Kashmir
Kashmir: अमरनाथ की हर साल होने वाली यात्रा अब धार्मिक के साथ साथ देश की एकता की यात्रा भी बन चुकी है।लेकिन इस यात्रा का एक हिसा यह है कि इस यात्रा में आने वाले ज़्यादातर बाहरी राज्यों के निवासी ही होते हैं। जबकि स्थानीय लोगों की भागीदारी न के ही बराबर है। जहां अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं में मात्र 5% ही जम्मू-कश्मीर के संबंध रखने वाले होते हैं वही अमरनाथ यात्रा मार्ग पर लंगर लगाने वालों में भी जम्मू कश्मीर से लंगर लगाने वाला ढूंढने से ही मिलते हैं।
असल में जब से कश्मीर में पाक समर्थक आतंक ने अपने पांव फैलाए हैं तभी से वार्षिक अमरनाथ यात्रा का स्वरूप बदलता गया और आज स्थिति यह है कि या धार्मिक यात्रा के अलावा देश में कई घूमने वाले स्थानों में एक स्थान बन गया है|
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इसमें देश के विभिन्न भागों से भाग लेने वालों के दिलों में देश प्रेम की भावना तो होती ही है उनके मन मस्तिष्क पर यह भी छाया रहती है कि वे इस यात्रा को कश्मीर हमारा है कि अच्छे से कर रहे हैं। अमरनाथ यात्रा को राष्ट्रीय एकता और अखंडता की यात्रा में बदलने में पाक समर्थित आतंकियों द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंधों और आतंकियों द्वारा किए जाने वाले हमलों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है।
अक्सर हुआ यही है कि पिछले कई सालों से आतंकियों द्वारा इस यात्रा पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध और किए जाने वाले हमलों ने ना सिर्फ अमरनाथ यात्रा को सुर्खियों में ला खड़ा किया बल्कि देश की जनता के दिलों में कश्मीर के प्रति प्रेम को और बढ़ाया जिसे उन्होंने इस यात्रा में भाग लेकर दर्शाया।
रक्षा सूत्रों की मानें तो हाल ही में कई विदेशी आतंकी कश्मीर में घुसने में कामयाब रहे हैं ।उन्हें अमरनाथ यात्रा को टारगेट बनाने का लक्ष्य दिया गया है । इसे कश्मीर पुलिस ने भी माना है कि नार्थ Kashmir के बांदीपोरा में मार गिराया गया आतंकी उसी जत्थे का हिस्सा था जो हाल में घुसे हैं। चर्चा का विषय यह नहीं है कि वे तारबंदी के प्रति किए जाने वाले दावों की धज्जियां उड़ाकर निकलने में कामयाब रहे हैं बल्कि चिंता का विषय है कि अभी तक उन सभी की तलाश ही नहीं हो पाई जो अनुमानतः दर्जन से ज्यादा है।
मारे गए आतंकी से मिले आपत्तिजनक दस्तावेजों से सुरक्षा अधिकारियों की परेशानी बढ़ गई है उससे स्पष्ट होता था की ताजा घुसे दल को अमरनाथ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को टारगेट करने का आदेश दिया गया था।
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ऐसे में सुरक्षा बल अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के प्रति कोई लापरवाही नहीं छोड़ना चाहते हैं। जिसके लिए वे दक्षिण Kashmir के चारों जिलों में व्यापक अभियान छेड़कर आतंकियों का सफाया कर रहे हैं । और अब उनके सामने चुनौती नार्थ कश्मीर में घुसे आतंकियों को साउथ कश्मीर में घुसने से रोकने की है।
कश्मीर रेंज के पुलिस आईजी विजय कुमार तथा सीआरपीएफ के डीआईजी देवेंद्र यादव कई बार दोहरा चुके थे कि वे यात्रा की सफलता की खातिर जुटे हुए हैं। जबकि सेना अधिकारी कहते थे कि उन्हें आशंका है कि अमरनाथ यात्रा आतंकी हमलों से दो-चार हो सकती है। जिसकी खातिर सेना अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर अभियानों में हिस्सा ले रही है।