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Taste of Gorakhpur गोरखपुर की लिट्टी चोखा और दाल काफी धूम मचा रहा है। गोरखपुर में एक रेस्टोरेंट का ये देशी अंदाज लोगों को काफी ज्यादा पसंद आ रहा है। यहां की दाल और बाटी चोखा और खिचड़ी जैसे ठेठ देशी व्यंजन वह भी पत्तल और मिट्टी के बर्तन में परोसे जाते हैं।
गोरखपुर, शहर के रेस्टाेरेंट में ठेठ देशी खाना वह भी बिल्कुल देशी अंदाज में, सुनने में यह विश्वास नहीं होता मगर यह संयोग देखने को मिल रहा राप्तीनगर के एक रेस्टोरेंट में, जिसका नाम है परंपरा। इस रेस्टोरेंट में पनीर पसंदा, दाल-मखनी, पनीर व मशरूम दो प्याजा जैसे व्यंजन तो नहीं मिलते। मगर यहां मिलते हैं दाल, बाटी, चोखा, खिचड़ी जैसे ठेठ देशी व्यंजन, और वह भी पत्तल और मिट्टी के बर्तन में।
रेस्टोरेंट प्रबंधन की व्यंजन पेशगी का यह बिल्कुल देसी अंदाज अत्याधुनिक सोच के लोगों को भी काफी खूब भा रहा है। दोपहर से लेकर के देर शाम तक वहां पर उमड़ने वाली ग्राहकों की भीड़ इसका प्रमाण है। क्या बच्चे और बूढ़े और क्या महिला या पुरुष, सभी लोगों को यह देशी स्वाद बहुत खूब भा रहा है। महिलाओं में इसको लेकर के खास तौर से आकर्षण देखने को मिल रहा है। लोगों की खास रुझान को देखते हुए कढ़ी-चावल और लजीज खीर को भी व्यंजन की सूची में जोड़ा गया है। यह भी काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है।
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Taste of Gorakhpur, रेस्टाेरेंट की संचालक रूपांजलि यह बताती हैं कि बाटी-चोखा बनाने का उन्हें बहुत ही ज्यादा शौक था। जिसे भी वह अपने हाथों का बना हुआ बाटी-चोखा खिला देतीं, वह उस बाटी चोखा का मुरीद हो जाता था। इतनी प्रशंसा से उत्साहित होकर ही उन्होंने इस कला के इस गुण को पेशे का रूप दे दिया, जो कि अब चल निकला है। वह बताती हैं कि वह अपने व्यंजन में बिल्कुल शुद्ध सरसो का तेल, शुद्ध देसी घी व मक्खन का उपयोग करती है।
बाटी के लिए सत्तू भी अपनी ही देखरेख में तैयार करवाती हैं। विभिन्न प्रकार की दाल से तैयार की जाने वाली खिचड़ी में तो वह खुद हाथ लगाती हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता बिल्कुल भी प्रभावित न होने पाए।
इसी का नतीजा है कि जो कोई भी एक बार उनके रेस्टोरेंट जाता है, वह वहां पर बार-बार आता है। अपने सभी कर्मचारियों को वह इस बात के लिए निरंतर सहेजती रहती हैं कि गुणवत्ता से कोई भी समझौता नहीं होना चाहिए। व्यंजन का देशी स्वाद बना रहना चाहिए। रुपांजलि कहती हैं कि परंपरागत व्यंजन को पंरपरागत तरीके से पेश करके अपनी दुकान के नाम की सार्थकता को सिद्ध करते रहने के लिए वह बिल्कुल जिद की हद तक प्रतिबद्ध हैं।