NewsClick journalists: अहमदाबाद में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए मेहता ने कहा, “चाहे पत्रकार हों, लेखक हों या कार्टूनिस्ट हों, उन्हें राष्ट्र-विरोधी करार दिया जा रहा है।
मंगलवार को, स्पेशल सेल द्वारा दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में 40 से अधिक पत्रकारों के घरों पर छापेमारी के बाद न्यूज़क्लिक के पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती (NewsClick’s Purkayastha and Amit Chakraborty) को गिरफ्तार किया गया था।
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नई दिल्ली में समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों पर छापेमारी की निंदा करते हुए, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता ने अपने संगठन जन अभियान बदले गुजरात (Jan Abhiyan Badle Gujarat) की ओर से शनिवार को “कई लोगों को राष्ट्र-विरोधी करार दिए जाने” की प्रवृत्ति पर आपत्ति जताई।
अहमदाबाद में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए , मेहता ने कहा, “पत्रकार, लेखक या कार्टूनिस्ट हों, उन्हें राष्ट्र-विरोधी करार दिया जा रहा है… हमने महसूस किया कि यह महत्वपूर्ण है कि ऐसा संकेत नहीं जाना चाहिए जैसे कि गुजरात चुप बैठा है। ”
‘गुजरात की स्थिति’ पर अफसोस जताते हुए मेहता ने कहा, ‘गुजरात एक ड्रग केंद्र बनता जा रहा है… स्थिति ऐसी है कि आज, यह स्वीकार किया जा रहा है कि गुजरात एक ड्रग तस्करी केंद्र है। नई पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही है।”
पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रबीर पुरकायस्थ और कंपनी के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी और हिरासत के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) मामले के संबंध में सवाल उठाए।
हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस की ओर से दायर रिमांड अर्जी में उनकी हिरासत का आधार न होने पर आपत्ति जताई है। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती के साथ न्यूज़क्लिक पर मुख्य रूप से भारत में चीनी प्रचार का समर्थन करने का आरोप है।
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सुनवाई के दौरान, विवाद का मुख्य बिंदु दिल्ली पुलिस द्वारा प्रस्तुत रिमांड आवेदन में प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के कारण बताने में विफलता के इर्द-गिर्द घूमता रहा। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला (Justice Tushar Rao Gedela) ने कहा कि यह चूक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत प्रतीत होती है, जिससे गिरफ्तारियों की पारदर्शिता और वैधता के बारे में चर्चा शुरू हो गई है।
न्यायाधीश ने कहा, “रिमांड के लिए दिए गएआवेदन में गिरफ्तारी के आधार का अभाव स्पष्ट मालूम हो रहा है। इसके अलावा वकील को भी अपना मामला पेश करने का कोई भी मौका ही नहीं दिया गया है।”
NewsClick journalists, प्रबीर पुरकायस्थ का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने गिरफ्तारी और हिरासत प्रक्रियाओं के बारे में कड़ी आपत्ति व्यक्त की। सिब्बल ने तर्क दिया कि रिमांड आदेश गलत और अस्थिर था, जिसमें गिरफ्तारी के लिए आधार के खुलासे की कमी और रिमांड सुनवाई के बारे में उन्हें सूचित करने में विफलता पर जोर दिया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का भी जिक्र किया जिसमें शीर्ष अदालत ने ईडी को स्पष्ट रूप से कहा था कि Prevention of Money Laundering Act के तहत गिरफ्तारी करते समय गिरफ्तारी का आधार स्पष्ट किया जाना चाहिए।