British PM Boris Johnson 21 अप्रैल को दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं। उनकी यह यात्रा Pradhanmantri Narendra Modi के गृह राज्य गुजरात से शुरू होकर नई दिल्ली तक खत्म होगी। यात्रा से पहले prime Minister Boris Johnson ने यह कहा है कि भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति तथा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में इस अनिश्चित समय में ब्रिटेन के लिए एक अत्यधिक मूल्यवान रणनीतिक भागीदार है। Pradhanmantri बनने के बाद से Boris Johnson पहली बार भारत आ रहे हैं।
इससे पहले ही वह 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भारत आने वाले थे। लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से उनकी यात्रा को रद्द कर दिया गया था।
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British media के मुताबिक इस यात्रा का उद्देश्य दुनिया की सबसे तेजी से उभरती शक्तियां तथा बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के साथ व्यापार, राजनीति तथा सुरक्षा संबंध बनाना है। इसके अलावा भी ब्रिटेन के मन फैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत को चीन के प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में भी देखता है। हालांकि ऐसे में व्यापारिक संतुलन बनाने तथा व्यापार को बढ़ाने के लिए इस यात्रा की काफी अहमियत भी है। British PM कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट ने यह स्पष्ट किया है कि भारत के साथ नए संबंध केवल ब्रेक्सिट के परिणाम स्वरूप ब्रिटेन को मिली स्वतंत्रता की वजह से संभव हुए हैं।
भारत की यात्रा से पहले British PM Boris Johnson ने यह कहा है कि हमने रूम कुछ देशों से अपनी शांति तथा समृद्धि के लिए खतरों का सामना करते हैं। ऐसे में यह भी महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र तथा मित्र देश एक साथ रहे। जबकि मेरी भारत यात्रा रोजगार सृजन, आर्थिक विकास से लेकर ऊर्जा रक्षा तथा सुरक्षा तक उन चीजों को प्रदान करेगी जो हमारे दोनों देशों के लोगों के लिए वास्तव में ही महत्वपूर्ण है। हालांकि इस यात्रा का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक चुनौतियों तथा निरंकुश राज्यों से खतरे का सामना करने के बीच विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ शांति तथा समृद्धि के लिए दीर्घकालिक साझेदारी को भी गहरा करना है।
British PM कि इस यात्रा में दोनों देशों के बीच इस साल की शुरुआत में मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता में प्रगति को भी आगे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इस समझौते की होने से भारत तथा ब्रिटेन के बीच 2035 तक द्विपक्षीय सालाना व्यापार 28 और अब तक बढ़ाया जा सकेगा। हालांकि ऐसे में ही पूरे ब्रिटेन के बीच में से 3 बिलियन पाउंड की बढ़ोतरी होगी। बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा बोरिस जॉनसन ने भारत यूके व्यापार रणनीतिक साझेदारी पर अपनी सहमति व्यक्त की थी।
इसी दौरान उन्होंने 530 मिलियन पाउंड के निवेश पर भी सहमत बनी थी। हालांकि दोनों देशों ने व्यापार, जलवायु, स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा रक्षा के क्षेत्र में एक गहरे द्विपक्षीय संबंध विकसित करने पर जोर दिया था।
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इससे पहले मई 2021 में दो नेताओं के बीच virtual meeting हुई थी। उस मीटिंग में 2030 के रोड में पर बात हुई थी। ये रोड मैप स्वास्थ्य, व्यापार, विज्ञान, जलवायु, शिक्षा तथा प्रौद्योगिकी एवं रक्षा के यूके भारत संबंधों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। उस बैठक के दौरान दोनों देश संबंधों की स्थिति को व्यापाक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने पर सहमत हुए थे। व्यापार समझौते की चर्चा के बीच इस virtual meeting के प्रमुख परिणामों में दोनों देशों के बीच व्यापार को 2030 तक दोगुना करने की सहमति बनी थी। वर्तमान में ब्रिटिश तथा भारत के बीच व्यापार करीब 23 बिलियन पाउंड प्रति वर्ष है।