से सम्मानित होने के लिए तैयार नहीं है |उनके अनुसार 90 साल की उम्र में लगभग 8 दशक से ज्यादा के सिंगिंग करियर के बाद उन्हें पद्मश्री इसके लिए चुना गया है जो बहुत ही ज्यादा अपमान की बात है|बात स्पष्ट है कि सम्मान में हुई देरी को ही अपमान समझा जा रहा है।
आपको बता दें कि संध्या मुखर्जी ने इस बात की भी अपील की है इस बात को राजनीतिक तूल न दिया जाए यह उनका खुद का फैसला है परंतु मीडिया में यह बात बहुत तेजी से वायरल हो रही है और लोग सरकार पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं।
संध्या मुखर्जी का कहना है कि पद्मश्री किसी जूनियर कलाकार के लिए ज्यादा योग्य होता है ना कि गीता श्री संध्या मुखोपाध्याय के लिए उनका परिवार और उनके फैंस भी यही महसूस करते हैं|
उन्होंने कहा कि इसमें कोई भी राजनीतिक वजह ढूंढने की कोशिश ना करें उन्हें अपमानित महसूस होता है|
आपको बता दें कि साल 2001 में पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें बंगा विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था जो बंगाल पुरस्कार कर सबसे बड़ा पुरस्कार है इसके अलावा 1970 में जय जयंती गाने के लिए वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित हुई थी।
अपने स्टेटस के अनुसार पद्मश्री को छोटा पाने वाली संध्या मुखर्जी ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया।