Traffic Police
Traffic Police की नौकरी बडी ही कठिन होती है। ठंडी, गर्मी या फिर बरसात इन्हें हर मौसम में ड्यूटी पर तैनात ही रहना पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण दोनों की मार झेलते हुए यह खड़े होकर चौबीसों घंटे अपनी ड्यूटी करते रहते हैं। कई बार सडको से गुजरते हुए हम ट्रैफिक पुलिस का करूण चेहरा भी देखते हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रैफिक पुलिस की एक तस्वीर वायरल हो रही है।
ऑनलाइन शेयर की जाने वाली कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो तुरंत ही लोगों का दिल जीतने में कामयाब हो जाती हैं। एक आठ साल के बच्चे को ड्यूटी करते हुए पढ़ाने वाले Traffic Police की यह स्टोरी निश्चित रूप से ही इस श्रेणी में फिट होती है। यह तस्वीर कोलकाता पुलिस द्वारा फेसबुक पर शेयर की गई है। Traffic Police कर्मी की यह पोस्ट आपके दिल को भी गर्मजोशी से भर सकती है।
इस पोस्ट में
कोलकाता पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर सांझा की गई यह तस्वीर साउथ ईस्ट ट्रैफ़िक गार्ड के सार्जेंट प्रकाश घोष की है। ये तस्वीर अब सबका दिल जीत रही है। एक स्थानीय पत्रकार ने ये तस्वीर खिंची थी और इसके बाद कोलकाता पुलिस ने ट्रेफिक पुलिस सार्जेंट घोष की यह कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
कोलकाता पुलिस के पोस्ट के अनुसार सार्जेंट प्रकाश बालीगंज आईटीआई के पास ड्यूटी करते वक्त आठ साल के बच्चे को पढ़ा रहे हैं। यूनिफ़ॉर्म की वजह से वो बैठ नहीं पाते हैं और खड़े होकर ही बच्चे को ट्यूशन देते हैं।
कोलकाता पुलिस विभाग ने लिखा है, “शिक्षक सिपाही। जब भी वह बल्लीगंज आईटीआई के पास ड्यूटी पर तैनात होते थे, साउथईस्ट ट्रैफिक गार्ड के सार्जेंट प्रकाश घोष अक्सर ही अपने पास सड़क पर खेलते हुए 8 साल के लड़के को देखते रहते थे। उस बच्चे की माँ सड़क किनारे खाने की दुकान पर ही काम करती है। वह महिला अपने बेटे के बेहतर जीवन देने की उम्मीद में उसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए दिन रात जद्दोजहद करती हैं।
यह बेआसरा माँ और बेटा दोनों वहीं फुटपाथ पर रहते हैं, लेकिन इस महिला को यह उम्मीद है कि उसका बेटा बडा होकर गरीबी की बेड़ियों से मुक्त हो जाएगा और दुनिया पर अपनी छाप छोड़ेगा। किंतु, तीसरी कक्षा के इस छात्र को पढ़ाई से अधिक लगाव नहीं था। महिला को इसी बात की चिंता थी।कुछ समय के साथ सार्जेंट घोष को जानने के बाद, इस महिला ने अपनी उन चिंताओं को उनके सामने बताया.”
महिला की कहानी सुनने के बाद, सार्जेंट घोष हर तरह से मदद करने का वादा किया लेकिन उस महिला को भी सार्जेंट घोष की मदद की सीमा का कोई भी अंदाजा नहीं था। जिस दिन सार्जेंट घोष की उस जगह ड्यूटी लगाई जाती है, उस दिन वो उस लड़के को पढ़ाते भी र अपनी ड्यूटी भी निभाते हैं। लडका भी सडक पर ही अपनी किताबों के साथ बैठ जाता है, और सार्जेंट घोष भले ही ट्रैफिक की निगरानी करते हों, लेकिन वो अपनी शिफ्ट के अंत में उसे पढ़ाने के लिए समय निकाल ही लेते हैं।
उच्चारण, होमवर्क सेट करने और जाँचने से लेकर अपने छात्र की वर्तनी,यहाँ तक कि लिखावट को ठीक करने तक, वे उस बच्चे की सहायता करतें हैं।
अपनी वर्दी और काम के कारण सार्जेंट घोष के लिए बैठना मुश्किल होता हैं और वह एक टहनी का इस्तेमाल शिक्षण उपकरण के रूप में करते हैं और खड़े रहेकर ही ‘कक्षा’ लेते हैं। लड़के में हो रहे क्रमिक सुधार ने उसकी माँ को ‘शिक्षक’ पर पूर्ण विश्वास दिलाया है, जो अपने दोनों ही कर्तव्यों को समान रूप से संभालने का प्रबंधन भी करता है,”
Traffic Police. अपनी पोस्ट की आखिर के लाइनों में, कोलकाता पुलिस यह भी बताया है कि उन्होंने सार्जेंट घोष की जिस तस्वीर को पोस्ट किया है वह मूल रूप से एक पत्रकार द्वारा ट्वीट की गई थी। उन्होंने लिखा है कि, “पत्रकार अर्नबांग्शु नियोगी ने इस अनूठी कक्षा की एक तस्वीर ट्वीट की है, जिसे हम अपनी इस पोस्ट के साथ जोड़ रहे हैं।”