Smartphones Market : भारत में चीनी मोबाइल कंपनियों के खिलाफ विरोध की लहर तेज हो गई है। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन (AIMRA) और कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने मिलकर चीनी मोबाइल कंपनियों जैसे OnePlus, iQOO और POCO के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। इन संगठनों का दावा है कि ये कंपनियां भारतीय बाजार में अनुचित व्यापारिक गतिविधियों में संलग्न हैं और नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। इन आरोपों के चलते इन कंपनियों के संचालन को बंद करने की मांग उठाई जा रही है।
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भारत में चीनी स्मार्टफोन ब्रांड्स जैसे OnePlus, iQOO और POCO की डिमांड पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। त्योहारों के समय जैसे कि फ्लिपकार्ट और अमेज़न की फेस्टिवल सेल्स में इन ब्रांड्स के स्मार्टफोन्स की मांग आसमान छू रही है। ये स्मार्टफोन अपनी कीमत और फीचर्स के कारण भारतीय ग्राहकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो चुके हैं। इन फोन्स पर दिए जाने वाले भारी डिस्काउंट्स और ऑफर्स के कारण लोग इन्हें बड़े पैमाने पर खरीद रहे हैं।
हालांकि, इसी डिमांड के बीच व्यापारिक संगठनों का मानना है कि ये कंपनियां देश के मोबाइल व्यापार के लिए हानिकारक साबित हो रही हैं। इन कंपनियों द्वारा दी जाने वाली छूट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर किए जाने वाले सौदे, देश के छोटे और मंझोले मोबाइल रिटेलर्स को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन (AIMRA) ने आरोप लगाया है कि चीनी मोबाइल ब्रांड्स ने भारतीय बाजार में नियमों का उल्लंघन किया है। AIMRA का दावा है कि ये कंपनियां मोबाइल की “ग्रे मार्केट” को बढ़ावा दे रही हैं, जहां बिना टैक्स या सरकारी नियमों का पालन किए हुए स्मार्टफोन्स बेचे जा रहे हैं। AIMRA के मुताबिक, इन ब्रांड्स ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से भारी छूट प्रदान की है, जिससे कि भारतीय बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
इसके अलावा, कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भी इन आरोपों का समर्थन करते हुए कहा है कि चीनी कंपनियों की यह रणनीति भारत के मोबाइल व्यापार को हानि पहुंचा रही है। भारतीय खुदरा व्यापारियों का मानना है कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म्स पर दी जा रही भारी छूट के कारण ग्राहक इन स्मार्टफोन्स को कम दामों पर खरीद रहे हैं, जिससे छोटे दुकानदारों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
AIMRA और CAIT ने आरोप लगाया है कि चीनी कंपनियों के इस व्यापारिक मॉडल के कारण भारतीय सरकारी खजाने को भी नुकसान हो रहा है। संगठनों का दावा है कि इन कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले भारी डिस्काउंट्स और टैक्स भुगतान में कमी की वजह से सरकार को कम राजस्व मिल रहा है। इन ब्रांड्स की ओर से टैक्स बचाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कि भारत के अर्थतंत्र पर दबाव बढ़ रहा है।
AIMRA का आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया में कुछ बैंक भी शामिल हैं। बैंकों के सहयोग से इन कंपनियों द्वारा ग्राहकों को आसान किश्तों और कम ब्याज दरों पर स्मार्टफोन्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे ये फोन सस्ते दामों पर बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
भारतीय स्मार्टफोन बाजार में चीनी कंपनियों का दबदबा किसी से छिपा नहीं है। शाओमी, वनप्लस, वीवो और ओप्पो जैसे ब्रांड्स ने भारतीय बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। लेकिन इन कंपनियों की व्यापारिक नीतियों के चलते भारतीय मोबाइल निर्माता और रिटेलर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
AIMRA और CAIT का कहना है कि चीनी कंपनियों द्वारा ग्राहकों को भारी डिस्काउंट देकर बाजार में कब्जा किया जा रहा है, जिससे कि स्थानीय व्यापारी नुकसान झेल रहे हैं। संगठनों का कहना है कि यदि चीनी कंपनियों पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो भारतीय मोबाइल बाजार पर इसका बुरा असर पड़ेगा, और इससे रोजगार के अवसरों में भी कमी आ सकती है।
AIMRA और CAIT ने भारत सरकार से मांग की है कि वह चीनी कंपनियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए और इनके व्यापारिक संचालन पर रोक लगाए। संगठनों का कहना है कि जब तक इन कंपनियों की जांच नहीं होती और उनके व्यापारिक मॉडल को पारदर्शी नहीं बनाया जाता, तब तक इनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
हालांकि, अभी तक OnePlus, iQOO, और POCO जैसी कंपनियों की ओर से इन आरोपों का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन इस मुद्दे ने देश में एक नई बहस को जन्म दिया है, जहां व्यापारिक हितों और ग्राहकों की पसंद के बीच संतुलन बनाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
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भारतीय बाजार में चीनी स्मार्टफोन्स की बढ़ती मांग और उनके खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। क्या ये कंपनियां भारतीय नियमों का पालन करेंगी, या फिर व्यापारिक संगठनों की मांग के अनुसार इन पर कड़ी कार्रवाई होगी?
इस समय ग्राहक जहां सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले स्मार्टफोन्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं, वहीं व्यापारिक संगठनों की मांग है कि भारतीय बाजार में स्थिरता और न्याय की रक्षा की जाए। इसका असर सिर्फ व्यापारिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
इस पूरे विवाद ने भारत के मोबाइल बाजार में एक नई दिशा और भविष्य की संभावनाओं को जन्म दिया है।
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