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उत्तराखंड : नीची जात की महिला के हाथों से मिड डे मील खाने से बच्चों ने किया मना प्रशासन ने की ऐसी कार्रवाई जिसे कोई मूर्ख ही कर सकता था

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नीचे जाति वाली महिला के हाथों से बना मिड डे मील खाने से बच्चों ने किया मना :-

मिड डे मील में जातिवाद

यह मामला उत्तराखंड के चंपावत जिला का है जहां स्कूली बच्चों ने मिड डे मील खाने से मना कर दिया। दरअसल खाना खाने से मना करने की वजह यह है कि खाना बनाने वाली महिला अनुसूचित जातिै की है। यह बात बच्चे जानते हैं कि ए आंटी नीची जाति से आती हैं हम उनके हाथों का खाना नहीं खाएंगे लेकिन आप सोचिए क्या बच्चे यह बात सीखकर पैदा होते हैं नहीं। यह समाज की घर वालों की और बड़ों द्वारा बच्चों को दी हुई शिक्षा है। क्यों समाज के मूर्ख लोग और पढ़े लिखे नासमझ लोग अपने बच्चों को नहीं समझाते कि खाने का जाति धर्म से कोई संबंध नहीं होता है। खाने में स्वच्छता होनी चाहिए, पोषण होना चाहिए, विटामिंस होने चाहिए लेकिन इन सभी चीजों का जाति से कोई लेना देना नहीं है यह लोगों की गंदी सोच मात्र है।

क्या पिज्जा ऑर्डर करते वक्त पिज्जा बनाने वाले की जाति पूछते हैं :-

सवर्ण जाति के बच्चों ने अनुसूचित जाति की महिला के हाथों का मिड डे मील खाने से किया मना

क्या जब कोई या खुद आप पिज्जा ऑर्डर करते हैं तो उनसे पूछा जाता है कि पिज्जा किस जाति के लोगों ने बनाया है। उस समय तो आपको जाति कोई ख्याल नहीं आता और अपनी लार टपका देते हैं और बच्चों के दिमाग में जाति वाला दोगलापन डाल देते हैं। जब कभी आप पानीपुरी के ठेले के पास खड़े होकर पानी पुरी खाते हैं तो क्या आप सर्वप्रथम उसकी जाति पूछते हैं कि आप कौन सी जाति के हैं। फिर ऐसा दोगलापन क्यों।

शर्मनाक कार्रवाई – बच्चों को समझाया नहीं महिला को नियुक्ति से हटा दिया पढ़े लिखे शासन प्रशासन ने :-

ए बात तो रही बच्चों की। बच्चों ने नीचे जाति वाली महिला के हाथों का खाना खाने से मना कर दिया लेकिन यह  छोटी बात है । बात बड़ी तब होती है जब इस बात के निवारण के लिए एक अजीबोगरीब फैसला लिया जाता है। महिला के हाथों से खाना ना खाने वाले बच्चों को समझाया जाना चाहिए था कि बच्चों खाने का जाति धर्म से कोई मतलब नहीं है। खाने का अपमान नहीं करना चाहिए खाने की स्वच्छता, स्वाद, पोषण आदि को देख कर खाना चाहिए। बनाने वाले की जाति धर्म को नहीं देखना चाहिए लेकिन पढ़े-लिखे बड़े समझदार शासन प्रशासन के लोग इस समस्या के निवारण के लिए ऐसा फैसला लिया जो अपने आप में शर्मनाक है। शासन प्रशासन ने मिलकर महिला की नियुक्ति ही रद्द करा दी। अब बताइए हमारा समाज कैसा है, हमारा भारत विश्व गुरु कैसा कैसे बनेगा । जब हमारे उच्च पदों पर ऐसे निर्लज्ज मूर्ख व्यक्ति बैठे हो इससे समाज में क्या संदेश गया कि अनुसूचित जाति या नीची जाति वाली औरतों के हाथों से खाना नहीं खाना है उनका काम छुड़वा देना है।

शासन प्रशासन की ऐसी कार्रवाई जो बेहद घटिया है

……………………….समाप्त …………………

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