Tata देश का सबसे विश्वशनीय समूह, जिसने देश को गौरवान्वित करने के लिए बहुत कुछ ‘पहला’ दिया है

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Tata: पिछले साल जब देश कोविड जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा था, तब टाटा ने एक ऐलान किया था। अपने उन कर्मचारियों के परिवारों के लिए जिनकी कोरोना वायरस से मृत्यु हो गई थी। टाटा ने कहा था- सभी मृत कर्मचारियों के परिवारों को 60 साल यानी रिटायरमेंट की उम्र तक की सैलरी, हाउसिंग और सुविधाएं उसी तरह प्राप्त होती रहेंगी, जैसे पहले मिलती थीं।

इन्हीं वैल्यूज की वजह से टाटा वो समूह है, जिसे देश सम्मान और गर्व के साथ देखता आया है। रिसर्च फर्म- इक्विटी मास्टर ने 2021 में एक पोल कराया। इसमें 66% वोट्स के साथ टाटा मोस्ट ट्रस्टेड ग्रुप बनकर पहले पायदान पर बना रहा।

आइए आज जानते हैं 154 साल पुराने Tata समूह को इन 5 कहानियों के ज़रिये

पहली कहानी: सबसे बड़े दानवीर की जिन्होंने देश को ‘ताज’ से नवाजा

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जमशेदजी Tata ने ही टाटा समूह की स्थापना की थी। जमशेदजी का एक परिचय और भी है। वे दुनिया के सबसे बड़े दानवीर भी रह चुके हैं। हुरून की रिपोर्ट कहती है- पिछले 100 सालों में दुनिया भर के सबसे बड़े दानदाताओं की फिहरिस्त में टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा का नाम पहले नंबर पर आता है। जमशेदजी ने कुल 7.60 लाख करोड़ रुपए दान में दिए थे।

जमशेदजी ने 1868 में इंग्लैंड से लौटने के बाद 21 हजार रुपए में एक दिवालिया बो चुकी तेल मिल खरीदी थी और उसके बाद रुई और कपड़े का कारोबार शुरू किया था। देश को पहला सुपर लग्जरी-होटल ताज भी इन्होंने ही दिया था। एक बार जमशेदजी ब्रिटेन गए। पर एक होटल में उन्हें इसलिए एंट्री नहीं मिली, क्योंकि वहां लिखा था- फॉर वाइट्स ओनली।

जमशेदजी को यह बात ‘तमाचे’ जैसा लगा।भारत लौटकर 1903 में उन्होंने होटल ताज को खड़ा कर दिया…जिसके दरवाजे किसी का रंग और नस्ल से मेल नही खाते थे। तब ताज होटल 4 करोड़ 21 लाख रुपयों में बनकर तैयार हुआ था। यह मुंबई की पहली बिल्डिंग थी, जिसमें बिजली थी। अमेरिकी पंखे और जर्मन लिफ्ट मौजूद थी।

दूसरी कहानी: देश का प्रथम रिसर्च इंस्टीट्यूट और जमशेदपुर यूं बना प्रचलित

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टाटा के दूसरे चैयरमैन दोराबजी ने Tata स्टील प्लांट की स्थापना की। यह देश की प्रथम स्टील कंपनी थी। 1910 में टाटा पावर प्रोजेक्ट को खड़ा किया और 1911 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से देश को नवाज़ा। यह भारत देश का पहला रिसर्च इंस्टीट्यूट था। दोराबजी को उनके विजन के चलते उस समय ब्रिटिश सरकार ने नाइट की उपाधि से सम्मानित किया था। दोराबजी ने ही अपने पिता जमशेदजी के नाम पर जमशेदपुर शहर को आबाद किया था।

तीसरी कहानी: जब देश काे पहली एविएशन कंपनी Tata समूह से मिली

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Tata के चौथे चेयरमैन जेआरडी टाटा को हवाई जहाज उड़ाने का बहुत शौक था। इसी शौक को उन्होंने अपने काम में तब्दील लिया। 15 अक्टूबर 1932 को कराची और मुंबई के बीच उड़ान भरकर जेआरडी ने टाटा एविएशन सर्विस का अपने हाथों से उद्घाटन किया। 8 मार्च 1947 को जेआरडी द्वारा स्थापित की गई एयर इंडिया एक एविएशन कंपनी बन चुकी थी। 1 अगस्त 1953 को एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ और जेआरडी टाटा एयर इंडिया के प्रथम चेयरमैन बने। यह भारत देश की पहली एविएशन कंपनी थी।

चौथी कहानी: रतन Tata, जिन्होंने आम आदमी के हाथ में थमाई कार की चाभी

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रतन नवल टाटा का जन्म 1937 में हुआ था। 1962 में रतन टाटा ने करियर की शुरुआत टाटा स्टील डिवीजन से की, जहां उन्होंने जमशेदपुर में मजदूरों के साथ मिलकर काम किया। 1971 में उन्हें राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (नेल्को) के प्रभारी के रूप के पद से नवाजा गया। 1991 में जेआरडी ने रतन को टाटा समूह का नया चेयरमैन घोषित कर दिया।

रतन टाटा ने सन, 2000 में विदेश की टेटली कंपनी को खरीदा, 2007 में यूरोप में स्टील का व्यापार करने वाली कोरस कंपनी को खरीद लिया और 2008 में फोर्ड की जगुआर और लैंड रोवर को भी अपने नाम किया।इन तमाम अधिग्रहणों से भी कीमती उन्होंने आम आदमी को एक खूबसूरत सपना दिया। अपनी खुद की कार का…।

एक दफ़ा की बात है। मुंबई की बारिश में रतन टाटा ने 4 लोगों की फैमिली को एक ही बाइक पर जाते हुए देखा। तभी उन्होंने सबसे सस्ती और अच्छी कार बनाने का फैसला किया। और इस तरह नैनो भरतीय मार्केट में आई। रतन टाटा को सन,2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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पांचवीं कहानी: एक इंटर्न भी कमाल करने की क्षमता रखता है

आज के दौर में Tata समूह में रतन टाटा के बाद अगर किसी एक शख्स को लोग अपना आदर्श मानते हैं, तो वो हैं 58 वर्षीय नटराजन चंद्रशेखरन। लोग प्यार से इन्हें चंद्रा और मैराथन मैन भी कहते हैं। चंद्रशेखरन मई 2017 से टाटा समूह के चेयरमैन हैं। 30 वर्ष पहले बतौर इंटर्न उन्होंने टीसीएस से अपनी शुरूआत की थी। चंद्रा 2009 में टीसीएस के एमडी और सीईओ भी बने थे, साथ ही टीसीएस के रेवेन्यू को रिकॉर्ड स्तर पर ले जा चुके हैं।

उनके करीबी उन्हें कुछ-कुछ रतन टाटा के अक्स के रूप में भी देखते हैं।चंद्रशेखरन 2016 से आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में से एक हैं। अक्टूबर 2021 में टाटा ने 18,000 करोड़ रुपए में एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए नीलामी जीती। तब रतन टाटा ने एयर इंडिया को टाटा के समूह में वापस लाने का पूरा श्रेय चंद्रशेखरन को ही दिया था।

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