क्या मोदी सरकार सिर्फ चुनाव के लिए ही तीनों कृषि कानूनों को लेकर आई थी? जो अब चुनाव के समय ही वापस ले रही है।
एक साल से भी ज्यादा लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के आगे आखिरकार मोदी सरकार ने झुकते हुए तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला कर ही लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से क्षमा मांगते हुए यह ऐलान किया, और उन्होंने ये भी कहा कि शायद वो किसानों को समझा नहीं पाए। पीएम मोदी ने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रियाएं शुरू कर दी जाएंगी, तथा उन्होंने आगे कहा कि किसान अपने घर व खेत को लौट जाएं।
इस पोस्ट में
पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व के मौके पर देश को संबोधित करते हुए कहां है कि वो ‘किसानों को समझा नहीं पाए इसीलिए कानून वापस ले लिए जाएंगे।’ साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि कृषि कानून का उद्देश्य पवित्र था तथा ये किसानों के ही हित में था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बहुत सारे वैज्ञानिक, किसान संगठनों ने इस कानूनों का स्वागत भी किया था।
मोदी सरकार के इतने बड़े फैसले के बाद आंदोलन का चेहरा बने बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके लिखा कि अभी आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि “आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब तक कि कृषि कानूनों को संसद में रद्द न किया जाए। सरकार ‘एमएसपी’ के साथ ही साथ किसानों के दूसरे मुद्दे पर भी बातचीत करें।”
राकेश टिकैत ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए बताया कि अभी एमएसपी पर स्थिति साफ नहीं हुई है। जब तक संसद में तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाएंगे तब तक आंदोलन भी वापस नहीं होंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि मुझे मोदी पर विश्वास नहीं है। उन्होंने 15-15 लाख रुपए देने का ऐलान किया था।
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में कहा कि ‘एमएसपी को और अधिक प्रभावी तथा अधिक पारदर्शी बनाने के लिए, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, ऐसे ही सभी विषयों पर, हमने एक कमेटी के गठन का फैसला किया है। इस कमेटी में केंद्र सरकार, किसान, कृषि वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, कृषि अर्थशास्त्री और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे।’