Child Marriage: बाल-विवाह भारत की प्राचीन कुरीतियों में से एक है और यह भारत मे क्राइम के अंतर्गत आता है,कुछ समय तक तो ऐसी घटनायें ज्यादा नहीं हो रही थी लेकिन विगत कुछ वर्षों से लगातार बाल-विवाह की घटनायें बढ़ती जा रही है जो की सभ्य समाज के लिये किसी भी तरह से सही नहीं है आज हम आपको बाल-विवाह की पूरी रिपोर्ट बतायेंगे।
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Crime in India के तहत NCRB की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 से Child Marriage की घटनाओं में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है,ऐसा किस वजह से हो रहा है यह कहना तो सरल नहीं है परंतु इससे समाज जड़ता और अवनति की तरफ जा रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है।
Child Marriage जैसी कुरीतियों में लोग किस तरह फँसते जा रहे है यह जानने के लिये विगत वर्षों की रिपोर्ट पर नजर दौड़ाना बहुत जरूरी है,सबसे पहले बात करते है वर्ष 2015 की,आपको बता दें की वर्ष 2015 में बाल-विवाह के कुल 293 केस दर्ज किये गये थे,देखने और पढ़ने में भले ही यह संख्या कम हो लेकिन सामाजिक मापदंडों के अनुरूप यह आँकड़ा बहुत ज्यादा है और इससे लगातार वृद्धि हो रही है।
अब जरा बात करते हैं वर्ष 2016 की,वर्ष 2016 में भी बड़ी संख्या में Child Marriage के मामले दर्ज किये गये और यह मामले वर्ष 2015 की अपेक्षा काफी ज्यादा थे,आंकड़ों की बात करें तो आपको बता दें कि इस वर्ष बाल-विवाह के कुल 326 मामले दर्ज किये गये,जिनमे आगे के वर्षों में भी बढोत्तरी होती रही।
वर्ष 2017 आते-आते Child Marriage के मामले 400 के करीब पहुँच गये आंकड़ो की बात करें तो इस वर्ष बाल-विवाह के कुल 395 मामले दर्ज किये गये जो कि वर्ष 2015 और वर्ष 2016 से कहीं अधिक हैं ,बाल-विवाह के मामलों में लगातार बढ़ती संख्या कहीं न कहीं किसी बड़ी चूक की ओर संकेत कर रही है जिसे हर कोई इग्नोर कर रहा है।
प्रशासन की अनदेखी कहें अथवा समाज की दूषित सोंच पर दोनों ही स्थियों में निष्कर्ष एक ही है कि मानव संसाधन का दुरुपयोग किया जा रहा है,आपको बता दें कि वर्ष 2018 में भी हमेशा की तरह बाल-विवाह के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई और इस वर्ष Child Marriage के कुल 501 मामले दर्ज किये गये।
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वर्ष 2019 आते-आते Child Marriage के मामलों में काफी बढोत्तरी हो गयी थी और यह स्पष्ट होता जा रहा था कि यह अपराध बेलगाम स्थिति में अपनी रफ्तार पकड़ता जा रहा है,आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 में कुल 523 मामले बाल-विवाह के दर्ज किये गये, अब इसे समाज का दुर्भाग्य कहा जाये या कुछ और यह आप ही निर्णय करें।
2020 जब पूरी दुनिया कोरोना की वजह से परेशान थी उस में जब लगभग सभी गतिविधियाँ रुकी हुई थी, उस समय भी बाल-विवाह की यह कुरीति समाज मे अपनी जड़ें फैला रही थी, बता दें की वर्ष 2020 में बाल-विवाह का आँकड़ा 800 के करीब पहुंच गया और बाल-विवाह के इस वर्ष कुल 782 मामले दर्ज किये गये,इस प्रकार इस सत्र में भी कोई अंकुश नहीं देखा गया।
2015 से बाल-विवाह के लगातार बढ़ रहे मामलों की वजह अगर तलाशी जाये तो यही कहा जा सकता है कि एक ओर तो यह जागरूकता का बड़ा अभाव है तो दूसरी ओर इसके लिये प्रशासन की शिथिलता भी जिम्मेदार है,,क्योंकि कड़े अंकुशों का अभाव ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता है,अतः आवश्यक है कि जागरूकता बढाते हुये कड़े प्रशासनिक नियमो के तहत बाल-विवाह की घटनाओं को रोंका जाये।