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Hijab Row: कर्नाटक सरकार ने कोर्ट में कहा- हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत नहीं आता

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Hijab Row कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब विवाद पर नौवें दिन की सुनवाई खत्म हो चुकी है। लेकिन अभी भी कोई ठोस हल नहीं निकल सका। गुरुवार को फिर से इस मामले में सुनवाई होगी। गवर्नमेंट पीयू कॉलेज फॉर गर्ल्स, उसके प्रिंसिपल तथा एक शिक्षक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील एसएस नागानंद ने बुधवार को ही मुख्य न्यायाधीश रितु राज्य अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम काजी तथा न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की पूर्व पीठ को यह बताया कि सड़कों पर ढोल पीटने से समाज को खतरा ना हो।

Hijab Row हम एक सामंजस्य पूर्ण समाज भी हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से यह जानता हूं कि उडुपी में कृष्ण मठ के पास ही बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं तथा वहां पूर्ण सद्भाव है। उन्होंने आगे कहा कि हिजाब विवाद कुछ लोगों द्वारा सीएफआई के प्रति निष्ठा को लेकर शुरू किया गया था। इसी पर मुख्य न्यायाधीश ने यह पूछा कि सीएफआई क्या है तथा इसकी भूमिका क्या है। वरिष्ठ वकील ने बताया कि यह एक प्रकार का संगठन है। जो राज्य में विरोध प्रदर्शन का सामान्य तथा आयोजन करता है। वहीं पर एक अन्य वकील ने यह कहा कि सीएफआई एक कट्टरपंथी संगठन है जिसे कालेजों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।

कोई प्रतिबंध नहीं भारत में हिजाब पहनने पर

Hijab Row इससे पहले मंगलवार को कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट में यह कहा था कि संस्थागत अनुशासन के अंतर्गत उचित प्रतिबंधों के साथ ही भारत में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध है ही नहीं। इसके साथ ही साथ सरकार ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन भी है। जिसके अंतर्गत हर तरह के भेदभाव पर प्रतिबंध है।

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Hijab Row अधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने कर्नाटक हाईकोर्ट की पूर्व पीठ से यह कहा था कि हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ए) अंतर्गत आता है, न कि अनुच्छेद 25 के अंतर्गत। अगर किसी की हिजाब पहनने की है तो संस्थागत अनुशासन के बीच कोई भी प्रतिबंध नहीं है। 19(1)(ए) के अंतर्गत यह दावा किए गए हैं कि अधिकार अनुच्छेद 19(2) से संबंधित है।

Hijab Row जहां पर सरकार संस्थागत प्रतिबंध के अधीन ही उचित प्रतिबंध लगाती हैं। नवदगी ने यह कहा कि वर्तमान मामले में संस्थागत प्रतिबंध के पिक्चर संस्थानों के अंदर ही है और कहीं भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हिजाब को एक आवश्यक धार्मिक प्रथा के रूप में घोषित करने की मांग का परिणाम बहुत ही बड़ा है, क्योंकि इसमें बाध्यता का तत्व है या आपको समुदाय से निष्कासित कर दिया जाएगा। संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित ही है।

संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना

Hijab Row दरअसल महाधिवक्ता ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। नवदगी ने दलील दी है कि कोई भेदभाव नहीं है, जैसा अनुच्छेद 15 के अंतर्गत दावा किया गया है। यह आरोप बेबुनियादी है तथा अनुच्छेद 15 के अंतर्गत धर्म, लिंग, जन्म या फिर जाति स्थान के आधार पर भेदभाव को रोक है।


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