Kanpur Dehat: भारत में कई ऐसी जगहें हैं जिनका इतिहास आपको हैरान करके रख देगा। ऐसे ही भारत के कुछ गांव अनोखे कारणों की वजह से लाइमलाइट बटोर लेते हैं। आपने एक ऐसे गांव के बारे में तो जरूर सुना ही होगा जहां पर सिर्फ जुड़वा बच्चे ही पैदा होते हैं। भारत का ऐसा एक गांव है। जहां 40 से ज्यादा दामादों का घर है एवं यही वजह है कि इस गांव का नाम दामादनपुरवा (Damadanpurwa) पड़ गया।
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कानपुर के इस गांव में करीब 500 लोग रहते हैं। यह गांव अकबरपुर तहसील क्षेत्र में बसा हुआ है एवं यहां पर करीब 70 घर हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 70 घरों में से 40 से अधिक घर दामादों के हैं। यहां रहने वाले बुजुर्गों के अनुसार 1970 में इस गांव की राजरानी की शादी होने के बाद से उनके पति सांवरे कठेरिया अपने ससुराल में ही रहने लगे।
सांवरे कठेरिया के लिए जब जगह कम पड़ी तो उन्हें गांव के पास जमीन दे दी गई। राजरानी के पति के बाद से कई लड़के इस गांव की बेटियों से शादी करके पहले दामाद बने तथा फिर यहीं जमीन लेकर रहने लगे। यहीं से यह परंपरा बढ़ने लगी एवं 2005 तक इस गांव में दामादों के 40 घर बन चुके थे।
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दरअसल अब तीसरी पीढ़ी के दामाद ने यहां बसना शुरू कर दिया है। वर्ष 2005 आते-आते यहां 40 दामादों के घर बन चुके थे। लोग इसको दमादनपुरवा कहने लगे। लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इसे नाम नहीं मिला। दो वर्ष बाद गांव में स्कूल बना एवं उस पर दमादनपुरवा दर्ज हुआ। उधर परंपरा बढ़ती रही, दामाद बसते रहे। ये मजरा दमादनपुरवा नाम से दर्ज हुआ। प्रधान प्रीति श्रीवास्तव ने यह कहा कि दमादनपुरवा में लगभग 500 आबादी है एवं लगभग 270 वोटर हैं। लोग अगर दमादनपुरवा के बोर्ड पढ़ते हैं तो मुस्कुरा देते हैं।
वहीं पर गांव के सबसे बुजुर्ग दामाद रामप्रसाद की उम्र लगभग 78 वर्ष है। वो 45 वर्ष पहले ससुराल आकर बसे थे। वहीं सबसे नए दामादों में से अवधेश अपनी पत्नी शशि के साथ यहां पर बसे हैं।