ये बात एक अनोखे रेलवे स्टेशन की है। आपको बता दें कि हरियाणा में एक बेहद ही अनोखा रेलवे स्टेशन हैं, जहां ट्रेनें रुकती तो हैं, लेकिन यात्रियों को टिकट नहीं मिलती है।
जानकारी के लिए बता दें कि आज भी ऐसे कई मामले हैं जिन पर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता है और लोगों को मुसीबतें उठानी पड़ती हैं। ऐसी ही एक रोचक खबर आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
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तो दरअसल ये खबर हरियाणा के एक बेहद ही अनोखे रेलवे स्टेशन की है। आपको बता दें कि हरियाणा में एक बेहद ही अनोखा रेलवे स्टेशन हैं, जहां ट्रेनें रुकती हैं लेकिन यात्रियों को कोई टिकट नहीं मिलती है।
यात्रियों को मजबूरन ही बिना टिकट के ही यात्रा करनी पड़ती है। वहीं यात्रियों को ऐसे में पकड़े जाने का भी हमेशा डर सताता रहता है। यहां कई यात्रियों की शिकायत है कि प्रशासन की गलती के कारण ही उन्हें कई बारा जुर्माना भी देना पड़ जाया करता है।
खबर है पता चली है, कि अब तक अधिकारियों को इस बारे में कुछ भी नहीं पता है। लेकिन इस कारण यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। तो आइए जानते हैं, इस खबर को पूरे विस्तार के साथ।
आज हम हरियाणा के एक अनोखे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई यात्री ट्रेनें रुकती हैं लेकिन लोगों को टिकट तक नहीं मिल पाती है। यह स्टेशन दिल्ली से अंबाला मार्ग पर सोनीपत के राजलू गढ़ी गाँव में बना हुआ है।
यहाँ से पानीपत और सोनीपत की तरफ जाने वाले Indian Railways यात्रियों को टिकट ही नहीं मिल पाती है। ऐसे में उन्हें मजबूरी में बिना टिकट के ही यात्रा करनी पड़ती है। इसके साथ ही उन्हें हमेशा पकड़े जाने का डर भी सताता ही रहता है।
आपको बता दें कि इस रेलवे स्टेशन पर रेलवे खुद से टिकट वितरण ही नहीं करता है। बल्कि इसके लिए ठेका दे दिया जाता है और अब पुराने ठेकों की अवधि भी खत्म हो चुकी है और अब तक नये ठेके किसी और को नहीं दिए गए हैं।
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इसलिए पिछले एक डेढ़ महीने से यहाँ पर टिकट ही नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यात्रियों को भी मजबूरी में बिना टिकट के सफर करना पड़ रहा है। यदि चेकिंग स्टाफ उन्हें बिना टिकट के पकड़ लेता है, तो उन्हें जुर्माना भी देना पड़ जाता है।
यात्री भी इससे काफी ज्यादा परेशान हो गए हैं और प्रशासन भी इस मामले पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है। यात्रियों के मुताबिक उन्हें बिना टिकट के सफर करने पर पकड़े जाने का डर हमेशा सताता है। इसके साथ ही उन्हें कई बार पकड़ भी लिया जाता है, जबकि गलती रेल प्रशासन की है।
यात्रियों ने स्टेशन अधीक्षक सुनील के पास भी फोन मिलाया और बात की, जिन्होंने इसका जवाब देना ही जरूरी नहीं समझा। वहीं इसके बाद यात्रियों ने दिल्ली मंडल, डीआरएम रेलवे से बातचीत की तो उन्हें पता चला कि उन्हें भी इस मामले का कोई संज्ञान अब तक नहीं है।