Laxmi: शिक्षकों की जुनून के कई सारे किस्से हमने सुने और देखे भी है। आज भी गांव देहात में धोती कुर्ता पहने, छड़ी लिए कई मास्टर साहब नजर आ जाते हैं। बच्चे मास्टर जी, मास्टर दादू के घर भी जा कर पढ़ाई करते हैं। माने या न माने यह सफेद बालो वाले दादा जी जैसे शिक्षकों की बात कुछ और ही होती है। विषय के ज्ञान के हिसाब के साथ-साथ उनसे जीवन का भी ज्ञान मिलता है। ऐसी ही एक टीचर है Udumalaipet, Tamil Nadu (उडुमालपेट, तमिल नाडु) की लक्ष्मी।
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बता दें कि Laxmi टीचर पर बच्चों को शिक्षित करने का ऐसा जुनून सवार है कि वह 100 वर्ष की उम्र में भी बच्चों को पढ़ाती हैं। हर रोज सुबह बालकृष्ण स्ट्रीट, गांधीनगर स्थित उनके घर पर बच्चे जमा होते हैं व लक्ष्मी उन्हें पढ़ाती हैं। Laxmi के पढ़ाने के जज्बे के आगे बढ़ती उम्र में भी हार मान ली है।
Laxmi का जन्म मद्रास प्रेसीडेंसी में हिंदूपुर में वर्ष 2023 में हुआ। उन्होंने वर्ष 1942 में शारदा विद्यालय स्कूल, गोबीचेट्टीपलयम वर्ष 1982 में अपनी टीचिंग करियर की शुरुआत की। The New Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक लक्ष्मी वर्ष 1981 में रिटायर हो गई। लेकिन बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा।
वैसे तो लक्ष्मी आठवीं कक्षा तक हर विषय पढ़ाते हैं। हिंदी में उन्हें खास दिलचस्पी है। हिंदी भाषा का गहरा ज्ञान एवं तकरीबन 80 साल का टीचिंग एक्सपीरियंस है। आज भी बहुत सारे छात्र हिंदी में अच्छे नंबरों से पास करने के लिए लक्ष्मी की मदद लेते हैं। लक्ष्मी ने सीपी सुंदरेस्वरन से शादी की। लक्ष्मी के पति भी शिक्षक थे और दोनों ही उडुमालपेट के कराट्टूमदम स्थित गांधी कला में पढ़ाना शुरू किया। लक्ष्मी वर्ष 1981 में जिस दिन रिटायर हुई। उसी दिन से घर पर बच्चों को हिंदी में पढ़ाना शुरू कर दिया।
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लक्ष्मी जब सिर्फ 4 वर्ष की थी तभी उनके पिता चल बसे। उनकी मां ने ही उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया। हालांकि पिता के निधन के बाद से लक्ष्मी को उनकी मां कोयंबटूर ले गई। मां ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। यही नहीं नारी सशक्तिकरण पर लक्ष्मी की मां बहुत जोर देती थी। मां के कहने पर ही लक्ष्मी ने पढ़ाना शुरू किया।
लक्ष्मी के बेटे शंकर ने यह बताया कि उनके पास अभी 20 बच्चे पढ़ने आते हैं। अब लक्ष्मी पर उम्र की मार भी पड़ रही है। उन्हें वर्ष 2017 से बाएं कान से सुनाई नहीं देता। हियरिंग ऐड लगाने के बाद से वह बच्चों पर और ज्यादा ध्यान देती हैं। बच्चों के पास बैठकर वह उनकी वोट पड़ती है। बच्चे गलत उच्चारण करते हैं तो लक्ष्मी टीचर उनको सुधारती हैं। बच्चों को पढ़ा कर उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है एवं जिंदगी की मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत मिलती है।