

Business Success Story: किसानों को अच्छी कमाई वाली फसलें उगाने में दिक्कत आ रही है। इसलिए एक किसान ने खेती का तरीका बदला। उसने खेती में नए प्रयोग किए और सफलता पाई। आज उसका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये है।
गन्ने और केले की खेती में अभिनव प्रयोग करके उन्होंने सालाना 1 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। वह पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दे रहे हैं। वह इंटरक्रॉपिंग और मशीनीकरण का उपयोग करके अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं। आज कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं। कृषि बढ़ती लागत, जलवायु परिवर्तन और बाजार की अस्थिरता जैसी समस्याओं का सामना कर रही है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के एक प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ सिंह ने अपने विचारों और टिकाऊ खेती के तरीकों से कृषि क्षेत्र को अत्यधिक लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया है। वह अपनी 10 हेक्टेयर जमीन पर गन्ने और केले की खेती करके सालाना 1 करोड़ रुपये से अधिक कमा रहे हैं। हिमांशु ने न केवल खुद को, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
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हिमांशु नाथ सिंह एक किसान परिवार से आते हैं। उनके परिवार को गन्ने की खेती का 40 साल का अनुभव है। उन्हें पारंपरिक खेती का ज्ञान अपने पिता से विरासत में मिला था। हालाँकि, हिमांशु ने इसमें विज्ञान और तकनीक का भी समावेश किया। उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि खेती को प्रासंगिक और लाभदायक बनाए रखने के लिए नए विचारों की आवश्यकता है।
इसलिए उन्होंने जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित मिश्रण इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इसमें गोबर, जैविक खाद, बायोचार और ठोस बायोचार शामिल हैं। यह तरीका न केवल उनकी ज़मीन को पोषण देता है, बल्कि लंबे समय तक टिकाऊपन भी सुनिश्चित करता है।
हिमांशु की सफलता का एक बड़ा कारण गन्ने की खेती के प्रति उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। वे बुवाई के समय, बीजों के बीच की दूरी और मिट्टी की पोषकता पर विशेष ध्यान देते हैं। वे सितंबर के आखिरी हफ्ते और अक्टूबर के बीच गन्ना बोना पसंद करते हैं। उनका मानना है कि अच्छी उपज के लिए यह सबसे अच्छा समय है।
Business Success Story: हिमांशु 0118, 14235 जैसी उन्नत किस्मों का उपयोग करते हैं। ये किस्में रोग प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली हैं। वह प्रति हेक्टेयर 2,470 क्विंटल गन्ना पैदा करते हैं। 10 हेक्टेयर के अपने खेत से अकेले गन्ने से उनका कुल वार्षिक कारोबार 1 करोड़ रुपये से अधिक है। हिमांशु गन्ने के साथ-साथ केले की खेती भी करते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है। इससे मिट्टी की जैव विविधता में भी सुधार होता है।
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वह अपनी फसलों के साथ आलू, पत्तागोभी, फूलगोभी और सरसों जैसी सब्ज़ियाँ भी उगाते हैं। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि आय के अतिरिक्त स्रोत भी मिलते हैं। वह केले की खेती में जैविक उत्पादों का भी इस्तेमाल करते हैं। इससे फलों की गुणवत्ता और बाज़ार मूल्य दोनों में वृद्धि होती है। हिमांशु की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि सही ज्ञान, लगन और आधुनिक तरीकों से खेती एक बेहद सफल और सम्मानजनक पेशा बन सकती है।