Kedarnath में चल रही चार धाम यात्रा से एक बहुत ही दुखद खबर सामने आ रही है. केदारनाथ यात्रा में गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक पैदल मार्ग में यात्रियों को लाने ले जाने का काम करने वाले बेजुबान खच्चरो की मौत का आंकड़ा 60 के पार पहुंच गया है खच्चरों की मौत पर पशुपालन विभाग की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है,
जबकि प्रशासन का कहना है कि यह सभी मौतें केदारनाथ में ठंडा पानी पीने और केवल भूसा खाने के बाद होने वाले डिहाइड्रेशन के कारण हुई है इस मामले में जानवरों के अधिकारों पर काम करने वाली संस्थाएं हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन अभी तक खच्चरों के लिए कोई भी व्यवस्था केदारनाथ मे अभी तक नहीं की गई है।
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वी चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है चारों तरफ श्रद्धालुओं की मौत को लेकर चर्चाएं भी हो रही हैं लेकिन आज हम आपको Kedarnath में एक और दुखद खबर दिखाने जा रहे हैं जिस पर ना तो कोई चर्चा है और ना ही किसी को कोई परवाह_तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं एक तरफ घोड़े खच्चर का मृत शरीर और दूसरी तरफ अपनी रफ़्तार से चलती Kedarnath यात्रा दरअसल Kedarnath धाम के लिए यात्री गौरीकुंड से बाबा केदार धाम पर जाने के लिए 19 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई शुरू करते हैं,
इसी मार्ग पर जो यात्री पैदल यात्रा नहीं कर सकते उन्हें खच्चरो पर बिठाकर केदारनाथ धाम पहुंचाया जाता है इसके लिए केदारनाथ यात्रा पर सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 2300 खच्चर यात्रा में लगाए गए हैं पिछले 17 से 18 दिनों में इस मार्ग पर 60 से ज्यादा खतरों की मौत हुई है जिनमें से 55 से ज्यादा मौत डिहाइड्रेशन की वजह से जबकि 5 की मौत चट्टानों से गिरने की वजह से हुई है।
इन बेजुबान खच्चरों को यात्रा में इस्तेमाल करने के लिए सरकार ने कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं की है और ना ही पशुपालन विभाग ने अब तक इन मौतों पर प्रशासन से जवाब तलब किया है…. खच्चरों के लिए हरे चारे का बंदोबस्त भी प्रशासन नही कर पा रहा हद तो इस बात की है कि शासन को इन मौतों की खबर तो है लेकिन एक्शन कुछ भी नही.. पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि इन खच्चरो की मौत ठंडा पानी पीने के साथ-साथ केवल भूसा खाने की वजह से होने वाले डिहाइड्रेशन के कारण हुई है…
यात्रा के महज 17 से 18 दिनों में 60 से ज्यादा खच्चरो की मौत पर शायद किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता तभी तो अब तक इस मामले में किसी का भी बयान सामने नहीं आया है… शासन प्रशासन और सरकार सभी इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे हुए है_ इस मामले में जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने इन खच्चरों की मौत पर सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार ने खच्चरो के इस्तेमाल को लेकर कोई भी गाइडलाइन अब तक तैयार क्यों नहीं की और अगर इन खच्चरो को चारे की कमी के कारण जूझना पड़ रहा है तो सरकार इसकी व्यवस्था क्यों नहीं करा पा रही,
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इस संस्था से जुड़ीं नलिनी तनेजा का कहना है कि जो आकड़ा सरकार के पास है उससे ज्यादा खच्चरों की मौत Kedarnath में हो चुकी है__ उनका कहना है कि शासन के अधिकारी मान रहे हैं कि हरा चारा ना मिलने की वजह से खच्चरों को भूसा खाना पड़ रहा है और ये खच्चर ठंडा पानी पीने को भी मजबूर है जिसके कारण इन खच्चरो को डिहाइड्रेशन हो जाता है जो इनकी मौत का कारण बन जाता है. वही इन मौतों पर अब यह संस्था हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है.
प्रदेश में चल रही चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत से जुड़ी खबरों पर प्रशासन संज्ञान भी ले रहा है और चिंता भी जाहिर कर रहा है लेकिन यात्रा में 19 किलोमीटर सामान लाने और ले जाने के साथ-साथ यात्रियों को बाबा केदार के दर्शन करवाने वाले खच्चरो की मौत पर ना तो शासन कोई सुध ले रहा है और ना ही इन बेजुबानो के लिए आंसू बहाने वाला कोई है…
और जो संस्थाएं अब सरकार से सीधा सवाल कर रही है उन्होंने भी यात्रा शुरू होने से पहले इन खच्चरो के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जबकि उन्हें पता है कि हर साल यात्रा में खच्चर इस्तेमाल किए जाते हैं और इस दौरान उनकी मौत भी हो जाती है… देहरादून से कैमरामैन आशू शर्मा के साथ अभिषेक कुमार के न्यूज़ इंडिया