Cryptocurrency: कारोबार की दुनिया में कहावत है कि अमेरिका को अगर छींक आती है तो पूरी दुनिया को जुकाम हो जाता है। हाल ही के दिनों में यह कहावत सच होती दिख रही है। 6 मई 2022 को समाप्त हुए हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार 4% की गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं पिछले दिनों में क्रिप्टो करेंसी की कीमत में लगातार गिरावट जारी है। ज्यादातर डिजिटल करेंसी के भाव में गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ कैसे हैं। तो चलिए इसकी क्रोनोलॉजी को समझ लेते हैं।
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दरअसल पिछले हफ्ते यूएस फेडरल रिजर्व ने महंगाई को रोकने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में आधा प्रतिशत यानी 0.5 फ़ीसदी का इजाफा किया है। जो कि साल 2000 के बाद से सबसे बड़ा बदलाव है। फेडरल रिजर्व में ब्याज दरों की बढ़ोतरी का मतलब कंज्यूमर्स और बिजनेस से ज्यादा ब्याज की वसूली है। अमेरिका में ऋण दरों में उछाल के कारण गिरवी रखे जाने वाले सिक्योरिटी, क्रेडिट कार्ड और ऑटो लोन भी प्रभावित होंगे। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को 22 साल के बाद बढ़ाने का एलान किया है। इसके कारण अमेरिकी नागरिकों और व्यवसायियों को दिए जाने वाले उधार और अधिक महंगे होंगे और इससे लोगों के खर्च करने की क्षमता प्रभावित होगी।
फेडरल रिजर्व के अधिकारियों के मुताबिक ब्याज दरों को ऐसे स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाई जा सके। अमेरिका में ब्याज दर की वृद्धि का असर भारत सहित एशिया और यूरोप के अन्य देशों में देखने को मिलता है।
अमेरिकी फेडरल द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से भारतीय कंपनियों के लिए विदेशी धन की उपलब्धता और लागत पर असर पड़ता है। इसका इनडायरेक्ट असर भारतीय इक्विटी और बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो पर होगा।
वैश्विक निवेशक दुनिया भर की संपत्तियों में निवेश करने के लिए शून्य या कम ब्याज दरों वाली मुद्राओं में उधार लेते हैं। भारत और अन्य जगहों पर शेयर बाजार में तेजी के लिए यह भी जिम्मेदार होते हैं। ऐसे कई कारण है जिसके वजह से भारत को ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी करनी पड़ती है। कई ऐसे इकोनामिक क्राइटेरिया है जिनकी दबाव की वजह से भारत में भी रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें बढ़ा दी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 4.40% कर दिया। साथ ही कैश रिजर्व रेश्यो यानी सीआरआर(CRR) को भी 0.50 फ़ीसदी बढ़ाने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि अमेरिका में ब्याज दरें कम रहने पर निवेशक बेहतर कमाई के लिए भारत जैसे बाजार में पूंजी लगाते हैं। इससे शेयर बाजार को मदद मिलती है लेकिन अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से निवेशक उभरते देशों से पैसा निकाल कर अमेरिका में बैंक में पैसे जमा करते हैं और अपनी पूंजी पर अपने ही देश में बढ़िया रिटर्न कमाते हैं। इस वजह से उभरते देशों के शेयर बाजार में गिरावट आती है।
वहीं आरबीआई की रेपो रेट में ब्याज दरों की बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कमर्शियल बैंक को आरबीआई से ऊंचे कीमतों पर पैसा मिलता है जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है। ऐसे में जब ग्लोबल और इंडियन मार्केट में मनी सरकुलेशन कम रहेगा तो लोग क्रिप्टो जैसे अन्य वोलेटाइल वर्चुअल डिजिटल असेट्स (Volatile virtual digital assets) में निवेश कम करेंगे।
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उम्मीद है आपको समझ में आया होगा कि Cryptocurrency मार्केट में इतनी गिरावट क्यों देखने को मिल रही है। साथ ही अगर अब आप निवेश करने का सोच रहे हैं तो काफी सोच समझकर निवेश करके ही आगे बढ़े। आने वाले दिनों में मार्केट करेक्शन होने के बाद सिचुएशन बेहतर होने की पूरी उम्मीद है। आज भी Cryptocurrencyबाजार लाल निशान पर काम कर रहा है और सभी मुख्य करेंसी में भारी गिरावट देखने को मिली है, Bitcoin, Ethereum, Doge coin, Solana और अन्य करेंसीज में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली है।