Indian: दूसरे देशों में जाकर बस रहे, भारतीय अमीरों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। एक रिपोर्ट का यह अनुमान है कि इस साल 2022 में तकरीबन आठ हजार सुपर रिच लोग भारत छोड़कर दूसरे देश में जाकर बस सकते हैं। हेनले ग्लोबल सिटीजन की इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में कड़े कर नियमों तथा रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत देशों के पासपोर्ट की इच्छा के चलते ये ट्रेंड बढ़ रहा है।
वहीं पर टेक्नोलॉजी की दुनिया में उभर रहे नए उद्यमी तेजी से वैश्विक व्यापार तथा निवेश के अवसरों तक पहुंचने के लिए दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। हेनले ग्लोबल विश्व स्तर पर निजी धन तथा निवेश प्रवासन प्रवृत्तियों को ट्रैक करता है।
इस पोस्ट में
इसके अलावा भी परिवार के लिए बेहतर शैक्षिक तथा स्वास्थ्य सुविधाओं सहित उच्च जीवन स्तर की बढ़ती मांग भी बड़ी वजह है। कोविड-19 में यह मांग ज्यादा बढ़ी है। खेतान एंड कंपनी के पार्टनर बिजली अजिंकी ने यह कहा कि तेजी से कड़े टैक्स रेजिडेंसी नियम (2020 एवं 2021 में पेश किए गए) एचएनडब्ल्यूआई के लिए व्यक्तिगत काला धन दरों में कोई राहत नहीं है। इसके साथ ही वीजा-मुक्त यात्रा की इच्छा भी इसकी वजह से है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले वर्षों में देश के अमेरिकी डालर करोड़पति हो तथा अरबपतियों की संख्या यूरोपीय देशों की तुलना में बढ़ेगी। अगले 10 वर्षों के बारे में बताते हुए यह कहा गया कि भारत में 80 फ़ीसदी की वृद्धि होगी। जबकि अमेरिका में केवल 20 फ़ीसदी तथा फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूके में 10 फ़ीसदी की वृद्धि होगी।
चूंकि इस साल भारत से दूसरे देशों में जाने वाले तथा दूसरे देशों से आकर यहां बसने वाले अमेरिकी डॉलर अरबपतियों की संख्या में आठ हजार का अंतर देखने को मिला। रिपोर्ट के अनुसार भारत में आकर रहने वाले सुपर रिच लोगों की संख्या यहां से जाने वालों की संख्या में कम है। चूंकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में हर साल करोड़ पतियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसीलिए इसको लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।
वहीं पर रिपोर्ट में इस बात की भी उम्मीद जताई गई है कि भारत का जीवन स्तर और भी बेहतर होने के बाद से Indian में समृद्ध व्यक्तियों की वापसी बढ़ेगी। न्यू वर्ल्ड वेल्थ में अनुसंधान प्रमुख एंड्रयू एमोइल्स ने यह कहा कि 2031 तक high net worth individuals (एचएनडब्ल्यूआई) की आबादी में 80 फ़ीसदी की वृद्धि होगी। जो इसी दौरान भारत को दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ते धन बाजारों में से एक बना देगा। इसे विशेष रूप से स्थानीय वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य देखभाल तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मजबूत विकास से तेजी मिलेगी।
अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन कारियों ने ऐसी ट्रेन जलाई की सब धूं धूं करके जल गया
Indian के लिए, दुबई, और यूरोपीय देश सबसे प्रमुख विकल्प है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों के लिए सिंगापुर सबसे पसंदीदा है। जबकि मजबूत कानून प्रणाली तथा विश्व स्तरीय वित्तीय सलाहकारों की उपलब्धता की वजह से पारिवारिक कल्याण स्थापित करने के लिए दुबई बेहतर विकल्प माना जा रहा है। वहीं पर यूरोप तथा विशेष रूप से भूमध्यसागरीय देशों जैसे पुर्तगाल, माल्टा तथा ग्रीस की तरफ रुख करने वालों की संख्या भी काफी है।