Paramhans Das: अयोध्या के तपस्वी छावनी के जगद्गुरु परमहंस आचार्य अब एक बार फिर से चर्चा में है। जबकि कभी राम मंदिर के लिए जल समाधि लेने का ऐलान करने वाले परमहंस दादा इस बार रूस तथा यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से एक बार फिर चर्चा में है। इस बार परमहंस दास ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को फौरन ही युद्ध बंद करने का फरमान भी सुनाया है।
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Paramhans Das अयोध्या की तपस्वी छावनी में बतौर उत्तराधिकारी रहने वाले परमहंस दास मूलतः तो बिहार के रहने वाले हैं। इनका बचपन एमपी यानी कि मध्य प्रदेश के सीधी में बीता क्योंकि इनके माता-पिता भी यहीं आकर बस गए थे। पहली बार परमहंस दास 2009 में बतौर साधु अयोध्या आए थे। उसके पहले भी परमहंस दास बतौर श्रद्धालु तपस्वी छावनी में आते जाते रहते थे।
वर्ष 2009 में ही परमहंस दास ने महंत नृत्य गोपाल दास को अपना गुरु बनाया था। वर्ष 2012 में जब तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर सर्वेश्वर दास महंत बने तो अयोध्या में परमहंस दास ने उनसे भी दीक्षा ली थी। इसी प्रकार से परमहंस दास के सर्वेश्वर दास दूसरे गुरु बने। इसके बाद से ही परमहंस दास तपस्वी छावनी में रहने लगे।
पहली बार वर्ष 2019 में परमहंस उस समय चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने चीता जलाकर उसमें समाधि लेने का एलान किया था। हालांकि राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस बीच परमहंस दास ने अंतिम सुनवाई से पहले ही चिता पर लेट गए थे।
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दरअसल ऐसा पहली बार नहीं है कि जब परमहंस दास ने इस प्रकार के बयान दिए हो। इससे पहले भी बीते वर्षो में अयोध्या की तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर जल समाधि लेने का भी ऐलान किया था। इसके बाद से प्रशासन ने उनके आश्रम के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर उन्हें हाउस अरेस्ट भी कर लिया था।
चूंकि 12 अक्टूबर 2020 को भी महंत परमहंस दास ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने को लेकर आमरण अनशन शुरू किया था। जब बाद में उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया तो प्रशासन ने उन्हें जबरन ही अनशन से उठाया था। परमहंस दास राम मंदिर निर्माण के लिए भी अनशन कर चुके हैं।