NASA: इस अनंत ब्रम्हांड में अनगिनत ऐसे तत्व मौजूद हैं जिनके बारे में न तो हम जानते हैं न ही वहां तक अभी तक पहुंचना संभव हो पाया है । जो चीजें हमारी धरती में बेहद महंगे दामों में बिकती हैं वही चीजें इस अनंत ब्रम्हांड में हमारे आसपास मौजूद हैं हालांकि उन तक पहुंचना बेहद ही मुश्किल है । कुछ ऐसा ही नासा के वैज्ञानिकों को भी मिला है। हमारे ही ब्रम्हांड में एक ऐसा स्टेरॉइड घूम रहा है जो बेशुमार दौलत से भरा हुआ है ।
इसकी कीमत का अंदाजा इस तरह से लगा सकते हैं कि यदि वहां तक पहुंचना संभव हो जाए तो धरती में मौजूद प्रत्येक आदमी को अरबों रुपए( 7.60 लाख करोड़) बांटे जा सकते हैं । बता दें कि अंतरिक्ष एजेंसी बेहद कीमती तत्वों से भरे हुए इस स्टेरॉइड में पहुंचने की योजना बना रहा है और इसी साल अक्टूबर में स्पेसक्राफ्ट रवाना किया जाएगा ।
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नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार 16 साइकी स्टेरॉइड हमारे ही ब्रम्हांड में मौजूद है और यह ब्रहस्पति एवम मंगल ग्रह के बीच घूम रहे स्टेरॉइड बेल्ट में है । वैज्ञानिकों के अनुसार यह स्टेरॉइड निकिल,आयरन और सिलिका जैसे तत्वों से बना हुआ है जो कि बेहद कीमती हैं । अगर हम इस स्टेरॉइड में मौजूद तत्वों को बेचें तो इसकी इतनी कीमत होगी कि हम इसकी गणना नहीं कर सकते । फिर भी अगर हम इसे अंकों में लिखें तो यह स्टेरॉइड करीब 700 क्विंटीलियन डॉलर ( 7,00000000000000000000 रुपए) होगा। बता दें कि 16 साइकी नामक स्टेरॉइड की खोज इटली के खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैसप्रिस ने 1852 में की थी ।
16 साइकी ( Syche) नामक स्टेरॉइड की सरंचना करीब करीब पृथ्वी से मिलती जुलती है जिसके कारण वैज्ञानिकों में इस खगोलीय किंतु बेहद कीमती स्टेरॉइड को लेकर जिज्ञासा बढ़ रही है । बता दें कि 16 साइकी निकिल,लोहे और सिलिका जैसे तत्वों से निर्मित है और यह 226 किमी चौड़ा है । यह स्टेरॉइड हमारे सूर्य का एक चक्कर 5 साल में लगाता है ।
इसके अलावा इस स्टीरॉयड का एक दिन 4.196 घंटे का होता है । बता दें कि इसके आकार की यदि तुलना करें तो यह हमारे चंद्रमा के वजन का करीब 1% है । बता दें कि नासा का प्रस्तावित साइकी एयरक्राफ्ट मैग्नेटोमीटर के इस्तेमाल से इस स्टेरॉइड में मौजूद चुंबकीय शक्ति एवम इसके कोर का पता लगाएगा ।
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बेहद महंगी धातुओं से बना यह स्टेरॉइड पृथ्वी के तमाम वैज्ञानिकों को आकर्षित कर रहा है । हालांकि दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पिंड में महंगे तत्वों की भरमार होने की वजह से इसमें उत्सुक नहीं हैं बल्कि उनकी उत्सुकता इसकी भौगोलिक सरंचना को लेकर है । वैज्ञानिकों को लगता है कि इसकी सरंचना पृथ्वी से काफी मिलती जुलती है जिससे काफी जानकारी मिल सकती है । वैज्ञानिकों को इस पिंड के माध्यम से यह जानकारी मिल सकती है कि पृथ्वी का कोर कैसे काम करता है तथा यह यह भी पता लगाया जा सकेगा कि ग्रहों का निर्माण कैसे होता है ।
16 साइकी को लेकर नासा तथा अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों की उत्सुकता काफी समय से रही है इसी वजह से नासा यहां साइकी स्पेसक्राफ्ट बीते वर्ष के अगस्त महीने में भेजने की योजना बना रहा था लेकिन तब यह स्पेसक्राफ्ट टेक्निकल प्रॉब्लम्स की वजह से रवाना नहीं हो सका था । अब नासा इसे फिर से लांच करने की योजना बना रहा है और यह स्पेसक्राफ्ट इसी साल 10 अक्तूबर को रवाना किया जाएगा । बता दें कि यह स्पेसक्राफ्ट करीब 6 साल बाद अगस्त 2029 में 16 साइकी एस्टरॉइड पर पहुंच जाएगा ।