Indian Railways: इन दिनों वेकेशन का माहौल चल रहा है लोग अपनी छुट्टियां बिताने अपने रिश्तेदार और अपने दोस्तों के घर आते जाते रहते हैं। इस भयंकर गर्मी में सफर करने के लिए अधिकतर लोग AC ट्रेन का ही इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है की देश की पहली AC ट्रेन का नाम क्या था और उसे किस प्रकार से ठंडा किया गया था। अगर आपको ऐसी किसी भी बात की जानकारी नहीं है तो यह खबर आपके लिए बड़े ही कम की है। क्योंकि आज हम आपको बताएंगे की देश की पहली एयर कंडीशन ट्रेन का नाम क्या था और उसे ठंडा करने के लिए कौन सा जुगाड़ लगाया गया था।
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तो दोस्तों, आपको बता दें कि देश की पहली AC ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था। AC फ्रंटियर मेल ट्रेन ने 1 सितंबर 1928 यानी 93 वर्ष पहले अपनी यात्रा आरंभ की थी।
हमारे लिए बड़ी गर्व की बात है क्योंकि भारतीय रेलवे (Indian Railways) विश्व की चौथी सबसे बड़ी रेलवे प्रणाली (System- सिस्टम) है। वर्तमान समय में भारतीय ट्रेन विभाग ने देश की सभी ट्रेनों में कई सुविधाएं उपलब्ध की हैं। एक ही ट्रेन में कई तरह की बोगियां जैसे सामान्य (जनरल), शयनयान (स्लीपर), तृतीय श्रेणी (Third Class), द्वितीय श्रेणी और प्रथम श्रेणी (Second Class and First Class) आदि मौजूद है। हमारे देश में भी तीन वर्ग के लोग रहते हैं और सभी वर्ग के लोग अपनी सहुलत के अनुसार ट्रेन में सफर करते हैं।
समय के साथ साथ ट्रेन की बोगियों में सुविधाओं को भी बढ़ाया गया है। लेकिन, बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि देश की पहली AC कौन सी ट्रेन थी जिसकी बोगी में AC का इस्तेमाल हुआ था। तो चलिए अब आपको ज्यादा इंतजार करवाना ठीक नहीं है हम आपको यह जानकारी दे रहे हैं कि किस तरह बोगी ठंडी हुआ करती थी और इसकी शुरुआत कब हुई थी।
दोस्तों हमारे देश की पहली एयर कंडीशनिंग ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था। फ्रंटियर मेल ने 1 सितंबर 1928 यानी 93 साल पहले अपनी पहली यात्रा की शुरुआत की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार इस ट्रेन को फ्रंटियर मेल नहीं बल्कि पंजाब एक्सप्रेस कहा जाता था क्योंकि साल 1934 में पंजाब एक्सप्रेस ट्रेन में एयर कंडीशनर बोगी को जोड़ा गया था। उस बाद ही इस ट्रेन का नाम बदल दिया गया और फ्रंटियर मेल रख दिया गया था। यह ट्रेन उसे दौर में राजधानी ट्रेन जैसा ही महत्व रखती थी।
उस दौर में फ्रंटियर मेल एयर कंडीशनिंग ट्रेन को ठंडा रखने के लिए आज के जैसे आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं होता था। इस ट्रेन को ठंडा रखने के लिए एक खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। खबरों के अनुसार ट्रेन की बोगी को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया गया था। बर्फ की सिल्लियों को बोगी के नीचे एक बॉक्स रखा जाता था। बॉक्स में रखकर जब पंखे चलाए जाते थे तो यात्रियों को बहुत ठंडी हवा मिलती थी।
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रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रंटियर मेल दिल्ली, पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक पहुंचती थी। ये ट्रेन अपने अंतिम स्टेशन पर पहुंचने के लिए तीन दिन का समय लेती थी। इस दौरान पिघली हुई बर्फ को अलग-अलग स्टेशनों पर निकाल कर दोबारा भर दिया जाता था। स्वतंत्रता आंदोलन की गवाह फ्रंटियर मेल मुंबई से अफगान बार्डर पेशावर तक का लंबा फासला तय करती थी। इस ट्रेन में अंग्रेज अफसरों के अलावा स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े नेता यात्रा करते थे। फ्रंटियर मेल में हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी यात्रा की थी। इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत थी कि ये कभी भी लेट नहीं होती थी।
इस ट्रेन के बारे में बताया जाता है कि Indian Railways ट्रेन के शुरू होने के बाद 11 महीने बाद पहली बार जब ये ट्रेन लेट हुई थी, तो सरकार ने तत्काल कार्रवाई की थी र ट्रेन के पायलट को नोटिस भेजकर जबाव तलब किया था। इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को अखबार, किताबें और मनोरंजन के लिए ताश के पत्ते दिए जाते थे। देश आजाद होने के बाद ये ट्रेन मुंबई से अमृतसर तक चलाई जाने लगी थी। कुछ समय बाद इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल से गोल्डन टेंपल रख दिया गया।
भले ही उस समय इंटरनेट की सुविधा नहीं थी, इसके बावजूद भी इस ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को ताजा खबरों के बारे में अपडेट किया जाता था। इसके लिए एक उस दौर की मशहूर समाचार एजेंसी के साथ टेलीग्राफिक न्यूज का विशेष प्रबंध किया जाता था।