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Bihar: नहीं मिला एंबुलेंस, दिव्यांग बेटे को सब्जी के ठेले पर अस्पताल लेकर गए पिता, नहीं बची जान

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Bihar: इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक घटना में Bihar के नालंदा जिले में हुई है। यहां एक दिव्यांग के परिजन उसे सब्जी के ठेले में लेकर अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे थे। इसके बावजूद भी बच्चे की जान नहीं बच पाई थी। दरअसल, मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस ही नहीं मिली और इस कारण उसके परिजन लाचार होकर उसे सब्जी के ठेले पर लेकर अस्पताल गए थे। हद तो तब हो गई जब अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा उस मरीज को मृत घोषित करने के बाद भी शव ले जाने के लिए भी परिजनों को वाहन नहीं मिला। यह सारा मामला जिले के नालंगा के हिलसा अनुमंडल अस्पताल का बताया जा रहा है।

Bihar में सब्जी के ठेले पर मरीज को पहुंचाया अस्पताल

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Bihar के हिलसा शहर में पड़ने वाले पासवान टोला के निवासी अशोक पासवान के बेटे अमरजीत की तबीयत अचानक ही बिगड गई थी। मरीज की हालात बेहद ही नाजुक होने पर वो उसे सब्जी के ठेले पर लेकरअस्पताल पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार अनुमंडल अस्पताल में मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। अस्पताल में एकमात्र ही एंबुलेंस है जो कभी भी खाली ही नहीं रहती। उस वक्त यदि अमरजीत को  एंबुलेंस की सुविधा मिल जाती तो वो आज अपने परिजनों के बीच में जिंदा और सलामत होता। दरअसल, यह इस प्रकार की पहली ही घटना नहीं है।

बीमार पत्नी को ठेले पर अस्पताल ले जा रहे बुजुर्ग

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कुछ दिनों पहले ही चिलकहर ब्लाक के अंदौर निवासी शुकुल राजभर की पत्नी जोगिनी देवी (55) की तबीयत खराब थी। उन्हें फ़ौरी तौर पर इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की आवश्यकता थी। 28 मार्च को कि प्रयासों के बावजूद भी शुकुल को साधन ही नहीं मिला तो आखिरकार लाचार होकर उन्होंने ठेले पर ही अपनी पत्नी को बैठाया और फिर चिलकहर पीएचसी की तरफ आगे बढ़ गए।

करीब 4 किलोमीटर का रास्ता बिमार पत्नी को ठेले पर लेकर तय करने के बाद वो जैसे-तैसे पीएचसी पहुंचे थे। वहां डॉक्टरों ने पाया कि शुकुल की पत्नी की हालात गंभीर है। उन्होंने मरीज को जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। उस बाद शुकुल अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल तो पहुंचे, लेकिन फिर भी पत्नी की जान नहीं बच पाई थी।

बेटी का शव कंधे पर लेकर दस Km चला शख्स

इस तरह की घटनाएं जैसे कि हमारे जिवन का एक हिस्सा बन चुकी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ समय पहले ही एक चौंकाने वाली घटना में छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले हुई थी। यहां एक व्यक्ति अपनी बेटी के शव को कंधे पर लेकर करीब दस किलोमीटर तक चला था। अमदला गांव के रहने वाले ईश्वर दास अपनी बीमार बेटी सुरेखा को उपचार के लिए लखनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे।

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उपचार के दौरान ही लड़की की मौत हो गई और पिता को  बेटी का शव कंधे पर लेकर 10 किलोमीटर चलना पड़ा था। यह घटना उस वक्त सामने आई थी जब दास का अपनी बेटी के शव के साथ चलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया। उस बाद इस मामल में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने इस घटना की जांच के आदेश दिए थे।

मानवता को शर्मशार करने वाली यह घटनाएं आए दिन हमारे देश में होती ही रहती है। एक तरफ देश में जहां विकास के नाम का झुठा बिगुल बज रहा है, वहीं इस प्रकार की घटनाएं भी सामने आ रही है जहां गरीब लोग सही समय पर इलाज से वंचित होकर जिंदगी गंवा रहे हैं।

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