Navjot Singh Sidhu
Navjot Singh Sidhu: राजनेता, क्रिकेटर, कमेंटेटर और जज रहे नवजोत सिंह सिद्धू कलर अब भी बन गए हैं। उनको पटियाला सेंट्रल जेल में मुंशी वाला काम सौंपा गया है। चूंकि पंजाब के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की ड्यूटी जेल के दफ्तर के कामकाज में लगाई गई है। उनको 34 वर्ष पुराने रोडवेज की 1 वर्ष की कैद हुई है। जेल के भीतर नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। जिस वजह से उन्हें यह जिम्मा दिया गया है।
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बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा को देखते हुए वो बैकर से ही काम करेंगे। उन्हें रोज जेल दफ्तर की फाइलें दी जाएंगी। उनकी ड्यूटी सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक रहेगी। वो कभी भी फाइलों का काम कर सकते हैं।
Navjot Singh Sidhu को काम के बदले कोई पैसा नहीं मिलेगा। उनको कलर का कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में वो अकुशल कर्मचारी हैं। 3 महीने के बाद से उन्हें अर्ध कुशल होने पर 30 रुपए प्रतिदिन तथा कुशल होने पर 90 रुपए दिए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को बामशक्कत कैद दी है। उसमें फैक्ट्री या फिर बेकरी का काम करवाया जा सकता था। चूंकि उनकी सुरक्षा की भी चिंता का विषय है। वहां पर दूसरी हार्डकोर कैदी काम करते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को उनसे दूर रखते हुए दफ्तर में ड्यूटी दी गई है। पटियाला सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट मनजीत सिंह ने यह कहा है कि सिद्धू पढ़े लिखे हैं। इसलिए भी उन्हें क्लेरिकल का काम दिया गया है। वो पूरा सहयोग कर रहे हैं।
बता दें कि 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू शाम को अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट में गए थे। मार्केट में 65 वर्ष की गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर उनकी कहासुनी हो गई। जो कि देखते ही देखते मारपीट तक पहुंच गई। मारपीट में सिद्धू ने घुटना मारकर गुरनाम सिंह को गिरा भी दिया था। जिसके बाद से जख्मी हालात में उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां पर उनकी मृत्यु हो गई।
इस मामले में Navjot Singh Sidhu के खिलाफ पंजाब के पटियाला जिले में एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद से 22 सितंबर 1999 को पटियाला की ट्रायल कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू तथा उनके दोस्त संधू को बरी कर दिया था।
उसके बाद से यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू तथा संधू दोनों को ही सेक्शन IPC 304 II के अंतर्गत दोषी ठहराया गया। दोनों को तीन-तीन वर्ष की सजा सुनाई गई तथा एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। उसके बाद से 2007 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। Navjot Singh Sidhu की तरफ से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा।
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सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी तथा नवजोत सिंह सिद्धू एवं संधू को बरी कर दिया। जबकि कोर्ट ने सिर्फ गुरनाम को चोट पहुंचाने के लिए Navjot Singh Sidhu पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया था। फिर वर्ष 2007 में सिद्धू अमृतसर से चुनाव लड़े तथा जीत भी हासिल की।
आपको बता दें कि सितंबर 2018 में पीड़ित के परिवार ने यह कहा कि ये सजा कम है। फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट भी इस पर सुनवाई के लिए राजी हो गया। 25 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसले को सुरक्षित रख लिया। इसके बाद से अब 19 मई को भी सिद्धू को रोडरेज के मामले में 1 वर्ष की सजा हुई।