Form 17C: लोकसभा चुनाव 2024 में 5 चरण के मतदान हो चुके हैं. किसी भी चरण के मतदान के पूरे होने के बाद चुनाव आयोग मतदान से जुड़े आँकड़े जारी करता है.
लेकिन यह अंतिम आँकड़े नहीं होते हैं.
चुनाव आयोग किसी भी चरण के बाद कितना मतदान हुआ है उसका अंतिम आँकड़ा जारी करता है.
इन चुनावों में चुनाव आयोग की तरफ से जारी शुरुआती और अंतिम आंकड़ों में आ रहे फ़र्क़ पर ही विपक्ष और कई जानकार सवाल भी उठा रहे हैं.
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Form 17C: अब इस याचिका पर 24 मई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को डेटा पब्लिश करने का आदेश देने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई अभी फ़िलहाल रोक दी है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR ने अपनी याचिका में मांग की थी कि मतदान होने के 48 घंटे के अंदर चुनाव आयोग हर पोलिंग बूथ पर डाले गए वोटों का आँकड़ा जारी किया जाए.
ADR ने अपनी याचिका में फॉर्म 17 की स्कैन की हुई कॉपी भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग भी की थी.
17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मामले में जवाब देने के लिए भी कहा था.
22 मई को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल कर जवाब भी दिया.
चुनाव आयोग ने कहा, कि ”वेबसाइट पर हर मतदान केंद्र के मतदान का आंकड़ा सार्वजनिक करने से चुनाव मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी. यह मशीनरी पहले ही लोकसभा चुनावों के लिए काम कर रही है.”
विपक्षी दलों की तरफ से मतदान प्रतिशत की जानकारी देरी से दिए जाने पर भी कई सवाल उठाए थे.चुनाव आयोग ने ऐसे भी आरोपों को भी ख़ारिज किया है.
चुनाव आयोग ने फॉर्म 17C को ना दिए जाने के बारे में कहा, कि ”पूरी जानकारी देना और फॉर्म 17C को सार्वजनिक करना वैधानिक फ्रेमवर्क का हिस्सा नहीं है. इससे पूरे चुनावी क्षेत्र में गड़बड़ी भी हो सकती है. इन आंकड़ों की तस्वीरों को मॉर्फ़ (छेड़छाड़) किया जा सकता है.”
चुनाव आयोग की तरफ से जारी किए जा रहे आँकड़ों के अंतर पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी कुछ सवाल उठाए.
जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा था, कि ”कुल मिलाकर एक करोड़ सात लाख के इस अंतर के हिसाब से प्रत्येक लोकसभा सीट पर 28 हज़ार की वृद्धि होती है, जो कि बहुत बड़ा नंबर है. यह अंतर उन राज्यों में सबसे ज़्यादा है, जहां पर बीजेपी को अच्छी-ख़ासी सीटों का नुक़सान होने की गुंजाइश है. आख़िर यह हो क्या रहा है?”
कांग्रेस नेता, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 23 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी.
सिंघवी ने कहा, कि ”चुनाव आयोग ने जो भी जवाब दिया वो अजीबोगरीब और एक तरह से कुतर्क है. चुनाव आयोग का यह जवाब सिर्फ़ बचने की प्रक्रिया है जबकि यही आँकड़ा कोई भी चुनाव आयोग को पैसे चुकाकर ले सकता है.”
सिंघवी बोले, यह दुर्भाग्यपूर्ण है और दिखाता है कि चुनाव आयोग का झुकाव एकतरफ़ा है. चुनाव आयोग का बताना है कि डेटा के साथ छेड़छाड़ होगी. कोई फोटो मॉर्फ कर सकता है, इस प्रकार तो फिर कोई भी डेटा अपलोड नहीं हो सकता.”
हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान चुनाव आयोग के देरी से आंकड़े जारी करने पर बात की थी.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था, ”अब जाकर चुनाव आयोग पूर्ण रूप से स्वतंत्र बना है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की सरकार के दौरान रहे चुनाव आयुक्तों के कांग्रेस की विचारधारा को अब तक समर्थन देने की बात भी कही.
ऐसे में सवाल यह है कि आख़िर फॉर्म-17C है क्या और इसमें कौन सी जानकारियां होती हैं?
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Form 17C: आसान भाषा में बात करे तो इस बात की जानकारी कि एक मतदान केंद्र पर कितने वोट डाले गए हैं.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर फॉर्म 17C उपलब्ध है. इस फॉर्म में ये जानकारियां भरी जाती हैं-
इस फॉर्म का एक अगला हिस्सा भी होता है जिसको मतगणना वाले दिन इस्तेमाल किया जाता है.
इस फॉर्म में यह लिखा जाता है कि किसी एक उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं.
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के 49A और 56C के तहत चुनाव अधिकारी को फॉर्म 17C के पार्ट-1 में वोटों की जानकारी भरनी होती है.
चुनाव अधिकारी को यह जानकारी मतदान ख़त्म होने के बाद पोलिंग एजेंट्स को मुहैया भी करवाना होता है.