Gita Press: गोरखपुर स्थित गीताप्रेस हिन्दू धार्मिक पुस्तकों का सबसे बड़ा और विश्वसनीय पुस्तकालय है । गीता प्रेस में हजारों धार्मिक विषयक पुस्तकें उपलब्ध रहती हैं जो देश के विभिन्न भागों तक पहुंचाई जाती हैं । गीता प्रेस में जहां कोरोना महामारी से पहले तक पुस्तकों की छपाई और बिक्री कम हो गयी थी वहीं अब किताबों की बिक्री और मांग बढ़ी है ।
कोरोना काल के बाद गीता प्रेस के काम मे तेजी आई है जिसका आलम ये है कि मांग अधिक होने से गीता प्रेस संस्थान विभिन्न तरह की पुस्तकों की छपाई नहीं कर पा रहा है । ऐसे में छपाई बढ़ाने और मांग के अनुरूप आपूर्ति करने के उद्देश्य से संस्थान कुछ नई मशीनें विदेश से मंगवा रहा है ।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार Gita Press के पास छपाई की तीन मशीनें तो पहले से थीं लेकिन ग्रंथाकार पुस्तकों की सिलाई के लिए मशीन की कमी थी । ऐसे में प्रेस में किसी न किसी पुस्तक की कमी बनी ही रहती थी । बता दें कि गीता प्रेस हजारों तरह की हिन्दू धार्मिक विषयक पुस्तकें छापता है । मांग के अनुरूप आपूर्ति की कमी को देखते हुए प्रेस ने स्विट्जरलैंड से सिलाई मशीन खरीदी है । गीता प्रेस ने यह मशीन करीब 2 करोड़ रुपये चुकता कर खरीदी है ।
जानकारी के अनुसार मूलर मार्टिनी की इस मशीन को खरीदने के लिए प्रेस ने भुगतान कर दिया है और जुलाई के अंतिम सप्ताह तक इसके गीता प्रेस में आने की उम्मीद है । संस्थान के प्रबंधक लाल मणि तिवारी के मुताबिक यह मशीन लग जाने से पुस्तकों का उत्पादन 25 % तक बढ़ जाएगा।
गीता प्रेस द्वारा स्विट्जरलैंड से खरीदी जा रही इस मशीन की क्षमता 1 मिनट में 200 फर्मा सिलने की है । बता दें कि 1 फर्मा 32 पेज का होता है । ऐसे में यह मशीन 1 मिनट में 200 फर्मा की सिलाई कर लेगी हालांकि संस्थान के जिम्मदारों का कहना है कि शुरुआत में इस मशीन को पूरी क्षमता से नहीं चलाया जाएगा । जानकारी के मुताबिक संस्थान इस मशीन को 1 मिनट में 160 फर्मा सिलाई करने के लिए सेट करेगा ।
ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि यह मशीन 1 मिनट में करीब 5000 पेजों की सिलाई कर सकेगी । इस आधार पर कहा जा सकता है कि स्विट्जरलैंड से आने वाली इस मशीन के संस्थान में लगने के बाद यह 1 मिनट में 5 ग्रन्थाकार पुस्तकों की सिलाई कर सकेगी ।
Gita Press में सिलाई मशीन की अनुपलब्धता के चलते करीब 300 तरह की पुस्तकें अनुपलब्ध हैं । मालूम हो कि गीता प्रेस के पास छपाई की 6 वेब मशीनें पहले से हैं । यही नहीं संस्थान में 7 सीटफेड मशीनें भी मौजूद हैं । साल 2020 में एक सीटफेड मशीन मंगाई गई थी जो चार रंगों में छपाई करती है । लेकिन सिलाई मशीन के न होने के चलते छपाई कार्य मे तेजी नहीं आ पा रही थी जिससे रामचरित मानस और श्रीमद भगवत गीता के संस्करण से लेकर करीब 300 तरह की पुस्तकें अनुपलब्ध थीं । अब सिलाई मशीन के आ जाने से पुस्तकें छप सकेंगी ।
बता दें कि गोरखपुर स्थित गीता प्रेस में हजारों धार्मिक पुस्तकें छपती हैं । धार्मिक पुस्तकें होने के नाते इनके मूल्य बेहद कम रखे जाते हैं । गीता प्रेस से श्रीरामचरितमानस, श्री मद भगवत गीता से लेकर हजारों धार्मिक पुस्तकें छपती हैं ।
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Gita Press के प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्विट्जरलैंड से करीब 2 करोड़ मूल्य की सिलाई मशीन मंगाई गई है जो जुलाई के अंतिम सप्ताह में आने की उम्मीद है । उन्होंने बताया कि सिलाई मशीन के न होने के चलते छपाई कार्य सही नहीं चल पा रहा था । अब सिलाई मशीन के आ जाने से छपाई में तेजी आएगी और उत्पादन करीब 25 % बढ़ जाएगा।